विश्वामित्र आगमन की लीला देख दर्शक भाव विभोर
ह्मड्डद्वद्यद्बद्यड्ड ह्मड्डद्वद्यद्बद्यड्ड ह्मड्डद्वद्यद्बद्यड्ड ह्मड्डद्वद्यद्बद्यड्ड ह्मड्डद्वद्यद्बद्यड्ड ह्मड्डद्वद्यद्बद्यड्ड ह्मड्डद्वद्यद्बद्यड्ड ह्मड्डद्वद्यद्बद्यड्ड ह्मड्डद्वद्यद्बद्यड्ड ह्मड्डद्वद्यद्बद्यड्ड ह्मड्डद्वद्यद्बद्यड्ड ह्मड्डद्वद्यद्बद्यड्ड ह्मड्डद्वद्यद्बद्यड्ड ह्मड्डद्वद्यद्बद्यड्ड
हरदोई : नुमाइश मैदान में चल रही श्रीरामलीला मेला में श्रीगोविद गोपाल लीला संस्थान के कलाकारों ने मंगलवार को सीता जन्म और विश्वमित्र आगमन की लीला प्रस्तुत कर दर्शकों को भाव विभोर कर दिया।
कलाकारों ने लीला में दर्शाया कि रावण संतों का रक्त बहाता है। संत रावण को शाप देते है कि इस रक्त को वह जहां भी रखोगे वहां पर अकाल पड़ जाएगा। रावण उस रक्त को जनक के राज्य की सीमा में रख देता है। रक्त के कारण राजा जनक के राज्य में अकाल पड़ जाता है। किसान परेशान हो जाते है। गुरु सतानंद राजा जनक को राज्य में अकाल पड़ने व वर्षा न होने का कारण बताते है और सलाह देते है कि प्रजा के कल्याण के लिए राजा व रानी को सोने का हल बनवाकर पृथ्वी पर चलाना चाहिए, इससे वर्षा जरूर होगी। राजा जनक गुरु की सलाह पर सोने का हल बनवाकर पृथ्वी पर चलाते है। इसी बीच एक जगह हल का निचला हिस्सा फंस जाता है। उस जगह को खोदने पर उसमें से एक कन्या निकलती। राजा जनक उस कन्या को राज्य में लेकर आते है और उसका नाम सीता रखते है। इसके बाद लीला में दिखाया गया कि बक्सर वन में मुनि विश्वामित्र अपने शिष्यों के साथ निवास करते है। वह सौ यज्ञ करने का संकल्प लेते है, लेकिन राक्षस सौवें यज्ञ को पूरा करने में व्यवधान डालते है। विश्वामित्र राक्षसों को अनेकों प्रकार से प्रताड़ना देते है, लेकिन वह फिर भी नहीं मानते। विश्वामित्र ध्यान लगाकर देखते है कि कि नारायण भगवान इस समय कहां है तब उन्हें ज्ञात होता है कि नारायण भगवान अयोध्या में जन्म ले चुके हैं। मुनि विश्वामित्र नारायण भगवान को लेने के लिए वक्सर वन से निकल पड़ते है और अयोध्या पहुंच जाते है। राजा दशरथ विश्वामित्र के आगमन पर उनका स्वागत करते है और उनसे आने का कारण पूछते है। लीला में पूर्व पालिकाध्यक्ष रामप्रकाश शुक्ला, कृष्ण अवतार दीक्षित, वियोग चंद्र मिश्रा, प्रेम शंकर द्विवेदी, सुरेश पांडेय, प्रमोद मिश्रा, मुनेंद्र सिंह, बबलू शुक्ला, संतोष मौजूद रहे।