आजादी के बाद कोविड-19 से लड़ाई में महती भूमिका में दिखेगी खादी
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हरदोई : खादी का आजादी से गहरा नाता रहा है। अब खादी कोविड-19 के संक्रमण काल में भी महती भूमिका में नजर आएगी। गांधी जी ने खादी को न केवल पहना, बल्कि अंग्रेजों से लड़ाई और हिदुस्तान के लोगों को स्वदेशी के प्रति प्रेरित करने को खुद चरखा चलाया था। प्रधानमंत्री की ओर से आत्मनिर्भरता एवं स्वदेशी के आह्वान से जिले के (एक जनपद-एक उत्पाद) हैंडलूम उद्योग को और गति मिलनी तय है।
वैसे तो एक जनपद-एक उत्पाद में प्रदेश सरकार ने हैंडलूम को बढ़ावा दिया है। प्रधानमंत्री के आह्वान से हैंडलूम उद्योग एवं व्यवसाय से जुड़े लोगों में एक और उम्मीद जागी है। खादी की मांग बढ़ेगी और लोग फिर से खादी की ओर से लौटेंगे। जिले के कस्बा मल्लावां एवं आसपास के गांवों में बुनकर खादी तैयार करते हैं। यहां तैयार उत्पाद जिले में ही नहीं आसपास के जिलों और राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा सहित कई प्रांतों में पसंद किए जाते हैं। लॉकडाउन में हैंडलूम का कारोबार मंदा पड़ा है, लेकिन उत्पादन पर बहुत असर नहीं हुआ। हैंडलूम तैयार कराने वाली समितियों की ओर से कारीगरों को कच्चा माल और काम उपलब्ध कराया जा रहा है। समितियां ही तैयार उत्पाद भी क्रय कर रहीं हैं। डीएम पुलकित खरे का कहना है कि खादी को बढ़ावा दिए जाने के लिए बुनकरों एवं इससे जुड़ी समितियों को शासन की ओर से अनुमन्य सभी लाभ और सहूलियत उपलब्ध कराई जा रही हैं। कहना है कि स्वदेशी के आह्वान से मांग बढ़ेगी, जिससे बुनकरों को काम मिलेगा और आर्थिक रूप से मजबूत होंगे।
बुनकर समिति से जुड़े महेसर हुसैन का कहना है कि कलेक्ट्रेट में दुकान होने से खादी का जिले में प्रसार और उत्पाद बढ़ा है। स्वदेशी के आह्वान से बुनकरों को जरूर लाभ होगा। उत्पाद की मांग बढ़ेगी। दूसरे प्रांतों के साथ ही सरकारी तौर पर भी खरीदारी से प्रोत्साहन मिलेगा।
नंबर गेम इनसेट
1000 हथकरघा हैं क्रियाशील
4000 कारीगरों को मिल रहा है रोजगार
10 समितियां तैयार करा रहीं उत्पाद