भक्तिमय माहौल में चारों तरफ जय-जयकार
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कोथावां: पौराणिक 84 कोसी परिक्रमा से समूचा क्षेत्र भक्तिमय हो गया है। चारों तरफ रामादल की जय-जयकार सुनाई पड़ रही है। गुरुवार को परिक्रमा चौथे पड़ाव उमरारी पहुंची। परिक्रमा में शामिल साधु-संत एवं श्रद्धालुओं ने जगह-जगह डेरा डाल कर प्रभु नाम संकीर्तन में लीन दिख रहे हैं। परिक्रमा मेला में देश के दूरस्थ प्रदेशों से भी परिक्रमार्थी अपने मोक्ष के लिए आए। परिक्रमा में आए श्रद्धालुओं का कहना है कि परिक्रमा सनातन धर्म का एक पंथ है। 84 लाख योनियों से छुटकारा पाकर मोक्ष प्राप्त करने का साधन है, इसलिए इसमें पुरुषों के साथ-साथ महिलाएं भी भाग लेती हैं। साधु संतों का कहना है कि सनातन धर्म जीवन जीने की पद्धति है। यह किसी को नकारती नहीं सबको स्वीकारती है सबको अपने में समाहित करती है। बनगन वाले बाबा जी ने बताया कि परिप्रेक्ष्य में इसका महत्व और भी बढ़ जाता है, क्योंकि अन्य धर्म अब सिर्फ अपनी बात करते हैं तथा दूसरे धर्म को नकारते हैं। ऐसे में सनातन धर्मियों को अपनी परिपाटी को मजबूती प्रदान करने की जरूरत है। आस्था में डूबे संत-महात्मा और गृहस्थ
परिक्रमा में चारों तरफ केवल कथा और सतसंग ही सुनाई दे रहा है। आस्था में डूबे संत-महात्मा ही नहीं, गृहस्थ भी राम नाम की माला ही जपते दिख रहे हैं। हर कोई बस राम नाम का ही दीवाना दिख रहा है। आधी रात के बाद परिक्रमा अपने अगले पड़ाव की तरफ बढ़ जाती और सुबह होते होते जंगल में मंगल हो जाता। हर तरफ भगवत चर्चा ही दिख रही है। हर तरफ पूजा-पाठ
परिक्रमा में जहां त्रिपाल और तंबू लगे दिख रहे हैं। वहीं दूर दूर से आए साधू तपस्या में लीन दिख रहे हैं। नागा बाबा धूनी लगाए बैठे हैं। कोई सड़क के किनारे पूजन करता दिखता कोई दुकान के किनारे। सुरक्षा की कमान संभाले पुलिस
मेला की सुरक्षा व्यवस्था मजबूत की गई है। बेनीगंज कोतवाल दीपक सिंह खुद पूरी कमान संभाले हैं। रात से ही वह परिक्रमा स्थल पर मौजूद रहते हैं और पूरा दिन उसी में लगे रहते। हर साधु -संत का सम्मान और स्वागत अन्य को सुरक्षा देने में पुलिस और प्रशासन लगा हुआ है।