Move to Jagran APP

बिना परखनली के प्रयोग करेंगे बच्चे

ठ्ठश्र ह्लद्गह्यह्ल ह्लह्वढ्डद्ग ठ्ठश्र ह्लद्गह्यह्ल ह्लह्वढ्डद्ग ठ्ठश्र ह्लद्गह्यह्ल ह्लह्वढ्डद्ग ठ्ठश्र ह्लद्गह्यह्ल ह्लह्वढ्डद्ग ठ्ठश्र ह्लद्गह्यह्ल ह्लह्वढ्डद्ग ठ्ठश्र ह्लद्गह्यह्ल ह्लह्वढ्डद्ग ठ्ठश्र ह्लद्गह्यह्ल ह्लह्वढ्डद्ग ठ्ठश्र ह्लद्गह्यह्ल ह्लह्वढ्डद्ग ठ्ठश्र ह्लद्गह्यह्ल ह्लह्वढ्डद्ग ठ्ठश्र ह्लद्गह्यह्ल ह्लह्वढ्डद्ग

By JagranEdited By: Published: Wed, 04 Dec 2019 10:38 PM (IST)Updated: Wed, 04 Dec 2019 10:38 PM (IST)
बिना परखनली के प्रयोग करेंगे बच्चे

हरदोई : माध्यमिक स्कूलों में प्रयोगशालाएं और उनसे संबंधित उपकरण होने के दावे किए जाते है, लेकिन जमीनी हकीकत में अधिकांश राजकीय विद्यालयों के साथ वित्तविहीन विद्यालयों में कागजों पर प्रयोगशालाएं संचालित हो रही है। 60 फीसद से अधिक विद्यालयों में प्रयोग से संबंधित उपकरण तक नहीं है।

loksabha election banner

जनपद में 620 माध्यमिक विद्यालय संचालित है, इनमें आठ जीआइसी व जीजीआइसी, 53 राजकीय स्कूल, 72 एडेड स्कूल और 487 वित्तविहीन विद्यालय शामिल है। मान्यता के समय विद्यालयों में प्रयोगशाला अनिवार्य है। इसके तहत स्कूलों में प्रयोगशालाएं तो बनी है, लेकिन अधिकतर विद्यालयों की प्रयोगशाला खानापूर्ति तक सीमित है। इनमें भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान व जीव विज्ञान से संबंधित उपकरण तक नहीं है। अधिकांश प्रयोगशालाओं में परखनली तक उपलब्ध नहीं है। विज्ञान वर्ग के छात्र-छात्राएं प्रयोगशालाओं के बारे में नहीं जानते। अधिकांश स्कूलों में प्रयोगात्मक परीक्षाओं के नाम पर खानापूर्ति होने से इन्कार नहीं कर सकते। 15 से शुरू होगी प्रयोगात्मक परीक्षाएं : माध्यमिक शिक्षा परिषद की इंटरमीडिएट के विज्ञान वर्ग के परीक्षार्थियों की प्रयोगात्मक परीक्षाएं 15 दिसंबर से शुरू होनी है। इसको लेकर बोर्ड स्तर से परीक्षकों की नियुक्ति करने की प्रकिया चल रही है। जिले में यह हैं विद्यालयों की स्थिति

8 जीआइसी व जीजीआइसी

53 राजकीय विद्यालय

72 एडेड विद्यालय

487 माध्यमिक विद्यालय पिछले वर्षों में जिन्होंने ली प्रयोगात्मक परीक्षाएं, वहीं कॉपी जांचने नहीं पहुंचे : पिछले वर्ष 2018-19 की बोर्ड की प्रयोगात्मक परीक्षा के लिए विज्ञान वर्ग के 46 शिक्षकों को परीक्षक बनाया गया। यह शिक्षक प्रयोगात्मक परीक्षा के लिए स्कूलों में पहुंचे, लेकिन मूल्यांकन के दौरान 12 शिक्षकों ने उपस्थिति दर्ज कराई। इससे पहले वर्ष 2017-18 में 53 शिक्षकों को बोर्ड ने परीक्षक बनाया। शिक्षकों ने प्रयोगात्मक परीक्षाएं तो कराई, लेकिन मूल्यांकन के दौरान महज 13 शिक्षक उपस्थित हुए। हालात यह रहे कि शिक्षकों की कमी के चलते भौतिक विज्ञान की उत्तर पुस्तिकाएं पड़ोसी जनपद शाहजहांपुर को भेजनी पड़ी। शिक्षकों की कमी भी बनती बाधा : जीआइसी, जीजीआइसी और एडेड विद्यालयों को छोड़कर अधिकांश राजकीय विद्यालयों में विज्ञान के शिक्षक नहीं है। यही हाल वित्तविहीन विद्यालयों का है। इनमें शिक्षकों की कमी के चलते प्रयोगशालाएं बंद है और छात्र-छात्राओं को प्रयोग करने का मौका नहीं मिल रहा है। डीआइओएस बोले..

डीआइओएस वीके दुबे ने बताया कि राजकीय विद्यालयों के शिक्षकों की टीम गठित कर प्रयोगशालाओं की जांच कराई जाएगी। जहां उपकरण का अभाव होगा, उन विद्यालयों के संचालकों, प्रधानाचार्यों को बख्शा नहीं जाएगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.