बीस घंटे छत पर पड़ा रहा शव, रिश्तेदारों ने भी शव को हाथ नहीं लगाया
-मदद मांगते रहे पुत्र-पुत्रियां रिश्तेदारों ने भी बुजुर्ग के शव को हाथ नहीं लगाया -समाजसेवी ने मदद कर शव को शमशान घाट पहुंचाया
हरदोई: बुजुर्ग लड़ैती देवी की तो सांसें रुक गईं, लेकिन इंसानियत मर गई। शारीरिक रूप से अक्षम सेवानिवृत्त दारोगा और उनका पुत्र व पुत्रियां रिश्तेदारों से लेकर मुहल्ले वालों से मदद की गुहार लगाते रहे, पर सभी ने निगाहें फेर लीं। हर कोई किनारा करता रहा। 20 घंटे शव छत पर ही पड़ा रहा। भला हो राजबर्धन सिंह का, जिन्हें फोन पर सूचना मिली तो वह शव वाहन लेकर घर पहुंचे। चादर में उठाकर शव, वाहन पर रखकर शमशान घाट पहुंचाया गया। यह पहला मामला नहीं है। कोरोना के खौफ में गांव-मुहल्ला के लोग तो दूर रिश्तेदार शव को हाथ नहीं लगा रहे हैं।
शहर के मुहल्ला आजादनगर निवासी मक्कालाल पुलिस विभाग में दारोगा से सेवानिवृत्त हुए हैं। इन दिनों वह चलने फिरने में असमर्थ हैं। पुत्र भी कमजोर है, दो पुत्रियां हैं। मंगलवार की शाम मक्कालाल की बुजुर्ग पत्नी लड़ैती देवी का लंबी बीमारी से निधन हो गया। उनकी पुत्री सुमन कुमारी ने बताया कि मां का शव छत पर था। पिता अक्षम हैं वह दोनों बहन और भाई शव को नीचे नहीं उतार सकते थे। मूल रूप से हरियावां के उतरा निवासी मक्कालाल ने गांव फोन किया, सभी बस अभी आ रहे ही कहते रहे। मंगलवार दोपहर तक कोई नहीं आया। सुमन कुमारी ने बताया कि पड़ोसियों से भी उसने मदद मांगी लेकिन सभी ने दरवाजे बंद कर लिए। कुछ लोगों ने उसे राजबर्धन सिंह का नंबर दिया तो उसने उन्हें फोन कर मदद मांगी, हालांकि राजबर्धन साथियों के साथ पहुंचे और शव को छत से नीचे लाकर वाहन से उसे शमशान घाट पहुंचवाया और वहां पर अंतिम संस्कार किया गया। लड़ैती की मौत का पहला मामला नहीं है। अभी बिलग्राम क्षेत्र में दिव्यांग पुत्र मदद मांगता रहा लेकिन उसकी मां के शव को किसी ने हाथ नहीं लगाया। कोरोना से जिनकी मौत हो रही है वह अलग है, लेकिन बीमारी से मर रहे लोगों की मदद को भी कोई आगे नहीं आ रहा है।