मेहनत और लगन से युवाओं ने लिखी सफलता की इबारत
-देश से लेकर विदेश तक जिले का मान बढ़ा रहे हैं युवा -युवा विज्ञान के साक्षी साफ्टवेयर को मुख्य सचिव ने सराहा और प्रदेश में लागू कराने का लिया है निर्णय
हरदोई : आज स्वामी विवेकानंद की जयंती और राष्ट्रीय युवा दिवस है। स्वामी विवेकानंद द्वारा दिए गए भाषण युवाओं के लिए आज भी प्रेरणास्त्रोत हैं। अभिनव प्रयोग, तरक्की और संघर्षों से सफलता की कहानी लिखने वाले युवाओं ने देश और विदेश में जिले को पहचान दिलाई।
जिले की माटी में खेले-पढ़े और बढ़े संचित पाठक मेहनत और लगन के बल पर अमेरिका के न्यूयार्क में रॉयल बैंक ऑफ कनाडा के लिए काम कर रहे हैं। शहर के न्यू सिविल लाइन्स दिनेश पाल पाठक के पुत्र संचित पाठक की प्रारंभिक शिक्षा शहर में हुई। उच्च शिक्षा हासिल करने के साथ लखनऊ के इंटीग्रल यूनिवर्सिटी से बी-टेक करने किया। बी-टेक करने के साथ ही नौकरी की तलाश में जुट गए और टाटा कंसलटेंसी सर्विसेस मं कंप्यूटर इंजीनियर के पद नियुक्ति मिली। कंपनी ने उनकी योग्यता और दक्षता को देखते हुए अमेरिका के न्यूयार्क में तैनाती दी है। वह कहते हैं कि छात्र को अपना लक्ष्य तय कर पढ़ाई और मेहनत करनी चाहिए। लक्ष्य हासिल करने में दिक्कतें आती हैं पर, कठिन परिश्रम और संघर्ष से गुजरने के बाद सफलता अवश्य मिलती है। शहर के कोयल बाग कालोनी में रह रहे विज्ञानी अमित मिश्रा की सफलता के पीछे भी संघर्ष की बड़ी दास्तां छिपी है। कक्षा नौ की पढ़ाई के दौरान पिता लक्ष्मीकांत मिश्रा का साया सिर से उठ गया। वह कहते हैं कि पिता के देहांत और पढ़ाई के शुरूआती दौर में कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि भविष्य क्या होगा? अचानक आए अभाव ने संघर्ष की सीख दी और उन्होंने पढ़ाई के प्रति गंभीरता से ध्यान देना शुरू किया। प्रारंभिक शिक्षा हरदोई में हुई। हिमांचल के हमीरपुर स्थिति एनआइटी से एम-टेक किया और केंद्रीय सूचना एवं विज्ञान प्रौद्योगिकी विभाग में विज्ञानी के पद पर नियुक्ति मिली। वर्तमान में वह राष्ट्रीय सूचना एवं विज्ञान केंद्र में जिला सूचना विज्ञान अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने विज्ञानी के रूप में साक्षी साफ्टवेयर और एप बनाए। जिन्हें मुख्य सचिव ने सराहा और प्रदेश में प्रभावी कराए जाने के आदेश दिए। स्वास्थ्य सेवाओं पर और शिक्षा से जुड़े एप तैयार किए हैं। स्वास्थ्य एवं शिक्षा से जुड़ी शिकायतों के लिए क्रश और कोविड-19 के बचाव में अहम भूमिका निभाने वाले इंटीग्रेटेड डिस्ट्रिक्ट कमांड एवं कंट्रोल सिस्टम एप को बनाया है। यह एप एनआइसी की वेबसाइट पर आमजन के लिए भी उपलब्ध कराए गए हैं। वह कहते हैं कि विद्यार्थियों को संघर्ष से मुहं नहीं मोड़ना चाहिए और मेहनत के बल पर किस्मत लिखनी चाहिए।
साल 2010 में एक हादसे में दाहिना हाथ गंवाने वाले बिलग्राम क्षेत्र के हसनापुर निवासी विशाल कुमार सिंह शूटिग में अपनी मेहनत का लोहा मनवा रहे हैं। पिता सुशील कुमार सिंह खेतीबाड़ी करते हैं और हादसे के बाद वह पुत्र की शिक्षा और भविष्य को लेकर चितित रहने लगे। विशाल का कहना है कि हाथ गवाने के बाद भी लक्ष्य नहीं भूला और एक हाथ से ही लक्ष्य साधना शुरू कर दिया। अब तक वह क्रासबो शूटिग की कई राष्ट्रीय चैंपियनशिप जीत चुके हैं।चार सौ और सौ मीटर दौड़ में यूपी स्टेट पैरास्पोर्ट्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पद हासिल किए हैं। विशाल का कहना है कि मेहनत और लगन से सब संभव है।
मिल कालोनी निवासी प्रवीण सिंह क पुत्र निखिल सिंह ने अभाव को मात देते हुए खेलों में देश का नाम विदेश तक रोशन किया। निखिल सिंह ने यूरोप के सर्विया में वर्ष 2018 में हुए सैम्बो वर्ल्ड कप में कांस्य पदक हासिल किया। राष्ट्रीय स्तर की कई प्रतियोगिताओं में रजत और स्वर्ण पद जीत चुके हैं। निखिल का कहना है कि अभाव ने उन्हें जीवन जीने और लक्ष्य पाने का सबक दिया है।