न बनी चीनी मिल और न मिली किसानों को जमीन
-चीनी मिल बन जाती तो युवाओं को मिलता रोजार
मल्लावां(हरदोई) : सरकारें आईं और चली गईं, लेकिन न चीनी मिल मिली और न ही किसानों को उनकी जमीन मिल पाई। 28 वर्ष पूर्व क्षेत्र के बीकापुर, बरौना, दारापुर की भूमि पर बनने वाली चीनी मिल के न बनने से युवाओं में निराशा है। सरकार द्वारा चीनी मिल को दिया गया लाइसेंस निरस्त कर जमीन वापस ले ली गई, जिससे किसानों की बची हुई आस भी टूट गयी।
मल्लावां विकास खंड के अंतर्गत 54 ग्रामसभा आती है। क्षेत्र में कोई भी उद्योग, लघु उद्योग न होने से क्षेत्र का विकास नहीं हो पाया है, जिसके चलते युवाओं को रोजगार के लिए शहरों की ओर पलायन करना पड़ रहा है। तीन दशक पूर्व 1993 में चीनी मिल लगाने की घोषणा भी हुई थी, जिसके लिए सरकार ने बीकापुर, बरौना व दारापुर तीन गावों की 250 बीघा जमीन भी पेट्रान इंटरनेशनल प्राइवेट इंडिया लिमिटेड कंपनी को दी। तब बरौना के 245 किसानों से दारापुर के 15, बीकापुर के 18 किसान व 15 पट्टाधारकों के पट्टा निरस्त करके 73 किसानों की 100 बीघा जमीन ली गई थी। तीनों ग्राम सभा की 150 बीघा जमीन लेकर कंपनी को 250 बीघा जमीन चीनी मिल लगाने के इस शर्त पर दी गई थी कि जमीन की कीमत के साथ एक व्यक्ति को नौकरी मिल में दी जाएगी। चीनी मिल लगने की घोषणा से लोगों में उत्साह के साथ क्षेत्र का विकास और युवाओं को नौकरी लगने की आस थी। कंपनी ने जमीन के ऊपर बाउंड्रीवाल खड़ी कर दो तीन बार मशीनें भी लगाई, लेकिन चीनी मिल नहीं लगाई। इससे लोगों को निराशा हुई। दो वर्ष पूर्व सरकार ने जमीनों के पट्टे निरस्त कर जमीन को कंपनी से वापस ले ली गई। किसानों का कहना है कि न उनकी जमीन मिली और न ही उन्हें रोजगार मिल पाया।