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स्वास्थ्य विभाग नहीं चुका पा रहा माताओं की उधारी

पंच लाइन : स्टेट बैंक का खातों की जानकारी करने वाला नंबर खराब, खातेदार परेशान हरदोई : बैंकों ने अपने खातेदारों की सुविधा के लिए एक मोबाइल नंबर दिया है। इस नंबर को खातेदार द्वारा अपने मोबाइल नंबर से रजिस्टर्ड कराना होता है। रजिस्ट्रेशन के बाद मिस कॉल करने पर ही खाते का बैलेंस का मैसेज आ जाता है। स्टेट बैंक की सुविधा आजकल बाधित चल रही है, इससे खातेदार परेशान हैं। इस पर समस्या को उठाती खबर। वर्जन : मुख्य प्रबंधक स्टेट बैंक (शब्द- 250, समय- 3.00 बजे, रिपोर्टर- केके अवस्थी, मो. नं. 9415595101)

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Feb 2019 10:41 PM (IST)Updated: Sun, 17 Feb 2019 10:41 PM (IST)
स्वास्थ्य विभाग नहीं चुका पा रहा माताओं की उधारी
स्वास्थ्य विभाग नहीं चुका पा रहा माताओं की उधारी

हरदोई : मंशा तो अच्छी थी, लेकिन सिस्टम की लापरवाही से उद्देश्य पूरा नहीं हो पा रहा है। जननी सुरक्षा योजना में प्रसूताओं को स्वास्थ्य विभाग भुगतान नहीं कर सका है। हर माह उधारी बढ़ती जा रही है। वर्ष 2018 में 9700 से अधिक प्रसूताओं का भुगतान बकाया है। यह संख्या बढ़ती ही जा रही है। अब जब रुपयों की जरूरत है तो मिल नहीं पा रहे हैं और जरूरतमंदों को इसका कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है।

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राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत जननी सुरक्षा योजना में प्रसूताओं को 1400 रुपये दिए जाते हैं। व्यवस्था के अनुसार अस्पताल से छुट्टी होने के बाद प्रसूताओं को भुगतान हो जाना चाहिए। इसके लिए अस्पताल में भर्ती होने के बाद से ही खाता नंबर आधार कार्ड आदि जमा करा लिया जाता है, लेकिन उसके बाद भी समय पर भुगतान नहीं हो पाता। ऐसा नहीं कि धनराशि की कमी है। धनराशि होती है, लेकिन सिस्टम की लापरवाही से समय पर भुगतान नहीं हो पाता। गत वर्ष की समीक्षा में सामने आए आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2018 में कुल 40,715 प्रसव हुए थे। जिसमें 20,960 भुगतान कर दिया गया, लेकिन 9755 प्रसूताओं का भुगतान नहीं हो सका है। महीनों बीत गए, लेकिन उधारी बरकरार है। ऐसे में यह प्रसूताएं योजना का लाभ नहीं ले पा रही हैं। न समय पर पौष्टिक आहार ले पाती और न ही बच्चों की देखभाल। विभाग का कहना है कि प्रसूताएं ही सक्रिय नहीं हैं, लेकिन विभाग कितना सक्रिय है और अभी तक क्या कोशिश की इसका किसी के पास कोई जवाब नहीं है। सीएमओ डा. एसके रावत का कहना कि अभियान चल रहा है।


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