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परियोजनाएं अधूरी, लागत हो गई दोगुणी

-उप्र राजकीय निर्माण निगम के अभियंताओं की अनदेखी का नतीजा -स्वास्थ्य शिक्षा व राजस्व से जुड़ी हैं परियोजनाएं पुनरीक्षित एस्टीमेट में बढ़ गई कार्य की लागत

By JagranEdited By: Published: Fri, 12 Nov 2021 10:45 PM (IST)Updated: Fri, 12 Nov 2021 10:45 PM (IST)
परियोजनाएं अधूरी, लागत हो गई दोगुणी
परियोजनाएं अधूरी, लागत हो गई दोगुणी

हरदोई : जिम्मेदारों की लापरवाही से एक तो समय से परियोजनाएं पूरी नहीं हो पाईं, वहीं पुनरीक्षित एस्टीमेट में इन परियोजनाओं की लागत में करीब-करीब दोगुणी वृद्धि हो गई है। परियोजना लागत में वृद्धि से सरकारी खजाना पर भार बढ़ा है और लोगों को इन परियोजनाओं का अभी तक लाभ भी नहीं मिल पाया है।

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स्वास्थ्य, शिक्षा और राजस्व विभाग से जुड़ी चार परियोजनाओं का काम एजेंसी के तौर पर उप्र राजकीय निर्माण निगम के पास है। संडीला में क्षेत्र के छात्रों को प्राविधिक शिक्षा की सुविधा के लिए राजकीय पालिटेक्निक की स्वीकृति वर्ष 2014 में हुई। तब डीपीआर (डिटेल प्राजेक्ट रिपोर्ट) के अनुसार इसकी लागत 6.45 लाख स्वीकृत हुई। समय से निर्माण पूरा न होने पर वर्ष 2021 में पुनरीक्षित एस्टीमेट में इसकी लागत 12.80 लाख हो गई। 12 लाख रुपये व्यय होने के बाद अभी भी अधूरी है। संडीला में ही राजकीय इंटर कालेज के निर्माण के लिए वर्ष 2019 में 2.77 लाख की स्वीकृति हुई और अभी तक भवन अधूरा है।

बताया गया कि ऐसे ही शाहाबाद तहसील में आवासीय भवनों के निर्माण के लिए मई 2017 में 3.40 लाख की स्वीकृति हुई, लेकिन समय से कार्य पूरा न होने से पुनरीक्षित एस्टीमेट में लागत बढ़कर 6.01 लाख हो गई है। अक्टूबर तक कार्य पूरा होने थे, लेकिन अभी निर्माणाधीन हैं। बावन के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर बाउंड्रीवाल सहित अन्य कार्यों के लिए 3.74 लाख की स्वीकृति वर्ष 2014 में हुई थी। परियोजना पर समय से काम पूरा न होने से एस्टीमेट पुनरीक्षित किए जाने से 5.74 लाख हो गई और काम भी अभी पूरा नहीं हो पाया है। उप्र राजकीय निर्माण निगम के परियोजना प्रबंधक को अक्टूबर तक की डेडलाइन दी गई थी, लेकिन उन्होंने कार्य पूरे नहीं करा पाए हैं। परियोजना प्रबंधक को चेतावनी दी गई है। नवंबर में काम पूरे करा लेने की अंतिम डेडलाइन दी गई है। नवंबर बाद भी परियोजना अपूर्ण रहने पर संबंधित कार्यप्रभारी सहित परियोजना प्रबंधक के विरुद्ध कार्रवाई की संस्तुति की जाएगी।

-अविनाश कुमार, जिलाधिकारी


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