सुबह सुहाने मौसम में मतदान केंद्रों की तरफ खूब बढ़े कदम
जागरण संवाददाता हरदोई दिन तो रोज आते हैं पर सोमवार खास था। होता भी क्यों नहीं जाति धर्म सभी से ऊपर देश के लोकतंत्र का महापर्व था।
हरदोई: दिन तो रोज आते हैं, पर सोमवार खास था। होता भी क्यों नहीं जाति धर्म सभी से ऊपर देश के लोकतंत्र का महापर्व था। चिड़ियों की चहचहाहट के साथ लोग उठ गए। सड़कों पर सन्नाटा पसरा था। जैसे जैसे सूरज ने लालिमा बिखेरना शुरू किया, वैसे वैसे मतदाताओं ने बूथों की तरफ रुख किया। उल्लास ऐसा कि सुबह सात बजे मतदान शुरू होते ही लाइन लग गईं। सभी के दिमाग में एक ही बात थी कि धूप भी तेज होगी, गर्मी भी बढ़ेगी इसलिए समय पर मतदान कर अपनी जिम्मेदारी निभाएं। ग्रामीण क्षेत्रों में भी कुछ ऐसा ही नजारा था। गेहूं की कटाई का समय होने के कारण अधिकांश किसानों ने सुबह ही वोट डाला और फिर खेत पर गेहूं कटाई करने पहुंच गए। वहीं किसानों ने सुबह ठंडक में गेहूं काटे और फिर दोपहर का मतदान किया। हरदोई से बिलग्राम की तरफ निकलने पर कृषि फार्म स्थित मतदान केंद्र पर सुबह सात बजे ही लाइन लगी थी। लोगों का कहना था कि जितनी जल्दी हो मतदान कर लें। ग्रामीण क्षेत्रों की तरफ भी ऐसा ही दिखा। खेतों में किसान थे, मतदान केंद्रों पर भी भीड़ दिखी लेकिन जैसे जैसे सूरज की तपिश बढ़ती गई, धीरे धीरे मतदान केंद्रों पर सन्नाटा बढ़ता गया। दोपहर एक बजे तक अधिकांश केंद्रों पर सन्नाटा छा गया। महिलाएं जरूर वोट डालने जा रही थीं। पाली से शाहाबाद हर केंद्र पर ऐसा ही नजारा था। शाम तीन बजे भी धूप थी, लेकिन जैसे ही चार बजे, केंद्रों पर एक बार फिर लोग आ गए और फिर मतदान में भाग लिया। शाम छह बजे तक केंद्रों पर खूब वोट पड़े।