रक्तदान और शिक्षा का दीप जलाकर कर रहे समाज की सेवा
-वर्ष 2002 में मां को पड़ी रक्त की जरूरत तब नहीं मिला था कोई दाता वर्ष 2004 से शुरू किया रक्तदान
हरदोई : मां की जान बचाने के लिए सबसे पहले रक्तदान कर शुरुआत करने वाले बावन ब्लाक के शिक्षक ने शिक्षा का दीप जलाने के साथ ही रक्तदान का रिकार्ड बनाया है, उन्होंने 18 साल में 62 बार रक्तदान किया है और उनका लक्ष्य सौ बार रक्तदान करने का है।
बावन ब्लाक के ग्राम मढिया के शैलेंद्र राठौर शिक्षक हैं। शैलेंद्र ने कई पुस्तकें लिखी हैं और उनका प्रकाशन भी हुआ है, जिसमें प्रमुख हिदी के सरस साहित्य सुधा, संस्कृत की सरस सिद्धांत कौमुदी, हिदी व्याकरण त्विषाक्षरा और हिदी साहित्य का इतिहास त्विषाक्षी प्रमुख है। इसके साथ ही वह प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी भी कराते हैं। उन्होंने बताया कि वर्ष 2002 में मां मुन्नी देवी की तबीयत खराब हो गई थी और चिकित्सक ने दो यूनिट ब्लड की आवश्यकता बताई थी। रक्त देने के लिए दोस्तों और रिश्तेदारों से बात की, उन्होंने साफ इन्कार कर दिया था। सबसे पहले मां के लिए रक्तदान किया और फिर उन्होंने संकल्प लिया कि अब किसी की भी जान रक्त की कमी से नहीं जाने देंगे और 2004 से रक्तदान करना शुरू कर दिया। 36 वर्ष की उम्र में अब तक 62 बार रक्तदान कर चुके हैं। रक्तदान शिविर के साथ ही अगर किसी जरूरतमंद को रक्त की आवश्यकता पड़ती है तो वह उसे रक्त देने के लिए अस्पताल पहुंच जाते हैं। शैलेंद्र का मानना है कि अगर हम दूसरों की मदद करेंगे तो हमारी मदद को भी लोग आएंगे। जिला अस्पताल के टेक्नीशियन अकील खान ने बताया कि हर स्वस्थ व्यक्ति तीन माह में रक्तदान कर सकता है। शिक्षक शैलेंद्र राठौर लगातार रक्तदान करते रहते हैं, जब भी शिविर लगता है या फिर किसी को रक्त की आवश्यकता होती है, जानकारी मिलने पर वह रक्तदान करने के लिए पहुंच जाते हैं।