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बुखार का कहर, रोजाना हो रहीं मौतें

हरदोई : जिले में संक्रामक रोग मरीजों के लिए काल बनता जा रहा है। हर क्षेत्र में बुखार फै

By JagranEdited By: Published: Thu, 20 Sep 2018 11:31 PM (IST)Updated: Thu, 20 Sep 2018 11:31 PM (IST)
बुखार का कहर, रोजाना हो रहीं मौतें
बुखार का कहर, रोजाना हो रहीं मौतें

हरदोई : जिले में संक्रामक रोग मरीजों के लिए काल बनता जा रहा है। हर क्षेत्र में बुखार फैला है। देंखे तो अभी तक पूरे जिले में 115 से अधिक मौतें हो चुकी हैं। जिला अस्पताल में तो पलंग तक नहीं बचे हैं। वहीं स्वास्थ्य महकमे के पास बुखार से लड़ने वाली पैरासिटामाल तक उपलब्ध नहीं है।

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जिले में वायरल फीवर, मलेरिया, दिमागी बुखार के साथ ही डेंगू ने भी दस्तक दे दी है। हर क्षेत्र के गांव में मरीज बुखार से परेशान हैं और जब वह जांच कराता है तो उसे मलेरिया या वायरल फीवर की पुष्टि होती है। इसके साथ ही मल्लावां, टड़ियावां में दिमागी बुखार के साथ ही डेंगू के भी मरीज मिले हैं, जिनकी लखनऊ में जांच कराई गई और जांच रिपोर्ट में कई मरीज दिमागी बुखार व डेंगू से पीड़ित होने की बात सामने आई, लेकिन स्वास्थ्य महकमा जिले में दिमागी बुखार और डेंगू के फैलने की बात को स्वीकार नहीं कर रहा है। बीते 20 दिनों में जिले में बुखार से 115 लोगों की मौत हो चुकी है। जिसमें सबसे अधिक संडीला क्षेत्र में 75 से अधिक मरीज दम तोड़ चुके हैं और टड़ियावां में आठ, बेनीगंज में पांच, बेहटा गोकुल में छह और जिला अस्पताल में 20 मरीजों की मौत हो चुकी है। वहीं स्वास्थ्य महकमा इस पर पर्दा डाल रहा है। जिले के नोडल अधिकारी डा. स्वामी दयाल बुखार से कुल 23 मौतें होने की बात कह रहे हैं।

जिले में बुखार समेत कई बीमारियों ने पांव पसार रखे हैं और इनसे मरीजों की जान भी जा रही है। बीमारियों के चलते अस्पतालों में मरीजों की भीड़ बढ़ गई है, लेकिन खास बात यह है कि यहां पर बुखार से लड़ने वाली टैबलेट पैरासिटामाल तक उपलब्ध नहीं है और मरीजों को बाहर से दवाएं खरीदनी पड़ रही हैं। जब जिला अस्पताल में बुखार की टैबलेट नहीं है तो सीएचसी और पीएचसी का हाल इससे भी बदतर है। जांच रिपोर्ट में होता खेल : तीन दिनों तक लगातार बुखार आने पर मरीज की जांच कराई जाती है। जिला अस्पताल और सीएचसी की पैथालाजी में बुखार और मलेरिया की पुष्टि नहीं होती है, लेकिन जब मरीज बाहर से या लखनऊ में जांच कराता है तो बुखार या मलेरिया की पुष्टि हो जाती है। इससे साफ जाहिर है कि स्वास्थ्य महकमा जांच रिपोर्ट में भी खेल कर रहा है।


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