जीवन साथी ने छोड़ा साथ तो पेड़ पौधों से जोड़ा नाता
होटल में खाना बनाने वाला कक्षा पांच पास किसान नेट पर पौधे खोजकर कर रहा बागवानी -मजदूरी कर दूर दूर से लेकर आते पौधे दिन रात करते उनकी सेवा
पंकज मिश्रा, हरदोई : जीवन साथी ने साथ छोड़ दिया तो पेड़ पौधों को जिदगी बना लिया। जरूरत पड़ने पर मजदूरी कर रुपयों का इंतजाम कर पौधे खरीद लाते। कक्षा पांच पास हरदोई के अहिरोरी विकास खंड के एनुआ निवासी शिवपाल यू-ट्यूब से अच्छे अच्छे पौधों की कलम तैयार करते हैं।
शिवपाल के हिस्से में मात्र डेढ़ बीघा खेत था। पत्नी दो बच्चों का गुजारा नहीं हो पाता था। वर्ष 2000 में वह गांव छोड़कर हरिद्वार चले गए और वहीं पर होटल में काम करने लगे। वहीं से कुछ लोगों के साथ बेंगलुरु जाकर बैरा का काम शुरू किया। 2004 में पिता का निधन हो गया तो गांव आए और एक वर्ष बाद ही उनकी पत्नी मीरा देवी बच्चों के साथ उन्हें छोड़कर चली गई। शिवपाल को बचपन से ही बागवानी का शौक था। थोड़े ही दिन में उनके जीवन में ऐसा बदलाव आया कि उन्होंने पेड़-पौधों को ही अपना परिवार बना लिया। अपने हिस्से के डेढ़ बीघा खेत में पौधे लगाना शुरू किए। किसी खास पौधे की जानकारी मिलती तो मजदूरी कर पैसा काम लेते और वहां से पौधा ले आते। शिवपाल बताते हैं कि जब भी वह कोई पौधा लेने जाते तो उसे तैयार करने की जानकारी जरूर लेते। किसी ने बताया कि आजकल इंटरनेट पर तो सब कुछ मौजूद है। रुपये जोड़कर उन्होंने मोबाइल लिया और फिर इंटरनेट, यू-ट्यूब पर देखकर पौधों की कलम तैयार करते। धीरे धीरे उनके बाग में कई तरह के पेड़-पौधे हो गए। इसमें रामकेला, सूर्य रेखा, अमरपाली, बारह मासी आम की करीब आठ प्रकार प्रजातियां हैं। लीची, चीकू, नाशपाती, जामुन, नींबू नारंगी, बदाम, इलाइची, पहाड़ी आड़ू, सेब मसालों के पौधों में तेजपत्ती दालचीनी आदि कई प्रकार के पौधा लगे हैं। यहीं पर बारहमासी अनार, अमरूद ,शरीफा, तीन प्रकार के बालम खीरा आदि दिख जाएंगे। पेड़-पौधे ही चलाएंगे वंश
शिवपाल के परिवार में तीन भाई प्रेम, शिवमंगल, शिवम हैं और उन सभी का परिवार है। वह कहते हैं कि भाइयों का वंश उनके पुत्र चलाएंगे लेकिन उनका वंश पौधे चलाएंगे। जो पौधे लगा रहे हैं, भविष्य में जब वह नहीं होंगे तो यही पौधे उनका नाम चलाएंगे कि इन पौधों को शिवपाल ने तैयार किया था।