संक्रमितों का जीवन बचाने में लगे एंबुलेंस चालक और ईएमटी
-महामारी के बीच मरीजों को बचाने के लिए एंबुलेंस सड़कों पर दौड़ रहीं
हरदोई : परिवार उनका भी है, लेकिन ड्यूटी की खातिर सब कुछ छोड़े मरीजों की सेवा में डटे हुए हैं। कोरोना महामारी के बीच मरीजों को बचाने के लिए एंबुलेंस सड़कों पर दौड़ रहीं हैं। चालकों के साथ इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन (ईएमटी) भी डटे हुए हैं।
जिले में 108 की 47 एंबुलेंस हैं, जिसमें 21 एंबुलेंस कोरोना संक्रमितों के लिए लगाई गई हैं और 26 एंबुलेंस अन्य मरीजों को लाने ले जाने के लिए लगाई गई हैं। ईएमटी बताते हैं कि जैसे ही कॉल आती है तुरंत कॉलर के पास पहुंचने के लिए निकल जाते हैं। कोशिश यही रहती है कि मरीज को सही समय पर अस्पताल पहुंचा सके। इस बीच में कोई ट्रीटमेंट की जरूरत होती है, तो वह भी देते हैं। कुछ ऐसे मरीज होते हैं जिन्हें बुखार के साथ सांस लेने में दिक्कत होती है और कोरोना में लगी एंबुलेंस व्यस्त होती हैं तो अन्य एंबुलेंस को भेज दिया जाता है। इसके लिए पूरी एहतियात रखते हैं, क्योंकि यह नहीं पता होता कि जिस मरीज को लेकर आ रहे हैं। उसे संक्रमण है या नहीं। इसलिए हाथों में ग्लब्स व मास्क पहने रहते हैं। 05एचआरडी-01 कोरोना काल से मरीजों की सेवा में लगे हुए है, घर जाने का समय ही नहीं मिलता है। बच्चे फोन कर पूछते हैं कि पापा घर कब आएंगे तो उन्हें समझाते हैं कि बेटा किसी के पापा या मां की जान बचा रहे हैं।
अनुराग गोले, चालक 05एचआरडी-02 कोरोना संक्रमित को लाने में काफी सावधानी बरतनी पड़ती है। गंभीर मरीजों को ऑक्सीजन भी देनी पड़ती है, लेकिन हमारी प्राथमिकता मरीजों की जान बचाना होता है।
रोहित सिंह, चालक 05एचआरडी-03 जब से कोरोना शुरू हुआ है, लगातार ड्यूटी कर रहे हैं। संक्रमण की शुरूआत में पहले तो थोड़ा सा डर लगा, लेकिन जान की परवाह न करते हुए मरीजों की सेवा में लगे हुए हैं।
शिवम, ईएमटी 05एचआरडी-04 संक्रमित मरीज के अलावा अन्य मरीज को अस्पताल लाने में बहुत एहतियात बरतना पड़ता है क्योंकि यह नहीं पता चलता कि यह संक्रमित है। ऐसे में संक्रमित होने का डर रहता है।
प्रदीप कुमार, ईएमटी