औषधीय और आध्यात्मिक महत्व के साथ दीर्घजीवी होता है बरगद
वन विभाग की ओर रोपण के लिए नर्सरी तैयार कराई जाती है। वातावरण की शुद्धता के साथ ही पर्यावरण संरक्षण के लिहाज से बरगद महत्वपूर्ण है।
हरदोई : बरगद औषधीय और आध्यात्मिक महत्व के साथ दीर्घजीवी वृक्ष होता है। सरकार ने भी बरगद को राष्ट्रीय वृक्ष का दर्जा मिला हुआ है। संतों की ओर से भी तपस्या और आध्यात्म के लिए बरगद की ही छाया का प्रयोग किए जाने का वर्णन मिलता है।
वातावरण की शुद्धता के साथ ही पर्यावरण संरक्षण के लिहाज से बरगद महत्वपूर्ण है। वन विभाग की ओर से पौधरोपण अभियान के दौरान और अन्य महत्वपूर्ण आयोजनों पर रोपित किए जाने के लिए बरगद की पौध बड़ी संख्या में तैयार कराई गई है। हालांकि बरगद को मार्गों के किनारे और सरकारी भवनों के परिसर में अन्य पौधों के अनुपात में कम संख्या में ही रोपित किया जाता है। क्षेत्रीय वनाधिकारी रत्नेश श्रीवास्तव का कहना है कि बरगद का पौधा अधिक क्षेत्रफल को आच्छादित करता है। विभागीय नर्सरी में अन्य पौधों के साथ ही बरगद की पौध भी पर्याप्त संख्या में तैयार कराई गई है, जिसे रोपित किए जाने के लिए थैली में पैक कराया गया है।
20 घंटे तक देता है ऑक्सीजन : बरगद को संस्कृति से भी जोड़कर देखा जाता है। वट सावित्री व्रत नाम ही इसी वृक्ष के नाम पर पड़ा है। वहीं बरगद का पेड़ 20 घंटे से अधिक समय तक ऑक्सीजन देता है। इसके फल, जड़, छाल, पत्ती आदि का औषधि के रूप में उपयोग होता है।
वट वृक्ष में भगवान का माना जाता है वास : आध्यात्मिक एवं पौराणिक ग्रंथों के अनुसार बरगद की छाल में विष्णु, जड़ में ब्रह्मा और शाखाओं में शिव का वास माना गया है। बरगद को भगवान शिव माना जाता है। प्रकृति के सृजन का प्रतीक है।