विश्व सांकेतिक भाषा दिवस : मोबाइल से पढ़ाई कर रहे जिले के मूकबधिर बच्चे
जागरण संवाददाता हापुड़ कोरोना महामारी के चलते सभी विद्यालय एवं संस्थान बंद हैं। ऐसी हाल
जागरण संवाददाता, हापुड़
कोरोना महामारी के चलते सभी विद्यालय एवं संस्थान बंद हैं। ऐसी हालात में बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए ऑनलाइन शिक्षण केबल टीवी या मोबाइल के माध्यम से नए-नए तरीके अपनाए जा रहे हैं। इसी क्रम में जिले में सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत दिव्यांग बच्चों के लिए संचालित छात्रावास के बच्चों को भी विभिन्न वीडियो लेक्चर के द्वारा ऑनलाइन पढ़ाया जा रहा है। हालांकि गरीब बच्चे अभी भी ऑनलाइन शिक्षा से दूर हैं। कोरोना महामारी के संक्रमण को देखते हुए छात्रावास में रहकर पढ़ाई कर रहे बच्चों को भी अपने घर जाने के निर्देश दे दिए गए थे, जिससे बच्चों में कोरोना महामारी का संक्रमण न फैले। छात्रावास से जाकर बच्चे अपनी पढ़ाई निरंतर आगे करते रहें इसके लिए दिव्यांग बच्चों को पढ़ाने के लिए जनपद के 13 विशेष शिक्षक निरंतर प्रयास गर रहे हैं। मूकबधिर बच्चे अपने घर में हैं। जिला समन्वयक का काम संभाल रहे संजय यादव बताते हैं कि जनपद में 1801 दिव्यांग बच्चे हैं। इनमें श्रवण बाधित, ²ष्टिबाधित एवं अधिगम बाधित बच्चे शामिल हैं। इनमें से 60 बच्चों को हापुड़ में डायट परिसर के निकट बने छात्रावास में दाखिला दिया गया है। सभी को पढ़ाने के लिए 13 विशेष शिक्षक(स्पेशल एजुकेटर) हैं। मार्च माह में लॉकडाउन लगने के बाद सभी बच्चों को उनके घर भेज दिया गया, तभी से दिव्यांग बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाया जा रहा है। हालांकि अधिकतर बच्चों की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के चलते ऑनलाइन पढ़ाई से वंचित हैं। उन्होंने बताया कि शेष 1741 दिव्यांग बच्चों को विशेष शिक्षकों द्वारा प्राथमिक विद्यालयों में जाकर पढ़ाया जाता था, लेकिन कोरोना काल में उनमें से कुछ को ही ऑनलाइन पढ़ाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि ऑनलाइन शिक्षा में सांकेतिक भाषा द्वारा पढ़ाया जा रहा है। इसमें हम मुख्य रूप से बच्चों को ग्रिपिग करना, चित्र को देखकर जानवरों की पहचान करना, किताब पढ़ना आदि बच्चों को सिखा रहे हैं। उन्होंने बताया कि पाठ्यक्रम को वाट्सएप ग्रुप तथा छोटे-छोटे विषयों पर वीडियो बनाकर सभी प्लेटफार्म पर भेजा जा रहा है, जिससे अधिक से अधिक बच्चे लाभांवित हो सकें। बेसिक शिक्षा अधिकारी अर्चना गुप्ता का कहना है कि इस महामारी के दौर में भी हमारी कोशिश सभी बच्चों को किसी न किसी माध्यम से पढ़ाने की है।