- घबराएं नहीं वायरल बुखार में भी कम हो जाती है प्लेटलेट्स
- घबराए नहीं यह साधारण बुखार भी हो सकता है - डेंगू से ज्यादा डेंगू का खौफ कर देता है लोगों को बीमार जागरण संवाददाता, हापुड़ केवल डेंगू में ही खून में प्लेटलेट्स कम नहीं होती बल्कि आम वायरल होने पर भी इनमें कमी आ जाती है। चिकित्सकों का कहना है कि प्लेटलेट्स की संख्या बहुत कम समय में बढ़ती और घटती है, इसलिए न तो इसे नजरअंदाज करना चाहिए और न ही बहुत परेशान होना चाहिए। जब से डेंगू और वायरल बुखार की बीमारियां कुछ ज्यादा होनी शुरू हुई हैं, तब से आम लोगों के बीच प्लेटलेटस का नाम कुछ ज्यादा ही जाना-पहचाना हो गया है। अब लगभग हर शख्स जानता है कि इन जैसी कई बीमारियों में यदि मरीज के खून में प्लेटलेट्स की मात्रा कम हो जाए तो उसके शरीर में कहीं से भी ब्ली¨डग होने की आशंका पैदा हो जाती है। डर लगता है कि अगर खून में प्लेटलेट्स बहुत ही कम हो गईं तो पेट, आंत, नाक या दिमाग के अंदर भी रक्तस्त्राव अर्थात ब्ली¨डग
जागरण संवाददाता, हापुड़ : केवल डेंगू में ही खून में प्लेटलेट्स कम नहीं होती बल्कि आम वायरल होने पर भी इनमें कमी आ जाती है। चिकित्सकों का कहना है कि प्लेटलेट्स की संख्या बहुत कम समय में बढ़ती और घटती है, इसलिए न तो इसे नजरअंदाज करना चाहिए और न ही बहुत परेशान होना चाहिए।
जब से डेंगू और वायरल बुखार की बीमारियां कुछ ज्यादा होनी शुरू हुई हैं, तब से आम लोगों के बीच प्लेटलेटस का नाम कुछ ज्यादा ही जाना-पहचाना हो गया है। अब लगभग हर शख्स जानता है कि इन जैसी कई बीमारियों में यदि मरीज के खून में प्लेटलेट्स की मात्रा कम हो जाए तो उसके शरीर में कहीं से भी ब्ली¨डग होने की आशंका पैदा हो जाती है। डर लगता है कि अगर खून में प्लेटलेट्स बहुत ही कम हो गईं तो पेट, आंत, नाक या दिमाग के अंदर भी रक्तस्त्राव अर्थात ब्ली¨डग हो सकती है और यह ब्ली¨डग जानलेवा तक हो सकती है। ऐसे में मरीज के साथ आये लोगों को आमतौर पर अचानक ही चिकित्सक द्वारा यह कहा जाता है कि चूंकि मरीज की प्लेटलेट्स बहुत कम हो गई हैं, उसे प्लेटलेट्स देने पड़ेंगे तो तुरंत ही ट्रांसफ्यूजन के लिए प्लेटलेट्स की व्यवस्था करें वरना मरीज की जान को जोखिम हो सकता है। चिकित्सकों का कहना है कि कई बार संक्रमण की वजह से भी प्लेटलेट्स कम हो जाती हैं। वायरल बुखार से लेकर मलेरिया, टाइफाइड व कैंसर जैसी बीमारियों में भी इसकी संख्या कम हो जाती हैं। प्लेटलेट्स कम होने से एलर्जी होने की भी संभावना बढ़ जाती है। इसकी कमी को डेंगू नहीं मानना चाहिए। --कब होती है प्लेटलेट्स चढ़वाने की जरूरत
20 हजार से कम संख्या होने अथवा शरीर के किसी हिस्से से रक्त निकलने पर प्लेटलेट्स चढ़ानी चाहिए। 98 से 99 फीसदी डेंगू के मामलों में इसे चढ़ाने की जरूरत नहीं पड़ती। एहतियात से ही बचाव संभव है। प्लेटलेट्स की उम्र महज 48 घंटे की होती है, इसलिए खून से इसे निकालकर चढ़ाने से फौरी राहत तो मिलती है, लेकिन लंबे समय तक उसे बरकरार नहीं रखा जा सकता।
-डा. मोहम्मद गुल हसन, वरिष्ठ चिकित्सक --¨सगल डोनर प्लेटलेट्स ¨सगल डोनर प्लेटलेट्स (एक व्यक्ति के खून से सिर्फ प्लेटलेट्स निकालना) चढ़ाना ज्यादा अच्छा होता है। इससे खून की बर्बादी नहीं होती और प्रति यूनिट संख्या भी ज्यादा होती है।
--प्लेटलेट्स बढ़ाने के तरीके
- अधिक से अधिक तरल पदार्थ पिएं।
- खूब पानी पिएं।
- दिन में तीन बार एक-एक चम्मच हल्दी, दूध या पानी के साथ लें।
- नींबू-पानी का सेवन करें।
-नजर आ सकते हैं डेंगू के मामलेबारिश के बाद डेंगू मरीजों के मिलने की आशंका है। विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक तापमान 30 से 32 डिग्री रहेगा तब तक लार्वा पनपता रहेगा। तापमान 30 से कम अथवा 32 से अधिक होने पर लार्वा पनपना बंद हो जाएगा। -फिलहाल डेंगू का कोई मामला क्षेत्र में नजर नहीं आया है। डेंगू से बचाव के लिए लोगों को जागरूक होने की आवश्यकता है। आसपास पानी जमा न होने दे ताकि लार्वा न पनपे। चिकित्सा केंद्रों पर जांच और उपचार की पूरी व्यवस्था सुनिश्चित की जा चुकी हैं।
-डा. राजवीर ¨सह, सीएमओ, हापुड़