यूपी चुनाव 2022: सम्मान की चाहत नहीं विकास होता था चुनाव लड़ने का मकसद, पढ़िए अब कैसे बदल गए मायने
UP Vidhan Sabha Election 2022- साठा चौरासी की सरजमीं पर 1985 के बाद से कांग्रेस जीतने के लिए तरसती रही जबकि कमल का फूल भी वर्ष 2002 में आखिरी बार खिला। इसके बाद से दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों को पराजय का मुंह देखना पड़ा।

हापुड़/धौलाना [संजीव वर्मा]। साठा चौरासी की सरजमीं पर 1985 के बाद से कांग्रेस जीतने के लिए तरसती रही, जबकि कमल का फूल भी वर्ष 2002 में आखिरी बार खिला। इसके बाद से दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों को पराजय का मुंह देखना पड़ा। दोनों राजनीतिक दलों ने हर बार रणक्षेत्र में धुरंधर योद्धा उतारे, लेकिन जीत का सेहरा नहीं बंध सका।
1957 से लेकर 2007 तक मोदीनगर-धौलाना विधानसभा क्षेत्र एक हुआ करता था और गाजियाबाद लोकसभा का हिस्सा था। 2011 में परिसीमन हुआ और धौलाना को अलग विधानसभा क्षेत्र बनाया गया। यह गाजियाबाद लोकसभा का हिस्सा रहा, जबकि मोदीनगर विधानसभा क्षेत्र को गाजियाबाद लोकसभा से काटकर बागपत लोकसभा में शामिल कर दिया गया। एक जैसी विचारधारा रखने वाले मोदीनगर और धौलाना विधानसभा के मतदाता अलग-अलग हुए तो कांग्रेस और भाजपा जीत के लिए तरस गई।
विधानसभा चुनाव 2012 में दोनों विधानसभा पर कांग्रेस और भाजपा को पराजय का सामना करना पड़ा। विधानसभा चुनाव 2017 में फिर दंगल सजा। मोदीनगर विधानसभा में तो कमल का फूल खिला, लेकिन धौलाना में हार का मुंह देखना पड़ा। अब फिर चुनावी बिसात बिछी है। शह और मात का खेल शुरू हो गया है। भाजपा और कांग्रेस एक बार फिर अपने रणवीरों के सहारे चुनावी दंगल में है। मतदाताओं के दिलों में घर करने के लिए तमाम तरह की तैयारियों के साथ कांग्रेस ने व्यापारी वर्ग से जुड़े अर¨वद शर्मा को मैदान में उतारा है। वहीं भाजपा ने पिलखुवा निवासी धर्मेश तोमर पर विश्वास जताया है।
बैंक के चुनाव से लेकर लोकसभा तक हारे दोनों राजनीतिक दल
परिसीमन के बाद से धौलाना विधानसभा क्षेत्र में भाजपा और कांग्रेस एक भी चुनाव नहीं जीत सकी है। 2012 और 2017 के विधानसभा चुनाव में पराजय हुईं। 2017 में पिलखुवा नगर पालिका परिषद के चुनाव में भी दोनों दलों के प्रत्याशियों को हार का मुंह देखना पड़ा।
सहकारी बैंक का चुनाव भाजपा समर्पित उम्मीदवार हारे। 2019 के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा और कांग्रेस की धौलाना विधानसभा से हार हुईं। परिसीमन के बाद धौलाना को अलग विधानसभा क्षेत्र बनाया गया। यह गाजियाबाद लोकसभा का हिस्सा रहा, जबकि मोदीनगर विधानसभा क्षेत्र को गाजियाबाद लोकसभा से काटकर बागपत लोकसभा में शामिल कर दिया गया।
Edited By Pradeep Chauhan