शासन की सख्ती ने चीर दिया धान क्रय केंद्रों का सन्नाटा
जागरण संवाददाता हापुड़ मंडी में किसानों की भीड़ सरकारी क्रय केंद्रों पर सन्नाटा। बि
जागरण संवाददाता, हापुड़
मंडी में किसानों की भीड़, सरकारी क्रय केंद्रों पर सन्नाटा। बिना धान की खरीद किए बंद हो गए सरकारी क्रय केंद्र। जिले में नहीं बोया जाता मोटा और कामन वैरायटी का धान। जनपद के किसान इस तरह की खबरें पिछले चार साल से पढ़ रहे थे, लेकिन यह सब अफसरों की लापरवाही से हो रहा था। शासन की सख्ती हुई तो धान की खरीद के लिए खोले गए क्रय केंद्रों का सन्नाटा टूटते देर नहीं लगी। नतीजा यह है कि जनपद में खुले सरकारी क्रय केंद्रों पर सिर्फ 12 किसानों से 50 एमटी लक्ष्य के सापेक्ष 58 एमटी धान खरीद डाला। सरकार की न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना का उद्देश्य किसानों को उपज का समर्थन मूल्य दिलाना है, लेकिन हकीकत में सभी किसानों को समर्थन मूल्य का लाभ नहीं मिल पाता है। सरकारी धान खरीद पर बिचौलिए हावी रहते हैं। इस खेल से अफसर भी अनजान नहीं होते। सबकुछ जानते हुए अफसर किसानों को उनके धान की खरीद को लेकर सिर्फ आश्वासन देते रहते हैं। किसान अधिकारी से लेकर प्रभारियों के चक्कर लगाने को मजबूर होते हैं। खरीद केंद्र पर पहुंचने पर किसानों को मानकों के फेर में उलझा दिया जाता है। प्रभारी अधिकांश किसानों को धान की गुणवत्ता खराब बताकर तो कभी पंजीकरण के नाम पर लौटा देते हैं। किसान आढ़तियों को न्यूनतम से कम मूल्य पर धान बेचने को मजबूर होते हैं। जनपद में पिछले चार साल से अफसर शासन को गुमराह करते आ रहे थे। पत्र भेज रहे थे कि जनपद में मोटे धान की पैदावार होती ही नहीं है। इसलिए क्रय केंद्रों पर खरीद नहीं हो पाती है। मौजूदा वर्ष में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान की खरीद को लेकर शासन ने सख्ती दिखाई तो नतीजे भी सामने आ गए। एक अक्टूबर से शुरू हुई खरीद में 14 अक्टूबर तक खाता नहीं खुल पाया। 15 अक्टूबर को एक किसान से 21.60 क्विटल धान खरीदा गया। जिला खाद्य एवं विपणन अधिकारी सुरेश कुमार यादव ने बताया कि शासन ने जनपद को 50 मीट्रिक टन धान खरीद का लक्ष्य दिया था। जिसके सापेक्ष 58 मीट्रिक टन धान की खरीद की जा चुकी है। जिसका भुगतान कराया जा रहा है। उन्होंने बताया कि 31 जनवरी तक धान की खरीद जारी रहेगी।