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सौ साल पुरानी धरोहरों को मिलेगा नया लुक

अशरफ चौधरी गढ़मुक्तेश्वर सौ साल पुरानी धरोहरों को नया लुक देने के उद्देश्य से नमामि गंगा

By JagranEdited By: Published: Tue, 23 Feb 2021 08:05 PM (IST)Updated: Tue, 23 Feb 2021 08:05 PM (IST)
सौ साल पुरानी धरोहरों को मिलेगा नया लुक
सौ साल पुरानी धरोहरों को मिलेगा नया लुक

अशरफ चौधरी, गढ़मुक्तेश्वर

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सौ साल पुरानी धरोहरों को नया लुक देने के उद्देश्य से नमामि गंगा मंत्रालय ने पर्यटन को बढ़ावा देने को योजना तैयार की है, जिसके तहत प्राचीन धरोहरों के संरक्षण के साथ ही उनका सर्वांगीण विकास कराने को पहले चरण में सर्वेक्षण का कार्य कराया जा रहा है। महाभारत कालीन गढ़ और पुष्पावती पूठ गंगानगरी समेत आसपास के ग्रामीण अंचल में कई धरोहर आज भी सैकड़ों साल पुरानी यादों के अतीत की साक्षी बनी हुई है, परंतु उचित देखरेख और प्रचार-प्रसार के अभाव में उक्त धरोहर धीरे धीरे अपनी पहचान खोने के कगार पर पहुंच चुकी है। ऐसी ही धरोहरों के संरक्षण के साथ उनका सर्वांगीण विकास कराकर पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से अब केंद्र सरकार के नमामि गंगा मंत्रालय ने वृहद् योजना तैयार की है, जिसके तहत सौ साल पुराने धर्मस्थलों को चिन्हित किया गया है, जिनके संरक्षण और विकास पर भारतीय संस्कृति निधि के माध्यम से रकम खर्च की जानी है। प्रस्तावित योजना के पहले चरण में नमामि गंगा मंत्रालय द्वारा सौ साल से पुरानी धरोहरों के सर्वेक्षण का कार्य कराया जा रहा है, जिसकी रिपोर्ट मिलने के उपरांत आगे की प्रक्रिया प्रारंभ होनी है। सर्वेक्षण का कार्य कर रही टीम के नेतृत्व का जिम्मा संभाल रहीं मिताली ने बताया कि नमामि गंगे मंत्रालय द्वारा तैयार की गई योजना के तहत गढ़, पूठ समेत गांव पलवाड़ा और पसवाड़ा से जुड़ीं सौ साल पुरानी धरोहरों का जीर्णोद्धार करते हुए उनके माध्यम से क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा दिया जाना है। मिताली ने बताया कि सर्वेक्षण का कार्य पूरा होने पर विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर नमामि गंगे मंत्रालय को सौंपी जाएगी, जिसके उपरांत प्राचीन धरोहरों के संरक्षण से लेकर उनका सर्वांगीण विकास कराने के संबंध में व्यापक रूपरेखा बनाकर उसका क्रियान्वन कराया जाना है। गंगा किनारे की 30 धरोहरों को किया गया है चिह्नित

मिताली ने बताया कि उक्त चारों स्थानों पर सौ साल से पुरानी तीस धरोहरों को चिह्नित किया गया है। उन्होंने बताया कि चिह्नित की गईं धरोहरों में मंदिर, मस्जिद, मठ, दरगाह, स्कूल और पुरानी हवेली भी शामिल हैं।


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