सऊदी अरब से सात माह बाद आया समीर का शव
बेटे की लाश पाने के लिए मां-बाप को सात माह का लंबा इंतजार करना पड़ा। सात माह बाद जब शव मिला तो परिजन फफक-फफक कर रो पड़े। कानूनी अड़चन के चलते सऊदी अरब के रियाज में हुई मौत के बाद शव वापस भारत नहीं आ पा रहा था। सांसद के माध्यम से विदेश मंत्रालय ने प्रयास किया, तब जाकर गरीब परिवार को शव मिल सका।शुक्रवार को गमगीन माहौल में
जागरण संवाददाता, हापुड़
गरीब मां-बाप को अपने पुत्र का शव प्राप्त करने के लिए भी सात माह का लंबा इंतजार करना पड़ा। सात माह बाद पुत्र के शव को देख कर परिजन फफक-फफक कर रो पड़े। सऊदी अरब के रियाज में हुई युवक की मौत के बाद कानूनी अड़चन के कारण उसका शव भारत नहीं आ पा रहा था। सांसद द्वारा विदेश मंत्रालय से बार-बार निवेदन किए जाने के बाद विदेश मंत्रालय के गंभीर प्रयास के बाद गरीब परिवार को उनके पुत्र का शव मिल पाया। शुक्रवार को गमगीन माहौल में युवक का शव सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया।
ग्राम अब्दुल्लापुर मौड़ी निवासी काले खां के पांच पुत्र और तीन पुत्री हैं। उनका दूसरे नंबर का पुत्र समीर (25 वर्ष) लगभग दो वर्ष से सऊदी अरब में एक कंपनी में चालक की नौकरी करता था। घर की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण वह परिवार की मदद करता था।
परिजन ने बताया कि 29 मई को समीर की सऊदी अरब में उस समय मौत हो गई जब वह वाहन पर तिरपाल बांध रहा था। उसे किसी गाड़ी ने टक्कर मार दी थी। मौत की सूचना मिलने के बाद शव को लाने के प्रयास किए गए। सऊदी अरब प्रशासन ने कानूनी अड़चन के कारण शव भारत नहीं भेजा था।
मृतक की मां शाजरून बेगम ने विदेश मंत्री को पत्र भेजकर पुत्र के शव को भारत मंगवाने की गुहार लगाई थी। इसके बाद उसने क्षेत्रीय सांसद राजेंद्र अग्रवाल से मिलकर पूरा प्रकरण बताया। सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने मामले को गंभीरता से लिया और तत्काल एक पत्र के माध्यम से विदेश मंत्री से अनुरोध किया कि समीर का शव भारत मंगवाया जाए। जिस कंपनी में वह काम करता था वहां से देय धनराशि भी मृतक के परिजन को दिलाई जाए।
लगभग सात माह के अथक प्रयासों के बाद कानूनी प्रक्रिया पूरी हो सकी, जिसके बाद समीर का शव गांव में लाया जा सका। शुक्रवार सुबह उसका शव गांव पहुंचा तो तो परिजन फफक-फफक कर रो पड़े। गमगीन माहौल में शव को सुपुर्द-ए-खाक किया गया।