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आत्मनिर्भर भारत : मशरूम की खेती कर अबला बनेंगी सबला

जागरण संवाददाता हापुड़ स्वयं सहायता समूह की महिलाएं अब खेती में भी हाथ आजमाएंगी। स्वयं सह

By JagranEdited By: Published: Sun, 28 Mar 2021 07:06 PM (IST)Updated: Sun, 28 Mar 2021 07:06 PM (IST)
आत्मनिर्भर भारत : मशरूम की खेती कर अबला बनेंगी सबला
आत्मनिर्भर भारत : मशरूम की खेती कर अबला बनेंगी सबला

जागरण संवाददाता, हापुड़ :

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स्वयं सहायता समूह की महिलाएं अब खेती में भी हाथ आजमाएंगी। स्वयं सहायता समूह की 105 महिलाओं को कृषि विशेषज्ञों द्वारा मशरूम की खेती के टिप्स दिए गए हैं। जनपद में इसका आगाज हापुड़, धौलाना और सिभावली ब्लाक में हो चुका है। एनआरएलएम (राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन) इनका सहयोग करेगा।

जिले में मशरूम की खेती की शुरुआत करने के लिए सबसे पहले हापुड़ ब्लाक के गांव रघुनाथपुर को प्रयोग के तौर पर चुना गया है। ब्लाक क्षेत्र के स्वयं सहायता समूह की 35 महिलाएं मशरूम की खेती से जुड़ेंगी। पिछले दिनों इन महिलाओं को कृषि विशेषज्ञों द्वारा प्रशिक्षण दिया जा चुका है। जिसमें कृषि और उद्यान विशेषज्ञों ने महिलाओं को मशरूम की खेती के गुर और तकनीक बताई। उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा संचालित मशरूम प्रशिक्षण कार्यक्रम में स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को मशरूम उत्पादन के बारे में बताया गया। उन्होंने मृदा पोषक तत्व प्रबंधन के बारे में भी समझाया है। पहले चरण में हापुड़ और उसके बाद धौलाना और सिभावली की महिलाओं का एफओ तैयार कराकर कंपनी का पंजीकरण कराया जाएगा। इसकी खेती से महिलाएं न केवल मालामाल होंगी, बल्कि वह आत्मनिर्भर होकर घर के खर्च में सहयोग करेंगी।

इन महीनों में होगी खेती

ग्रीष्मकालीन मशरूम के उत्पादन को तापमान 30-40 डिग्री सेल्सियस और आ‌र्द्रता 80 फीसद चाहिए। अप्रैल-मई और सितंबर-अक्टूबर में खेती होगी। मशरूम में प्रोटीन की मात्रा 4.9 फीसद होती है। दूसरे मशरूम को ढिगरी या ओयस्टर कहा जाता है। यह स्वादिष्ट और खुशबूदार होता है। सफेद बटन मशरूम की दो फसलें ली जा सकती हैं। यहां बिकेगा तैयार मशरूम

महिलाओं द्वारा तैयार किए जाने वाले मशरूम को विभिन्न संस्थानों में बिकवाया जाएगा। आंगनवाड़ी केंद्रों पर भी इसकी आपूर्ति होगी, जिससे कुपोषित बच्चे सुपोषित हो सके। ---------- क्या कहते हैं अधिकारी

जिले में मशरूम की खेती स्वयं सहायता समूह की महिलाओं से कराई जाएगी। पहले चरण में हापुड़ ब्लाक से शुरुआत होगी। प्रयोग सफल रहा तो इसे जिले के दूसरे ब्लाक में कराया जाएगा। समूहों की 35 महिलाओं को प्रशिक्षण दिलाया गया है। इनके दस्तावेज लेकर कंपनी का पंजीकरण कराने के लिए भेज दिए हैं। अगले माह अप्रैल में कंपनी का पंजीकरण हो जाएगा और मशरूम की खेती शुरू होकर महिलाएं आत्मनिर्भर बनेंगी।

-तक्सीर अहमद, मिशन प्रबंधक एनआरएलएम


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