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नीम नदी: स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने किया श्रमदान, जागरण की मुहिम ला रही रंग

गांव दत्तियाना में नीम नदी को पुनर्जीवित करने के लिए आए लोगों में जबरदस्त उत्साह दिखा। उनकी आंखों में नदी को कल-कल बहती देखने की ललक साफ देखी जा सकती थी। श्रमदान में सहयोग के लिए बढ़े हाथ यह बयां कर रहे थे कि कार्य के लिए जनता तैयार है।

By Mangal YadavEdited By: Published: Tue, 08 Jun 2021 03:33 PM (IST)Updated: Tue, 08 Jun 2021 03:33 PM (IST)
नीम नदी: स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने किया श्रमदान, जागरण की मुहिम ला रही रंग
स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने किया श्रमदान

हापुड़, जागरण संवाददाता। पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाली महिलाएं नीम नदी को पुनर्जीवित करने के लिए भी आगे दिखाई दीं। उन्होंने पुरुषों की तरह फावड़ा चलाकर उद्गम स्थल पर खोदाई की। स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने एक स्वर में कहा कि मौजूदा समय में पानी का संकट मंडरा रहा है। पीने के पानी की एक लीटर बोतल के 15 से 20 रुपये तक देने पड़ रहे हैं। इससे समझा जा सकता है कि देश में पीने के पानी की कितनी किल्लत है। आने वाली पीढ़ी को यदि पानी की समस्या से बचाना है तो नदी व तालाबों के अस्तित्व को बचाना होगा। कल्पना करिए कि पृथ्वी पर बिना पानी के जीवन कैसा होगा। दैनिक जागरण की पहल को सराहनीय बताते हुए कहा कि यह दिन इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया। आने वाली पीढ़ी इस दिन को सदैव याद रखेगी।

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लोगों में जगा उत्साह, सहयोग के लिए बढ़े हाथ

गांव दत्तियाना में नीम नदी को पुनर्जीवित करने के लिए आए लोगों में जबरदस्त उत्साह दिखा। उनकी आंखों में नदी को कल-कल बहती देखने की ललक साफ देखी जा सकती थी। श्रमदान में सहयोग के लिए बढ़े हाथ यह बयां कर रहे थे कि इस एतिहासिक कार्य के लिए जनता तैयार है।

लोग जानते हैं कि कभी पतित पावनी मां गंगा की सहायक नदी में जाकर मिलने वाली नीम नदी गंगा में आने वाली बाढ़ को नियंत्रित करती थी, लेकिन विकास की दौड़ में यह नदी विलुप्त होती चली गई थी। अब उन्हें नदी को पुनर्जीवित करने का मौका मिला है, जिसे वह हाथ से नहीं जाने देंगे। सैंकड़ाें की संख्या में श्रमदान करने के लिए हाथों में फावड़े लेकर आए। स्वयंसेवी संस्थाओं से लेकर समाजसेवी संस्थाएं बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही थीं। बुजुर्गों में जबरदस्त उत्साह देखा जा रहा था। गांव दत्तियाना निवासी 70 वर्षीय सुरेंद्र कुमार का कहना है कि उन्होंने बचपन में नदी को बहते देखा था। धीरे-धीरे नदी का जल स्तर घटता गया और नदी विलुप्त हो गई। उस समय नदी को अस्तित्व को गंभीरता से नहीं लिया, लेकिन अब इस मौके को हाथ से नहीं जाने दूंगा।

श्रमदान कर छात्र-छात्राएं बने भागीदार

नीम नदी को पुनर्जीवित करने के लिए युवाओं ने दैनिक जागरण का नीम नदी को पुनर्जीवित करने के लिए अभियान के शुरुआत में सभी आयु वर्ग के लोगों ने श्रमदान का संकल्प लिया था। सोमवार को जब श्रमदान देने की शुरुआत हुई तो युवाओं ने बढ़ चढ़कर भाग लिया। युवाओं के जोश को देखकर लगता है कि वह अब आराम नहीं चाहता। वह भी बिना थके नदी के काम को आगे बढ़ाना चाहता है। सभी को बस इस बात का इंतजार है कि जल्द से जल्द नदी में पानी की निर्मल धारा निर्बाध बहे, नदी के किनारे पेड़ लहलहाएं, उन पर पक्षी अपने घोंसले बनाएं और अपनी चहचहाट से सुबह लोगों को आनंद का स्वर सुनाएं।

श्रमदान करने वाले युवाओं ने उन सभी युवाओं को याद दिलाया जिसमें उन्होंने नीम नदी को बचाने के लिए संकल्प लिया था। छात्र ऋतिक, छात्रा गुनगुन, ईरा, आकृति और रिया त्यागी का एक स्वर में कहना था कि नीम नदी के पुनर्जीवन की आवश्यकता उसके किनारे बसने वाले संपूर्ण प्राणी जगत को है। जो भी नदी के कार्य में सहयोग कर रहे हैं या करेंगे, यह सबका फर्ज है व जरूरत है। क्योंकि नदी तो अपने अस्तित्व को स्वयं सुधारने का माद्दा रखती है। हमें यह दंभ कतई नहीं पालन चाहिए कि हम नदी को पुनर्जीवित करेंगे बल्कि, हम तो अपनी उन गलतियों को सुधारने का एक प्रयास करेंगे जो जाने-अनजाने भूतकाल में हमसे नदी को भुलाकर व मिटाकर हो चुकी है। उन्होंने कहा कि नीम नदी पुनर्जीवन के कार्य में हमें बस यह सोचकर प्रयास करना चाहिए कि हम अपनी भूल सुधार रहे हैं और अपनी नीम नदी के गर्व को पुन: वापस लौटना चाहते हैं।


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