Move to Jagran APP

आओ बचाएं नीम नदी : आचार संहिता खत्म होने के साथ शुरू होगा काम

हमारी गंगा की सफाई सरकार करती है कुंभ सरकार लगाती है तो फिर हमारी जिम्मेदारी क्या है। हमें इन जल स्त्रोतों को जीवित रखना होगा और लोगों में इसके प्रति चेतना जागृत करनी होगी। दैनिक जागरण लोगों के बीच जाकर जन जागरण का काम कर रहा है वह सराहनीय है।

By Prateek KumarEdited By: Published: Sun, 11 Apr 2021 08:59 PM (IST)Updated: Sun, 11 Apr 2021 09:04 PM (IST)
आओ बचाएं नीम नदी : आचार संहिता खत्म होने के साथ शुरू होगा काम
नीम नदी हापुड़ जिले से निकलने वाली अकेली नदी है।

हापुड़ [मनोज त्यागी]।

loksabha election banner

नदियां जीवन-रेखा हैं,

सदा करें कल्याण।

अविरल ये बहती रहें,

ऐसा हो अभियान।।

डाॅ. अशोक मैत्रेय ने जो नदियों को अविरल बहने के लिए अभियान की बात की है। यही अभियान दैनिक जागरण ने नीम नदी को लेकर शुरू किया। जो पिछले छह सप्ताह से निर्बाध चल रहा है। स्थिति यह है कि लोग स्वेच्छा से जुड़ने के लिए आतुर हो रहे हैं। सभी इस मुहिम के साथ एक साथ नजर आ रहे हैं। स्कूली बच्चे हो, चिकित्सक हों, सेवानिवृत अधिकारी हो, शिक्षक हों, खिलाड़ी हों या फिर बुजुर्ग हों। सभी का मानना है कि जो भी हो जैसे भी हो, लेकिन जब तक नीम नदी पुनर्जीवित नहीं होगी। अभियान जारी रहना चाहिए। भारतीय स्टेट बैंक पेंशनर्स एसोसिएशन हापुड़ द्वारा आयोजित गोष्ठी में दैनिक जागरण की मुहिम से जुड़े मदन सैनी ने कहा कि पानी के लिए नदियों को बचाना जरूरी है।

नीम नदी हापुड़ जिले से निकलने वाली अकेली नदी है जिसकी अनदेखी के कारण उस पर कुछ लोगों ने स्वार्थ के चलते अतिक्रमण कर लिया है। उद्गम स्थल की खुदाई के बाद नदी दोबारा बहने लगेगी। हम सभी को मिलकर यह प्रयास करना होगा कि आने वाली बरसात से पहले नदी की खुदाई कर दी जाए और एक बारिश के बाद नदी के किनारे पौधरोपण किया जाए, तो इससे भूजल स्तर तो सुधरेगा साथ ही पर्यावरण भी शुद्ध होगा। जिले में इस समय आचार संहिता लगी है। आचार संहिता खत्म होने के बाद नदी के उद्गम स्थल को अतिक्रमण मुक्त कराया जाएगा। इसमें जन सहभागिता जरूरी है। इस पर गोष्ठी में मौजूद लोगों ने कहा कि वह नदी पर जाकर श्रमदान करेंगे।

बचपन में हमने देखा था कि शहर में तमाम तालाब हुआ करते थे। अब नहीं हैं। सही बात यह है कि आजकल के बच्चों को तो उन तालाबों के बारे में कोई जानकारी ही नहीं है। शहर में रामलीला मंचन के दौरान राम जी के नदी पार करने वाले प्रसंग का तालाब पर मंचन होता था। आज सब कुछ खत्म हो गया है। दैनिक जागरण को साधुवाद जो इतनी अच्छी पहल की है।

टीएन शर्मा

बैंक में नौकरी के दौरान काफी गांवों में जाना हुआ। शुरुआती दौर में गांवों में बड़े-बड़े तालाब हुआ करते थे। अब उन गांवों में कई बार जाना हुआ तो ज्यादातर तालाब खत्म हो चुके हैं। कुछ लोगों के लालच ने तालाब और नदियों पर अतिक्रमण करके उनका अस्तित्व खत्म कर दिया है। दैनिक जागरण ने अच्छी मुहिम शुरू की है। इससे कुछ तो उद्धार होगा।

एसएस सहलोत्रा

हमारी गंगा की सफाई सरकार करती है, कुंभ सरकार लगाती है, तो फिर हमारी जिम्मेदारी क्या है। हमें इन जल स्त्रोतों को जीवित रखना होगा और लोगों में इसके प्रति चेतना जागृत करनी होगी। आज जिस तरह से दैनिक जागरण लोगों के बीच जाकर जन जागरण का काम कर रहा है वह सराहनीय है। हम इस मुहिम में साथ हैं।

सिद्ध गोपाल शर्मा

लगातार भूजल स्तर कम हो रहा है। इसका कारण भी साफ है कि लोग जल दोहन ज्यादा कर रहे हैं और जल संचयन के लिए कुछ नहीं किया जा रहा है। लोगों को जल दोहन के प्रति जागरूक होना होगा। साथ ही नीम नदी जैसी दूसरी नदियों और तालाबों को पुनर्जीवन देना होगा। तभी हम आने वाली पीढ़ी को कुछ बचाकर दे पाएंगे।

रामनिवास गुप्ता

जल बचाओ भविष्य बचाओ। यह संदेश सभी को दैनिक जागरण दे रहा है। नदी भी पानी रीचार्ज का बड़ा स्त्रोत होती है। नदी बहेगी, तो क्षेत्र में समृद्धि बढ़ेगी खुशहाली आएगी। भूजल स्तर बढ़ेगा, तो जनमानस को जीवन मिलेगा। आने वाली पीढ़ी का भविष्य संवरेगा।

मूलचंद मंगल

दैनिक जागरण की नीम नदी को बचाने के प्रयास को साधुवाद। मै लगातार दैनिक जागरण में नीम नदी के बारे में पढ़ रहा था। मेरा भी मन इस अभियान से जुड़ने का था। आज जुड़ने का अवसर मिला। एक समय था जब गांव जाते थे, तो काली नदी पर घूमने के लिए जाते थे। बहुत ही साफ जल था। अब हालात बहुत खराब हैं। हम सभी मिलकर नदी के लिए श्रमदान करेंगे।

बीर सिंह

नदियों को कोई नहीं मिटा सकता

कथा और जनश्रुतियों के आधार पर नदी पुत्र रमन कांत त्यागी द्वारा खोजा गया नीम नदी का इतिहास को लेकर दैनिक जागरण ने सीरिज शुरू की। आज सीरिज की अंतिम कड़ी हैः-

और अंत में नीम नदी की वर्तमान परिस्थितियों पर नजर डालने से पता चलता है कि नीम नदी जो आज दिखती है, वह ऐसी न होकर जीवंत रही है। इसकी पौराणिकता दशकों नहीं सदियों पुरानी है। नदी जीवंत रही और इस क्षेत्र की जीवन रेखा बनी रही है। नदी के साथ निकट के गांवों का जुड़ाव भी गहरा रहा है। एक अन्तहीन विकल्प का प्रतीक रही है नीम नदी। इस क्षेत्र के श्रद्धालु नीम को भी गंगा का रूप ही मानते रहे हैं।

नदी ने जहां यहां की कृषि को समृद्ध किया है वहीं जल की उपलब्धता व गुणवत्ता को भी बढ़ाता रहा है। जब जल जीवन है तो नदी भी जीवन ही है, क्योंकि नदी जहां जल की कमी को दूर करती है, वहीं जल भराव की समस्या ये भी निजात दिलाती है। नीम नदी उसका सटीक उदाहरण रही है। हम नदी को मिटाने का प्रयास अवश्य कर सकते हैं, लेकिन नदियां कभी मिटती नहीं हैं, वे लौटकर पुनः आती हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि नदियां प्रकृति का अहम हिस्सा हैं। नीम नदी को कोई लाख चाह कर मिटा नहीं सकता।

कोई भी कुछ नहीं करेगा तो भी किसी वर्ष इतना पानी बरसेगा की नदी अपना रास्ता स्वयं बना लेगी औऱ एक ही झटके में अपनी खोई हुई जमीन भी पा लेगी। नीम नदी जैसी विशेष प्रकार की नदियों देश में कम ही हैं, या यूं कहें कि जहां दो बड़ी नदियों का दोआब बनेगा वहां नीम जैसी नदी जन्म लेगी ही। हमें भी नदी की पौराणिकता से सीख लेते हुए नदी के निर्मल व अविरल बहने के नियमों का पालन करते हुए जीना सीखना ही होगा। नदी को मिटाकर हम कुछ प्राप्त नहीं कर सकते हैं जबकि नदी के साथ रहकर सब कुछ पा सकते हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.