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सहेज लो हर बूंद : कागजों में तालाब कब्जा मुक्त, धरातल पर कब्जे ही कब्जे

22एचपीआर-29 जागरण संवाददाता हापुड़ बारिश का मौसम शुरू होने में अभी कुछ माह का समय

By JagranEdited By: Published: Mon, 22 Mar 2021 07:39 PM (IST)Updated: Mon, 22 Mar 2021 07:39 PM (IST)
सहेज लो हर बूंद : कागजों में तालाब कब्जा मुक्त, धरातल पर कब्जे ही कब्जे
सहेज लो हर बूंद : कागजों में तालाब कब्जा मुक्त, धरातल पर कब्जे ही कब्जे

22एचपीआर-29 जागरण संवाददाता, हापुड़ :

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बारिश का मौसम शुरू होने में अभी कुछ माह का समय है। बारिश की हर बूंद कीमती है, इसे सहेजकर लाखों लीटर पानी की बचत की जा सकती है। ऐसा नहीं हुआ तो आने वाले कुछ सालों में ही यहां पर पानी का संकट हो जाएगा। इसके लिए दैनिक जागरण ने सहेज लो हर बूंद नाम से अभियान शुरू किया है। इसके लिए लोगों को जागरूक किया जा सके। साथ ही कागजों पर कब्जा मुक्त तालाबों को धरातल पर कब्जा मुक्त कराकर बारिश की हर बूंद को सहेजा जा सके। शासन के आदेशों पर जिले में गठित एंटी भू माफिया टास्क फोर्स ने तालाबों को अवैध कब्जों से मुक्त कराने के लिए अभियान चलाया। पिछले दिनों जिला प्रशासन ने करीब 83 प्रतिशत तालाबों को कब्जामुक्त करने की शासन को रिपोर्ट भेजी थी। जबकि हकीकत इससे उलट है। गांवों से आ रही शिकायतों के मुताबिक अभी भी करीब 50 फीसदी तालाबों पर अवैध कब्जा है। आंकड़ों के अनुसार जिले में 1244 तालाब 624.87 हेक्टेयर रकबे में हैं, जिनमें से 1047 तालाबों के 578.87 हेक्टेयर भूमि को कब्जामुक्त करा लिया गया है। जबकि 170 तालाबों की लगभग 45.99 हेक्टेयर भूमि अभी भी अतिक्रमण की चपेट में है, लेकिन आंकड़े केवल कागजी है। जमीनी हकीकत इससे उलट है। हैरानी की बात है कि तालाबों पर कब्जा जमाए लोग अभी भी तालाबों में कूड़ा-करकट डालकर धीरे धीरे पाटने में लगे हैं। इस स्थिति से अगले कुछ सालों में इन तालाबों का अस्तित्व खत्म हो जाएगा। तेजी से गिर रहा भूजल स्तर

पिछले पिछले 20 वर्ष में जिले का औसत जलस्तर 100 फीट नीचे खिसका है। इतना ही नहीं पीने योग्य पानी डेढ़ सौ बीस फीट नीचे हैं। इससे ऊपर लगे हैंडपंप व अन्य साधन से मिलने वाला पानी पीने के काबिल नहीं है और उसमें कई खतरनाक अवशिष्ट मिले हैं। इस स्थिति में पानी के लिए हाहाकार मचना कोई बड़ी बात नहीं होगी। गढ़मुक्तेश्वर ब्लाक को डार्क जोन में जाने से गंगा भी नहीं बचा पाई है। सिभावली से भी गंगनहर के गुजरने के बावजूद वह डार्क जोन में चला गया। राजनीति का अखाड़ा बने तालाबों पर कब्जे

तालाब समेत ग्राम सभा की अन्य जमीनों पर अवैध कब्जा की शिकायतें मिलती रहती हैं। कब्जा मुक्त कराने के लिए तहसील कोर्ट में 122बी का मुकदमा चलाया जाता है। तहसील प्रशासन बेदखली की कार्रवाई करता है। यदि यह मामला जिला, मंडल या हाईकोर्ट में चला जाता है तो कोर्ट के आदेश पर कब्जा हटाया जाता है। चुनावों से पहले इस प्रकार की शिकायतें बढ़ गई हैं। दरअसल, तालाबों और सरकार भूमि पर कब्जे ही गांव की राजनीति का माध्यम बन गए हैं। 625 तालाबों का हुआ जीर्णेद्धार

प्रशासन की रिपोर्ट के मुताबिक हापुड़ विकासखंड क्षेत्र में कुल 312 तालाब हैं, जिनमें से 249 का जीर्णोद्धार किया जा चुका है। गढ़मुक्तेश्वर विकासखंड में 288 तालाब हैं, जिनमें से 151 तालाबों का जीर्णोद्धार हो चुका है। इसके अलावा सिभावली में 311 में से 125 और धौलाना ब्लाक में 129 में से 100 तालाबों का जीर्णोद्धार किया जा चुका है। क्या कहते हैं अधिकारी

समय-समय पर तालाबों की साफ-सफाई का कार्य कराया जाता है, जहां-जहां अवैध कब्जा है वहां तहसील प्रशासन की मदद से अवैध कब्जों को हटवाया गया है। तालाबों में साफ पानी रहे और उसमें कूड़ा-करकटन गिरे इसके लिए वेस्ट स्टेबलाइजेशन पांड बनाने पर काम चल रहा है। इसके अलावा बारिश की बूंदों को सहेजने के लिए गांवों में सरकारी भवनों पर रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम लगाने पर काम चल रहा है।

-यावर अब्बास, जिला पंचायत राज अधिकारी


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