मैंने जन्नत तो नहीं देखी, मां देखी है ..
शहीदों की जमीं है जिसको हिन्दुस्तान कहते हैं ये बंजर हो के भी बुजदिल कभी पैदा नहीं करती। मशूहर शायर मुन्नवर राना के इस शेर पर श्रोताओं की तालियों से पूरा हितकारी फार्म हाउस का पूरा हाल गूंज उठा। मौका था दैनिक जागरण के कवि सम्मेलन का।
जागरण संवाददाता, हापुड़ :
चलती फिरती आंखों से अजां देखी है, मैंने जन्नत तो नहीं देखी, मां देखी है। मशहूर शायर मुनव्वर राना के इस शेर पर श्रोताओं की तालियों से पूरा हितकारी फार्म हाउस का हाल गूंज उठा। मौका था दैनिक जागरण द्वारा आयोजित कवि सम्मेलन का। जिसमें देशभर के नामचीन कवियों ने शिरकत की। दैनिक जागरण के दिल्ली-एनसीआर संस्करण की 29वीं वर्षगांठ पर मेरठ रोड पर असौड़ा स्थित हितकारी फार्म हाउस में कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ। देर रात तक कवि सम्मेलन में कविताओं एवं शेरों-शायरी की महफिल जमी रही। दर्शकों ने सम्मेलन का जमकर लुत्फ उठाया।
देश भक्ति से ओतप्रोत मुनव्वर राना के शेर श्रोताओं के दिलों में उतर गए। खिलौनों की दुकानों की तरफ से आप क्यों गुजरे, ये बच्चों की तमन्ना है, यह समझौता नहीं करती। मैं इसके नाज उठाता हूं, सो यह ऐसा नहीं करती, यह मिट्टी मेरे हाथों को कभी मैला नहीं करती। अजब दुनिया है तितली के परों को नोंच लेती है, अजब तितली है पर नुचने पे भी रोया नहीं करती। मुनव्वर राना के इन शेरों को श्रोताओं ने खूब सराहा। सम्मेलन में कवि बलवीर सिंह खिचड़ी ने जब हास्य व्यंग्य में कविता के तीर छोड़े तो सभागार तालियों के गड़गड़ाहट के साथ खुशनुमा हो गया। अनुच्छेद 370 की समाप्ति पर कविता पेश करते राजस्थान अलवर से आए देश के जाने माने वीर रस के कवि विनीत चौहान ने कहा कि कश्मीर देश का मस्तक है, तिरछी इसकी रवानी है, यह रण चंडी मां दुर्गा है, ये मत समझना हिना रब्बानी है। उन्होंने राजस्थान के गीत-गोरा बादल राजस्थान, वीर सिपाही राजस्थान... को गाकर धरती के लिए बलिदान की कहानी कहीं।
मथुरा निवासी श्रृंगार रस की कवियित्री पूनम वर्मा ने मां शारदा की वंदना कर कवि सम्मेलन का शुभारंभ किया। उन्होंने श्रृंगार रस से जुड़ी एक से बढ़कर एक कविता पेश की। गाजियाबाद निवासी डॉ. कुंवर बेचैन ने अपनी कविता के माध्यम से नए युग का आईना दिखाया। प्रदेश के कैबिनेट मंत्री चेतन चौहान, राज्य सूचना आयुक्त नरेंद्र श्रीवास्तव, जिला पंचायत अध्यक्ष अमृता कुमार और अन्य गणमान्य लोगों ने दीप प्रज्जवलित किया। सम्मेलन का संचालन कवि आशुतोष आजाद ने किया।
इस अवसर पर व्यापार प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक विनीत अग्रवाल शारदा, विधायक सदर विजय पाल आढ़ती, एएसपी सर्वेश कुमार मिश्रा, एआरटीओ राजेश श्रीवास्तव, जिला पंचायत सदस्य कृष्णकांत सिंह, राज्य सफाई कर्मचारी आयोग के सदस्य मनोज बाल्मीकि, अशोक बबली, राकेश त्यागी, क्षेत्रीय मंत्री भाजपा मयंक गोयल, भाजयुमो के प्रदेश मंत्री राहुल त्यागी, वैभव जैन, रियासत अंसारी, सुमित अग्रवाल आदि मौजूद रहे।
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- इनका रहा विशेष सहयोग -
सम्मेलन में एसोसिएट स्पोनसर मोनाड विश्वविद्यालय, वेन्यू पार्टनर हितकारी फार्मस, एजुकेशन पार्टनर उपकार स्कूल ऑफ नर्सिंग, आउट डोर मीडिया पार्टनर डायमंड एडवरटाइजिग एजेंसी, हेल्थ पार्टनर देवनंदिनी अस्पताल और को-स्पोनसर अर्वाचीन इंटरनेशनल स्कूल, वीआइपी इंटर कॉलेज पिलखुवा, मेरिनो इंडस्ट्रीज, पेनटागोन बैट्ररीज, एटीएमएस कॉलेज व एलएम इंटरनेशनल स्कूल, रेनबो पब्लिक स्कूल, सुप्रीम सर्विस स्टेशन, हापुड़ स्मॉल स्केल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन, आइआइईएम ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन, इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन, एलएन पब्लिक स्कूल, दिनेश विद्यापीठ, अटौला स्थित डीएम पब्लिक स्कूल, चौधरी महेंद्र सिंह डिग्री कॉलेज, जीएस मेडिकल कॉलेज और सिभावली शुगर्स का सहयोग रहा।
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कवियों ने की श्रोताओं की प्रशंसा -
कवि सम्मेलन रात 12 बजे तक चला। कवियों द्वारा एक से बढ़कर एक कविता प्रस्तुत की गई। जाने-माने शायर मुनव्वर राना और वीर रस के मशहूर कवि विनीत चौहान और डॉ. कुंवर बेचैन ने देश भक्ति से ओतप्रोत होकर श्रोताओं में देश भक्ति का जज्बा भरा। कवि सम्मेलन के दौरान शाम छह से रात दस बजे तक बारिश होती रही। इसके बावजूद बड़ी संख्या में श्रोता कवि सम्मेलन में पहुंचे और कवि सम्मेलन की समाप्ति तक मौजूद रहे। कवियों ने श्रोताओं के इस प्रेम को देखते हुए कहा कि वास्तव में श्रोता कवि सम्मेलन के दीवाने हैं। बारिश होने के बावजूद श्रोता कवि सम्मेलन में मौजूद रहें, यह प्रशंसनीय है।
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- सेल्फी लेने के लिए लगी होड़ -
कवि सम्मेलन समाप्त होने के बाद कवियों के साथ सेल्फी लेने के लिए श्रोताओं की होड़ लग गई। अपने-अपने मनपसंद कवियों के साथ सेल्फी लेने के लोग इंतजार करते रहे। युवाओं ने बड़ी संख्या में कवियों के साथ सेल्फी ली और उनका ऑटोग्राफ भी लिया। कवि सम्मेलन के दौरान लोगों ने अपने मोबाइल में वीडियो बनाकर और फोटो खींचकर कवि सम्मेलन को यादगार बनाया। भोजन के समय श्रोता कवियों की कविताओं को गुनगुनाते दिखाई दिए।
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डॉ. कुंवर बेचैन -
उसने मेरे छोटेपन की इस तरह इज्जत रखी,
मैंने दीवारें उठाईं उसने इन पर छत रखी।
क्यूं हथेली की लकीरों से हैं अंगुलियां
रब ने भी किस्मत से आगे आपकी मेहनत रखी।
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बलबीर सिंह खिचड़ी --
क्या-क्या करते काम ना पूछो,
क्या होगा अंजाम ना पूछो,
पर्दे के पीछे क्या देखा,
सब कुछ सरेआम ना पूछो।।।
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विनीत चौहान -
पूरी घाटी दहक रही आतंकी अंगारों से,
कश्मीर में आग लगी थी पाकिस्तानी नारों से।
रोज की इन घटनाओं को निपटाना मजबूरी था,
इसीलिए अनुच्छेद 370 को हटना बहुत जरूरी था।
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पूनम वर्मा -
चले आज बस खो जाये हम,
एक दूजे के प्यार में।
क्या तुम इसके लिए मुहुर्त,
देखोगे अखबार में।
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मुनव्वर राना -
किसी के जख्म पर चाहत से पट्टी कौन बांधेगा,
अगर बहनें नहीं होंगी तो राखी कौन बांधेगा।
तुम्हारी महफिलों में हम बड़े-बूढ़े जरूरी है,
अगर हम ही नहीं होंगे तो पगड़ी कौन बांधेगा।
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श्रोता बोले मजा आ गया -
- दैनिक जागरण द्वारा आयोजित कवि सम्मेलन वास्तव में सराहनीय रहा है। कवियों ने एक से बढ़कर एक कविता पेश की है। ऐसे आयोजन होते रहने चाहिए। - सुबोध कौशिक
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- काफी समय बाद एक अच्छे कवि सम्मेलन को सुनने का मौका मिला है। कविताओं में इतने खो गए कि समय का पता तक नहीं चल सका। यह दैनिक जागरण का सराहनीय कार्य है। - विपुल
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- दैनिक जागरण के तत्वावधान में आयोजित कवि सम्मेलन में आकर बहुत अच्छा लगा है। कवियों ने बेहतरीन कविताएं प्रस्तुत की। ऐसे आयोजन होते रहने चाहिए। - विकास शर्मा
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- दिल्ली-एनसीआर संस्करण की 29वीं वर्षगांठ पर दैनिक जागरण परिवार को बहुत-बहुत बधाई। कवि सम्मेलन में बेहतरीन कवियों को सुनने का मौका मिला। - मनोज कौशिक
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- दैनिक जागरण ने बहुत अच्छा कवि सम्मेलन आयोजित कराया। देश के नामचीन कवियों व शायरों को सम्मेलन में सुनकर बहुत अच्छा लगा है। - विजय गांधी