अपनों की रह में पथराई आंखे, राह देख रही 'ममता', खानापूर्ति के बाद बंद हो जाते हैं पुलिस के अभियान
पुलिस अधीक्षक संजीव सुमन ने बताया कि लगातार लापता लोगों की तलाश के लिए पुलिस अभियान चला रही है। जनपद में गुमशुदा लोगों की बरामदगी करने के लिए सभी थानों को पुलिस को कड़े आदेश दिए गए हैं।
हापुड़, केशव त्यागी। अपनों के बिछड़ने का दर्ज केवल वहीं लोग बयां कर सकते हैं। जो लोग पिछले कई वर्षों से लपता हुए अपनों की तलाश में दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं। आज भी ऐसे लोग घर की चौखट पर टकटकी लगाए इंतजार करते रहते हैं। क्योंकि, कहीं न कहीं आज भी उन्हें उम्मीद है कि एक दिन उनके परिवार का लापता सदस्य घर वापस लौटकर जरूर आएगा। सरकार समय-समय पर पुलिस को गुमशुदा की तलाश के लिए जगाती रहती है, लेकिन शायद पुलिस गहरी नींद में सो रही है।
वर्ष 2014 से अब तक तक 18 वर्ष तक की आयु के करीब 312 किशोर व किशोरियों के लापता होने के मुकदमे थानों में दर्ज हुए हैं। इनमें से 130 तो वापस आ गए, जबकि 182 किशोर और किशोरियों का अभी तक सुराग नहीं लग पाया है। पुलिस उन्हें खोजने के लिए विशेष योजना भी नहीं बना सकी है। सरकार के दिशा-निर्देश पर चलने वाले अभियान भी महज खानापूर्ति कर दम तोड़ जाते हैं। नतीजा लोग अाज भी अपनों की तलाश में थाने और चौकियों से लेकर अधिकारियों के कार्यालयों के चक्कर काट रहे है। लेकिन, उन्हें आश्वासन के अलावा अभी तक कुछ नहीं मिल पाया है।
कहीं पुत्री के लौटने का इंतजार है। तो कहीं पुत्र की तलाश की जा रही है। कोई पत्नी का सुराग लगाने का प्रयास कर रहा है। तो कोई पति की तलाश में भटक रही है। किसी का भाई गुम है, तो किसी की बहन। गुमशुदा लोगों में कुछ ऐसे हैं जिनका पुलिस पिछले कई वर्षों लापता होने का बाद भी सुराग नहीं लगा सकी है।
पिछले पांच वर्षों में गुमशुदा और बरामदगी का आकंड़ा
वर्ष गुमशुदा पुरुष गुमशुदा महिला कुल बरामदगी सुराग नहीं
2014 118 44 79 85
2015 106 84 96 96
2016 158 114 136 136
2017 162 129 94 197
2018 210 185 104 291
2019 100 59 111 48
2020 110 60 50 75
क्या कहते हैं जिम्मेदार
पुलिस अधीक्षक संजीव सुमन ने बताया कि लगातार लापता लोगों की तलाश के लिए पुलिस अभियान चला रही है। जनपद में गुमशुदा लोगों की बरामदगी करने के लिए सभी थानों को पुलिस को कड़े आदेश दिए गए हैं।