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जाल में कैद लोग, सड़क पर बंदरों का आतंक

जागरण संवाददाता हापुड़ शहर की हर गली और मोहल्ले में बंदरों का आतंक चरम पर पहु

By JagranEdited By: Published: Sun, 21 Feb 2021 06:57 PM (IST)Updated: Sun, 21 Feb 2021 06:57 PM (IST)
जाल में कैद लोग, सड़क पर बंदरों का आतंक
जाल में कैद लोग, सड़क पर बंदरों का आतंक

जागरण संवाददाता, हापुड़ :

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शहर की हर गली और मोहल्ले में बंदरों का आतंक चरम पर पहुंच गया है। यही कारण है कि लोगों ने घरों के बाहर लोहे के जाल लगवा दिए हैं। जिससे कि बंदरों के उत्पाद के कारण आए दिन होने वाले आर्थिक और शारीरिक नुकसान से बचा सके। बावजूद इसके आए दिन लोग बंदरों का शिकार हो रहे हैं। कुल मिलाकर लोग घरों में कैद होने को मजबूर हो गए हैं।

बंदरों के उत्पाद को रोकने का दायित्व नगर पालिका का है, लेकिन ऐसा लगता है कि अधिकारी अपने इस दायित्व को भूल चुके हैं। क्योंकि पहले इस प्रकार के अभियान को चलाकर बंदरों को पकड़कर दूसरे स्थानों पर छोड़ा जाता था। परंतु, अब ऐसा नहीं हो रहा है। नगर पालिका के अधिकारी इस ओर कार्रवाई करने के बजाए चुप्पी साधे हुए हैं। इन्हें न तो लोगों की जान की फिक्र है और न ही आर्थिक नुकसान की। तभी तो अभियान के नाम पर सब चुप हैं। यही कारण है कि लोगों ने अब खुद की जान बचाने की जिम्मा उठा लिया है।

घरों के बाहर के हिस्से को लोहे आदि के जाल से बंद सा कर दिया गया है। मात्र हवा और कोई छोटी वस्तु ही यहां से मकान के अंदर दाखिल हो सकती है। शहर के अधिकतर इलाकों में यह नजारा आजकल साफ नजर आ रहा है। हालांकि, इसमें लोगों के हजारों रुपये खर्च हो रहे हैं, लेकिन इस एक बार के खर्चे ने लोगों को कुछ चैन जरूर दिया है।

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घरों के बाहर निकलने से डरते हैं लोग -

शहर के कई इलाकों में बंदरों का आतंक अत्यधिक है। इन मोहल्लों के लोग घर से बाहर सड़क पर निकलने से डरते हैं। यदि घर का कोई सदस्य सड़क पर निकलता है तो दूसरा सदस्य गेट पर खड़ा होकर बंदरों पर नजर रखता है।

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प्रतिदिन बंदरों का शिकार हो रहे -

स्वास्थ्य विभाग के एक आंकड़ें के अनुसार प्रतिदिन करीब पांच से दस लोग बंदरों के काटने का इंजेक्शन लगवाने सीएचसी पहुंच रहे हैं। जबकि, बहुत से लोग प्राइवेट स्तर पर भी दवा और इंजेक्शन लेते हैं।

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क्या कहते हैं अधिकारी -

शहर में बंदरों को पकड़ने के लिए नगर पालिका के पास वन विभाग की कोई अनुमति नहीं है। अनुमति के लिए वन विभाग के अधिकारियों को पत्र लिखा गया है। जैसे ही अनुमति मिल जाएगी तो टेंडर की प्रक्रिया शुरू करा दी जाएगी। - संजय कुमार गौतम, अधिशासी अधिकारी


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