Move to Jagran APP

Martyrs' day 2021: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का हापुड़ से सटे गांव असौड़ा से है पुराना रिश्ता

Martyrs day 2021 अजय वंश बताते हैं कि उनके पिता ने उन्हें बताया था कि एक बार गांधी जी को मेरठ जाना था तो वह उन्हें लेकर कार से गए थे। इस बीच गांधी जी कार में पीछे की सीट पर बैठ गए और आराम किया।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 29 Jan 2021 04:18 PM (IST)Updated: Fri, 29 Jan 2021 04:18 PM (IST)
गांव असौड़ा स्थित महल में जनसभा को संबोधित करते महात्मा गांधी।

मनोज त्यागी, हापुड़। Martyrs' day 2021 मै उस समय करीब सात-आठ साल का था। गांधी जी असौड़ा गांव में आए थे। जब हमें पता चला कि गांधी जी जो देश को आजादी दिलाने के लिए लोगों को जागरुक कर रहे हैं, तो हम भी उन्हें देखने के लिए गए। गांव असौड़ा के राजबल सिंह त्यागी याद करते हुए बताते हैं कि महात्मा गांधी पैदल-पैदल तेजी से जा रहे थे उनके पीछे-पीछे गांव और आस-पास के बहुत से लोग चल रहे थे। जब सब लोग आजादी के नारे लगा रहे थे, तो हम भी उनके साथ नारे लगाने लगे। गांधी जी असौड़ा से पीर वाले रास्ते से होते हुए गाजियाबाद के लिए निकल गए थे।

loksabha election banner

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का हापुड़ से सटे गांव असौड़ा से बहुत पुराना रिश्ता रहा है। वह 29 अक्टूबर 1942 में आयोजित असहयोग आंदोलन के प्रति जनमानस को जागरुक करने के लिए गांव असौड़ा आए थे। गांधी जी की यात्रा मेरठ से फफूंडा, खरखौदा होते हुए गांव असौड़ा पहुंचे थे और यहां से दूसरे दिन गाजियाबाद पहुंची थी। इस दौरान लोनी में नमक के पैकेट बांटे गए थे। गांधी जी ने गांव असौड़ा में चौधरी रघुवीर नारायण सिंह के महल में रात्रि विश्राम किया था।

महात्मा गांधी छूआछूत के विरोधी रहे। उन्हें यह बिलकुल पसंद नहीं था कि हरिजन या बाल्मीकी समाज के लोगों से कोई दूरी बनाए। चौधरी रघुवीर नारायण सिंह के महल में रात्रि विश्राम के दूसरे दिन 30 अक्टूबर को जब गांधी जी सुबह महल के बाहर टहल रहे थे, तो उन्होंने वहां एक सफाई कर्मचारी को झाड़ू लगाते हुए देखा। इस पर गांधी जी ने सफाई कर्मचारी से पूछा कि तुम कहां तक झाड़ू लगाते हो। सफाई कर्मचारी ने कहा कि वह मंदिर के बाहर और अंदर झाड़ू लगाता है। यह सुनकर महात्मा गांधी बहुत प्रसन्न हुए। उन्हें लगा कि जिस समाज का वह सपना देख रहे हैं वह पूरा होता नजर आ रहा है।

गांधी जी ने इस बात का जिक्र अपने अखबार नवजीवन, यंग इंडिया और हरिजन में भी किया। महात्मा गांधी ने गांव असौड़ा में एक जनसभा को भी संबोधित किया था। इस सभा में राजगोपालाचारी और मौलाना आजाद भी मौजूद थे। सभा का आयोजन चौधरी रघुवीर नारायण सिंह ने किया था। सभा में बड़ी संख्या में क्षेत्रवासी मौजूद थे। गांव असौड़ा की अब आबादी करीब पचास हजार से अधिक है। वर्ष 1800 से 1947 तक असौड़ा रियासत के नाम से जाना जाता था। रघुवीर नारायण सिंह के पिता चौधरी देवी सिंह की गिनती उत्तर प्रदेश के बड़े जमीदारों में होती थी। अंग्रेजों ने रघुवीर नारायण सिंह को राय बहादुर की उपाधि से नवाजा था।

गांधी जी ने कहा था कि मेरे पास भी एक राजा है: महात्मा गांधी पहली बार वर्ष 1930 में असौड़ा रियासत में आए थे। इस दौरान वह कुछ देर ही चौधरी रघुवीर नारायण सिंह के पास रुके थे। महात्मा गांधी चौधरी साहब को अपना मित्र मानते थे। महात्मा गांधी ने मुंबई की एक सभा में कहा था कि यदि अंग्रेजों के पास कई राजा हैं तो हमारे पास भी एक राजा है चौधरी रघुवीर नारायण सिंह। इस बात का उल्लेख मुंबई के अखबारों में मिलता है।

रघुवीर नारायण सिंह के पौत्र अजय वंश नारायण बताते हैं कि उनके पिता सुखवंश नारायण सिंह बताते थे कि बाबा जी ने महात्मा गांधी के सपना पूरा करने के लिए हर कदम उठाया था। इसी कारण महात्मा गांधी ने बाबा जी का जिक्र अपने अखबारों में किया है। गांधी जी अपने समय का सद्पयोग बाखूबी करते थे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.