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यहां एक है पंचायती मंदिर और फतेहपुरी मस्जिद की दीवार, पढ़ें हिंदू-मुस्‍लिम भाई चारे का संदेश देती स्‍टोरी

गढ़मुक्तेश्वर में मंदिर में नियमित घंटे घड़ियाल बजते हैं और मस्जिद में अजान- नमाज होती है परंतु कट्टर पंथी सोच के लोग आज तक इस एकता को नहीं डिगा पाए हैं।

By Prateek KumarEdited By: Published: Sat, 29 Aug 2020 04:30 PM (IST)Updated: Sat, 29 Aug 2020 05:28 PM (IST)
यहां एक है पंचायती मंदिर और फतेहपुरी मस्जिद की दीवार, पढ़ें हिंदू-मुस्‍लिम भाई चारे का संदेश देती स्‍टोरी
यहां एक है पंचायती मंदिर और फतेहपुरी मस्जिद की दीवार, पढ़ें हिंदू-मुस्‍लिम भाई चारे का संदेश देती स्‍टोरी

गढ़मुक्तेश्वर [इमरान अली]। पंचायती मंदिर और फतेहपुरी मस्जिद आज भी महाभारत कालीन गढ़ गंगानगरी के सांप्रदायिक सौहार्द अनूठी मिसाल बनी हुई है। मंदिर में नियमित घंटे घड़ियाल बजते हैं और मस्जिद में अजान- नमाज होती है, परंतु कट्टर पंथी सोच के लोग आज तक इस एकता को नहीं डिगा पाए हैं। कट्टर पंथी सोच वाले लोग आए दिन देश के विभिन्न स्थानों पर छोटी छोटी घटनाओं को सांप्रदायिक रूप देकर माहौल बिगाड़ डालते हैं, परंतु आज के दौर में भी गढ़ गंगानगरी के मुख्य बाजार में स्थित प्राचीन पंचायती मंदिर और फतेहपुरी मस्जिद सांप्रदायिक सौहार्द की अनूठी मिसाल बनी हुई हैं।

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सांप्रदायिक सौहार्द की प्रतीक

मस्जिद में पांच वक्त नमाज होती है, जबकि मंदिर में घंटे और शंखनाद के बीच भगवान की आरती समेत त्योहारों के दौरान विशेष पूजा अर्चना भी होती है। मंदिर और मस्जिद के बीच वाली दीवार संयुक्त है, परंतु दोनों ही समुदायों की पूजा अर्चना के दौरान सदियों से लेकर आज तक भी किसी तरह का कोई विवाद सिर नहीं उठा पाया है। कार्तिक गंगा स्नान मेले में आने वाले लाखों श्रद्धालु सांप्रदायिक सौहार्द की प्रतीक इस प्राचीन धरोहर के दर्शन करने आते हैं।

मंदिर और मस्जिद का इतिहास

सांप्रदायिकता की आंधी भी मंदिर और मस्जिद की एकता को नहीं डिगा पाई हैं। मंदिर और मस्जिद से एक साथ आने वाली अजान और आरती की आवाज अपने आप में एक अनूठा उदाहरण है, जिसकी मिसाल किसी दूसरे तीर्थ स्थान पर मिल पाना असंभव नहीं तो बेहद मुश्किल अवश्य है।

क्या कहते हैं मंदिर के पुजारी

मंदिर से मस्जिद सटी होनेके बाद भी पूजा अर्चना और घंटे घड़ियाल बजाने में कभी कोई समस्या सामने नहीं आई है। मंदिर में नियत समय पर आरती होती है, तो मस्जिद में भी पांचों वक्त अजान और नमाज होती है मगर कभी कोई टकराव की स्थिति नहीं बन पाई है।

सुरेंद्र कुमार शास्त्री, मंदिर के पंडित

क्‍या कहते हैैं इमाम

गढ़ गंगानगरी में सांप्रदायिक सौहार्द की एकता वाली यह मिसाल अपने आप में दोनों धर्मों से जुड़े लोगों के लिए बड़े गर्व का विषय है। जिससे राम रहीम की महानता वाली पंक्ति भी सार्थक हो रही हैं।

कारी ताजीम, मस्जिद के इमाम

मंदिर और मस्जिद के दर्शन को कैसे पहुंचें

गढ़ के मैन बाजार में हिंदू मुस्लिम की एकता वाली इस अनूठी मिसाल के दर्शन करने निजी वाहनों के साथ ही बस, ट्रेन के माध्यम आते हैं, जो रेलवे स्टेशन और बस अड्डों से ऑटो, ई रिक्शा, रिक्शा द्वारा पहुंचते हैं।


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