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पशुओं की जान की बाजी लगाते हैं लोग

कार्तिक पूर्णिमा गंगा मेले में भैंसा-बुग्गी से आने का प्रचलन शायद उतना ही पुराना है, जितना की खुद ये मेला पौराणिक है। तब भैंसा-बुग्गी के अलावा यात्रा के कोई साधन नहीं थे। अब आधुनिक साधन होने के बावजूद बहुत से लोग केवल इसलिए भैंसा-बुग्गी लेकर मेले की ओर कूच करते हैं, जिससे वह रास्ते में भैंसा-बुग्गी दौड़ के रोमांच का आनंद ले सकें।

By JagranEdited By: Published: Sat, 17 Nov 2018 09:03 PM (IST)Updated: Sat, 17 Nov 2018 09:03 PM (IST)
पशुओं की जान की बाजी लगाते हैं लोग
पशुओं की जान की बाजी लगाते हैं लोग

संवाद सहयोगी, गढ़मुक्तेश्वर

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कार्तिक पूर्णिमा गंगा मेले में आने वाले अधिकतर किसान श्रद्धालु सवारी के रूप में भैंसा-बुग्गी का प्रयोग करते हैं। पहले किसान परिवार सहित बैलगाड़ी में सवार होकर मेले में जाते थे। समय के परिवर्तन के साथ बैलगाड़ी का स्थान भैंसा-बुग्गी ने ले लिया। आधुनिक साधन संपन्न होने के बावजूद बहुत से किसान केवल भैंसा-बुग्गी दौड़ के रोमांच का आनंद लेने के उद्देश्य से मेले में जाने के लिए इस साधन का प्रयोग करते हैं।

दौड़ में जीतने के लिए भैंसे को तेज दौड़ाने के लिए उसकी डंडे से पिटाई की जाती है और उस डंडे में लगी नुकीली लोहे की कील भैंसे के मांस में घुसा दी जाती है। कील मांस में घुसने से होने वाले दर्द से पीड़ित भैंसा और तेज दौड़ने लगता है। वह तब तक दौड़ता है, जब तक या तो दौड़ पूरी नहीं हो जाती अथवा वह बेदम होकर सड़क पर गिर नहीं जाता। इस दौड़ के दौरान भैंसा-बुग्गी पर सवार लोगों की जान को तो भी खतरा बना रहता है। कई बार तो क्षमता से अधिक दौड़ने के कारण भैंसे की सड़क पर गिर कर मौत भी हो जाती है। इसके अलावा सड़क पर चल रहे अन्य निर्दोष लोगों की जान का भी खतरा बना रहता है। ऐसी कई घटना कार्तिक मेले के दौरान लगभग हर वर्ष होती हैं। इसके बावजूद न तो भैंसा दौड़ करने वालों का जुनून कम हो रहा है और न ही पुलिस उन्हें रोकने के प्रयास करती है। महीनों पहले भैंसे को खिला-पिला कर किया जाता है तैयार

मेले के दौरान भैंसा दौड़ का हिस्सा बनने के लिए लोग महीनों पहले से इसकी तैयारी शुरू कर देते हैं। इसके लिए वे अपने भैंसे को एक माह पूर्व से ही दौड़ने का अभ्यास कराने लगते हैं। उसे देशी घी, बादाम, सरसों का तेल, रातब, बिनौले आदि विशेष खुराक देकर अधिक ताकतवर और अधिक दूरी तक दौड़ने के योग्य बनाया जाता है। मेले में जाते समय वे दौड़ के लिए विशेष रूप से तैयार की गई छोटी बुग्गियों को सजाकर घर से निकलते हैं। रास्ते में भैंसे को शराब और दूध में अंडे डाल कर भी पिलाए जाते हैं। पुलिस क्षेत्राधिकारी पवन कुमार का कहना है कि राष्ट्रीय राजमार्ग पर भैंसे को दौड़ाने वालों के विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए सख्त निर्देश दिए गए हैं।


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