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देव प्रबोधिनी एकादशी पर दस लाख श्रद्धालुओं ने लगाई डुबकी

देवोत्थान एकादशी के पावन अवसर पर खादर मेला और तीर्थनगरी ब्रजघाट में लाखों भक्तों ने गंगा में आस्था की डुबकी लगा भगवान विष्णु और तुलसी के विवाह की रस्म अदा कराई। इस दौरान खादर मेला स्थल पर करीब सात लाख और ब्रजघाट में करीब तीन लाख श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। गढ़ खादर में भर रहे कार्तिक पूर्णिमा स्नान मेले में दूसरा

By JagranEdited By: Published: Mon, 19 Nov 2018 06:12 PM (IST)Updated: Mon, 19 Nov 2018 06:12 PM (IST)
देव प्रबोधिनी एकादशी पर दस लाख श्रद्धालुओं ने लगाई डुबकी
देव प्रबोधिनी एकादशी पर दस लाख श्रद्धालुओं ने लगाई डुबकी

संवाद सहयोगी, गढ़मुक्तेश्वर

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देवोत्थान एकादशी के पावन अवसर पर खादर मेला और ब्रजघाट में लाखों भक्तों ने गंगा में डुबकी लगाई और भगवान विष्णु तथा तुलसी के विवाह की रस्म अदा कराई। इस दौरान खादर मेला स्थल पर करीब सात लाख और ब्रजघाट में करीब तीन लाख श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। 

खादर में भर रहे कार्तिक पूर्णिमा स्नान मेले में दूसरा पर्व कहलाए जाने वाली देवोत्थान एकादशी पर सोमवार को सात लाख से भी अधिक श्रद्धालुओं ने मोक्ष दायिनी गंगा में आस्था की डुबकी लगाई। वहीं ब्रजघाट में दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, पश्चिमी उप्र के जनपदों से आए करीब तीन लाख से अधिक भक्तों ने पतित पावनी गंगा में डुबकी लगाई। गंगास्नान के बाद श्रद्धालुओं ने गंगा किनारे पर बैठे पंडितों से भगवान विष्णु और तुलसी के विवाह की कथा सुनकर उन्हें दक्षिणा दी। इस दौरान गन्ना, शकरकंद, ¨सघाड़ा, मूंगफली, मूली समेत विभिन्न प्रकार की सामग्री से पूजा अर्चना भी की गई।

महिलाओं ने अपने शिविरों में पूजा-अर्चना कर भगवान शालिग्राम और तुलसी के विवाह की रस्म पूरी की। ब्रजघाट में महानगरों से आए श्रद्धालुओं ने गरीब-निराश्रितों को भोजन और गरम वस्त्रों का दान कर पुण्य अर्जित किया। शिव मंदिर के पुजारी पंडित शिवम शर्मा ने बताया कि श्रावणी मास की शुक्ल पक्ष देवशयनी एकादशी को भगवान विष्णु क्षीर सागर में चले जाते हैं। इसके बाद विवाह आदि मांगलिक कार्यों पर पूरी तरह रोक लग जाती है। कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को सूर्य नारायण भगवान विष्णु क्षीर सागर से जाग जाते हैं। उन्होंने इस दिन सर्वप्रथम तुलसी से विवाह रचाया था। जो भक्त इस दिन भगवान विष्णु और तुलसी के विवाह की रस्म अदा करते हैं, वे पापों से मुक्त होकर सुख-शांति और मनोवांछित फल प्राप्त करते हैं।


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