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मतदाता का मिजाज पढ़ना मुश्किल, हर कोई बजा रहा अपनी डफली अपना राग

गौरव शर्मा हापुड़ शहर का बुलंदशहर रोड इलाका मिश्रित आबादी वाला है। यहां पर हर जा

By JagranEdited By: Published: Tue, 18 Jan 2022 09:57 PM (IST)Updated: Tue, 18 Jan 2022 09:57 PM (IST)
मतदाता का मिजाज पढ़ना मुश्किल, हर कोई बजा रहा अपनी डफली अपना राग
मतदाता का मिजाज पढ़ना मुश्किल, हर कोई बजा रहा अपनी डफली अपना राग

गौरव शर्मा, हापुड़:

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शहर का बुलंदशहर रोड इलाका मिश्रित आबादी वाला है। यहां पर हर जाति और धर्म के लोग निवास करते हैं। कड़ाके की ठंड से भी पांच दिन बाद निजात मिली थी। सोचा कि क्यों ना इस मार्ग के लोगों का मूड भांपा जाए तो चल दिए ऐसी जगह खोजने जहां हर वर्ग का व्यक्ति बैठकर चुनावी माहौल को और गर्म कर दें। तभी नजर पड़ी भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआइ) के पास शहर की सबसे प्रसिद्ध चाय की दुकान पर। यह दुकान गिरधारी की है। यहां काफी संख्या में लोग बैठकर चाय की चुस्की ले रहे थे।

समय लगभग दोपहर 12:30 बजे का होगा। लोगों के बीच जाकर बैठ गए और एक चाय का आर्डर दिया। इसके बाद लोगों की बातों को सुनने लगा।

दुकान पर अब्दुल मेवाती, शातिब अहमद, कमर अहमद, राजू, सुरेश, अमित पेंटर और जितेंद्र बैठे हुए थे। अब्दुल मेवाती ने जिक्र छेड़ा कि पांच साल में प्रदेश में कुछ भी कहो भाईजान विकास तो हुआ है। इससे पहले वह अपनी बात पूरी करते कि झटक से शातिब अहमद ने उन्हें रोक दिया और गुस्साए अंदाज में कहा कि विकास होना अच्छी बात है लेकिन, रसोई-गैस, डीजल-पेट्रोल के दाम पर भी कुछ बात यदि करोगे तो ठीक होगा। सिलिडर और खान-पान पर महंगाई से आम आदमी का बजट बिगड़ गया। घरेलू महिलाओं की आम जरूरत की चीज महंगी कर दी। दोनों के बीच बातचीत बढ़ती तभी सुरेश ने उन्हें रोका और कहा कि आज सुरक्षा की कोई दिक्कत नहीं है। रात में बेखौफ सड़कों पर चला जा सकता है। हमारी बहन-बेटी की इज्जत को कोई खतरा नहीं है। उनके इस वाक्य पर साथ देते हुए राजू बोल उठे कि पिछले तीन सालों से कोरोना का संक्रमण बढ़ा है, जितनी तेजी से प्रदेश में टीकाकरण हुआ, किसी अन्य राज्य में हुआ हो तो बताओ। अमित ने कहा कि बिजली महंगी हो रही है। बिल भरने में ही पसीना निकल जाता है। कमर अहमद ने उनकी बात को आगे बढ़ाते हुए बोले कि, बड़े लोग ही बड़े हो रहे हैं। आम लोग तो मेहनत का पूरा मेहनताना भी नहीं कमा पा रहे हैं। सरकारों को व्यवस्था में बदलाव लाना चाहिए। सुरेश फिर से बोले कि बोलो कुछ भी, अब माहौल पूरी तरह से गर्म है। किस दल को वोट करनी है, यह सब सोच चुके हैं। इतनी ही देर में सभी की चाय खत्म हुई और सब लोग उठे और अपने-अपने घर की ओर चल दिए।


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