दीपोत्सव - जिले में बड़ी मात्रा में तैयार हो रहा है ¨सथेटिक दूध
जिले में ¨सथेटिक दूध (नकली दूध) का आंकड़ा प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। पशुपालन विभाग के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो करीब एक लाख लीटर नकली दूध प्रतिदिन जनपद में बन रहा है। जो जिले में खाद्य सुरक्षा विभाग की मुस्तैदी और कार्रवाई को दर्शाता है।
जागरण संवाददाता, हापुड़ :
जिले में ¨सथेटिक दूध (नकली दूध) का आंकड़ा प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। पशुपालन विभाग के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो बड़ी मात्रा में ¨सथेटिक दूध जनपद में बन रहा है। खाद्य सुरक्षा विभाग के अधिकारी इस बारे में जानकर भी आंख बंद किए बैठे हैं। दिवाली का त्योहार नजदीक आते ही दूध की डिमांड में दोगुनी बढ़ोतरी हुई है। इस मांग को पूरा करने के लिए नकली दूध बनाने और आपूर्ति करने वाले सक्रिय हो गए हैं। जो लोगों की सेहत से खिलवाड़ कर रहे हैं। जनपद के पशुपालन विभाग के अनुसार जिले में लगभग तीन लाख 51 हजार गोवंश है। विभाग का मानना है कि एक गाय प्रतिदिन साढ़े तीन लीटर और एक भैंस प्रतिदिन साढ़े चार लीटर दूध देती है। कुल मिलाकर जिले में प्रतिदिन करीब पांच लाख लीटर दूध का उत्पादन होता है। जबकि, जिले की आबादी पंद्रह लाख के करीब है। एक व्यक्ति को प्रतिदिन आधा लीटर दूध की आवश्यकता होती है। इसमें दूध, दही, चाय और कॉफी तक शामिल है। इस अनुसार करीब सात लाख लीटर दूध का उत्पादन होना चाहिए, लेकिन यह नहीं हो रहा है। इसलिए जिले में शुद्ध दूध के नाम पर स्थिति सुधरने का नाम नहीं ले रही है और लोग ¨सथेटिक दूध के सहारे जीवन यापन कर रहे हैं।
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--कैसे बनता है ¨सथेटिक दूध
-आधा लीटर शुद्ध दूध और सोयाबीन रिफाइंड के आधा लीटर तेल को मिलाया जाता है। जिससे फैट बनकर तैयार हो जाता है। दूध में फैट की मात्रा बढ़ाने के लिए थोड़ा नमक, चीनी (बूरा), यूरिया खाद और ग्लूकोज को पानी में मिलाते हैं। अगर यह फिर भी कम रह जाती है तो उसमें एक अलग किस्म का रसायन मिलाते हैं। दूध का नंबर 50 से ऊपर पास हो जाता है, लेकिन 65 से ऊपर का दूध शुद्ध माना जाता है। दूध में झाग लाने के लिए यूरिया खाद और शैंपू का प्रयोग तक किया जाता है। सोयाबीन का रिफाइंड तेल, यूरिया, पाउडर, चूना सहित कई प्रकार के केमिकल को पानी या पनीर के खट्टे पानी से नकली दूध बनाया जाता है।
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--ऐसे करें नकली दूध की पहचान
-- ¨सथेटिक दूध की पहचान करने के लिए उसे सूंघें। यदि साबुन जैसी गंध आ रही है तो दूध ¨सथेटिक है। जबकि असली दूध में कुछ खास गंध नहीं आती।- असली दूध का स्वाद हल्का मीठा होता है, जबकि नकली दूध का स्वाद डिटर्जेंट और सोडा मिला होने की वजह से कड़वा लगता है।- असली दूध एकत्र करके रखने पर अपना रंग नहीं बदलता, जबकि नकली दूध कुछ वक्त के बाद पीला पड़ने लगता है।
- पानी के मिलावट की पहचान के लिए दूध को एक काली सतह पर छोड़ें। यदि दूध के पीछे एक सफेद लकीर छूटे तो दूध असली है।- अगर असली दूध को उबालें तो इसका रंग नहीं बदलता। वहीं, नकली दूध उबालने पर पीले रंग का हो जाता है।
- असली दूध को हाथों के बीच रगड़ने पर कोई चिकनाहट महसूस नहीं होती। वहीं, नकली दूध को अगर आप अपने हाथों के बीच रगड़ेंगे तो आपको डिटर्जेंट जैसी चिकनाहट महसूस होगी।
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--ऐसे तैयार होता है नकली पनीर
-नकली पनीर बनाने के लिए ¨सथेटिक दूध का इस्तेमाल किया जाता है। यह सबसे सस्ता और बेहद आसान तरीका नकली पनीर बनाने के लिए माना जाता है।
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--ऐसे करें नकली पनीर की पहचान -
- पनीर का एक छोटा-सा टुकड़ा आप हाथ में मसलकर देख सकते हैं। यदि यह टूटकर बिखरने लगे तो समझ लीजिए कि पनीर मिलावटी है। क्योंकि इसमें मौजूद मिल्ड पाउडर ज्यादा दबाव सह नहीं पाता है।
- नकली पनीर ज्यादा टाइट होता है. उसका टैक्सचर रबड़ की तरह होता है।
- मिलावटी पनीर खाते वक्त रबड़ की तरह ¨खचता है।
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यह होता है नुकसान -चिकित्सक डा. गौरव मित्तल का कहना है कि ¨सथेटिक दूध में शामिल यूरिया, कास्टिक सोडा और डिटर्जेंट आहार नलिका में अल्सर पैदा करते हैं। इससे किडनी, ़फूड प्वाइ•ा¨नग और पेट से संबंधित बीमारियां होती हैं। मिलावटी पनीर खाने से पेट से संबंधित बीमारी होती है।