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UP Crime News: हापुड़ जिले के जंगल में चल रही थी अवैध हथियार बनाने की फैक्टरी

सिंभावली पुलिस ने शरीकपुर गांव के जंगल से अवैध हथियार बनाए जाने वाली फैक्टरी का भंडाफोड़ कर दो आरोपितों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने मौके से 20 बने तमंचे आधा दर्जन से अधिक अधबने हथियार और हथियार बनाने के उपकरण बरामद किए हैं।

By JP YadavEdited By: Published: Wed, 21 Oct 2020 09:38 AM (IST)Updated: Wed, 21 Oct 2020 09:38 AM (IST)
UP Crime News: हापुड़ जिले के जंगल में चल रही थी अवैध हथियार बनाने की फैक्टरी
सिंभावली पुलिस ने अवैध हथियार बनाने की फैक्टरी का भंडाफोड़ किया है।

हापुड़ [प्रिंस शर्मा]। दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले में अवैध हथियार बनाए जाने की फैक्टरी का खुलासा हुआ है। इसमें 2 लोगों की गिरफ्तारी भी हुई है। मिली जानकारी के मुताबिक, सिंभावली पुलिस ने शरीकपुर गांव के जंगल से अवैध हथियार बनाए जाने वाली फैक्टरी का भंडाफोड़ कर दो आरोपितों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने मौके से 20 बने तमंचे, आधा दर्जन से अधिक अधबने हथियार और हथियार बनाने के उपकरण बरामद किए हैं। पुलिस ने आरोपितों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है।

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थाना प्रभारी राहुल चौधरी ने बताया कि उपनिरीक्षक बालेेंद्र सिंह, कांस्टेबल हासिम अली, सचिन, आदेश क्षेत्र में गश्त कर रहे थे। पुलिस टीम को शरीकपुर गांव के जंगल स्थित गन्ने के खेत में अवैध रूप से हथियार बनाने वाली फैक्ट्री की जानकारी मिली। सूचना पर पुलिस टीम ने बताए स्थान पर दबिश दी तो वहां पर हथियार बना रहे दो युवक पुलिस को देख कर भागने लगे। पुलिस ने भाग रहे युवकों को हिरासत में लेकर मौके से 20 तमंचे, आधा दर्जन से अधिक अधबने हथियार, आठ कारतूस, दो खोखे और हथियारों को बनाए जाने वाले उपकरण बरामद किए हैं। पूछताछ में आरोपितों ने अपना नाम बाबू निवासी आरिकपुर सरावनी थाना बाबूगढ़ और जतन सिंह निवासी शरीकपुर बताया है। थाना प्रभारी ने बताया कि आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।

दो हजार से पांच हजार रुपये में मिलता था मौत का सामान

आरोपितों ने बताया कि यहां बनाए गए हथियारों की कीमत दो हजार से पांच हजार रुपये तक वसूल की जाती थी। उच्च गुणवत्ता वाले हथियार वह आर्डर मिलने पर बनाते थे।

पुलिस की नाक के नीचे चल रहा था अवैध कारोबार

आरोपितों ने बताया कि वह पिछले कई माह से यह अवैध धंधा कर रहे थे। थाना प्रभारी बदले जाने के बाद वह कुछ दिन तक कार्य बंद कर देते थे। नए थाना प्रभारी आने के कुछ दिन बाद वह फिर यह धंधा शुरू कर देते थे। लोगों का कहना है कि पुलिस की सांठगांठ के बिना लंबे समय तक यह अवैध धंधा नहीं चल सकता। यदि पुलिस इस धंधे की जानकारी से इन्कार करती है तो यह उसकी नाकामी को सिद्ध करता है।


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