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Neem River Latest News: हापुड़ की नीम नदी का उद्गम स्थल ही नहीं, बल्कि इसकी ऊपरी पट्टी भी अतिक्रमण की चपेट में

Neem River Latest News नीम नदी का उद्गम स्थल ही नहीं बल्कि इसकी ऊपरी पट्टी भी अतिक्रमण की चपेट में है। लोगों ने इसे खेतों में मिला लिया है। ऐसे में बरसात में जब नदी में पानी भरता है तो कई जगह पर नदी और खेत एकाकार हो जाते हैं।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Wed, 03 Mar 2021 03:38 PM (IST)Updated: Tue, 23 Mar 2021 04:18 PM (IST)
Neem River Latest News:  हापुड़ की नीम नदी का उद्गम स्थल ही नहीं, बल्कि इसकी ऊपरी पट्टी भी अतिक्रमण की चपेट में
नीम नदी का उद्गम स्थल ही नहीं, बल्कि इसकी ऊपरी पट्टी भी अतिक्रमण की चपेट में है।

हापुड़ [मनोज त्यागी]। नीम नदी का उद्गम स्थल ही नहीं, बल्कि इसकी ऊपरी पट्टी भी अतिक्रमण की चपेट में है। लोगों ने इसे अपने खेतों में मिला लिया है। ऐसे में बरसात में जब नदी में पानी भरता है, तो कई जगह पर नदी और खेत एकाकार हो जाते हैं। हालांकि, अब नदी बरसात को छोड़कर पूरे वर्ष सूखी ही रहती है। नीम नदी की वस्तुस्थिति जानने के लिए सबसे पहले हापुड़ जिले के दतियाना गांव स्थित इसके उद्गम स्थल पर पहुंचा। इसमें दतियाना के किसान संजय त्यागी की मदद मिली। बता दें कि दतियाना में साइफन के जरिये नदी रजवाहे को पार करती है, लेकिन सफाई न होने से साइफन मिट्टी में दब गया है। बहुत गौर करने पर साइफन का छोटा सा हिस्सा दिखा। दतियाना के ही राजीव त्यागी ने बताया कि अब तो बरसों से इस नदी में पानी सिर्फ बरसात में ही दिखता है। तेज बारिश होने पर पानी के दबाव से साइफन का छोटा हिस्सा खुल जाता है तो पानी आगे बढ़ता है। 

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सफर तय करने के दौरान आगे हिम्मतपुर के जंगल से नदी गुजरती दिखती है, लेकिन पूरी तरह से सूखी। यहां भी नदी का ऊपरी हिस्सा अतिक्रमण की चपेट में है। आगे हाई कोर्ट और राजपुर के जंगल से नदी गुजरती है। राजपुर के पास नदी में लोगों ने कचरा फेंक रखा है। राजपुर के पास ही नदी रेलवे क्रासिंग को पार कर करीब आधा किलोमीटर आगे सिखेड़ा गांव के पास एक साइफन के जरिये एनएचएआई को पार करती है। 

कुछ दूर आगे यह नदी बड़ी गंग नगर को भी साइफन के जरिये पार करती है। यहां नया बांस गांव निवासी बुजुर्ग छैला ने बताया कि नदी बहुत पुरानी है, लेकिन अब सिर्फ बरसात के समय ही इसमें पानी दिखता है। नदी के साइफन की ओर इशारा करते हुए वह कहते हैं कि बरसात में तो यहां बहुत तेज पानी आता है। 

फिर कुछ दूर चलने पर नदी उत्तर दिशा में नया बांस गांव की ओर मुड़ जाती है। यहां नदी में थोड़ा पानी नजर तो आता है, लेकिन वह सिल्ट से भरा है। मानो वर्षो से नदी की सफाई नहीं हुई है। आगे बढ़ने पर मुरादपुर गांव के युवा किसान अनुराग मिलते हैं। वह बताते हैं कि नीम नदी को बचाना है तो सभी को आगे आना होगा।

इसके बाद नदी सैना, बंगौली और दरियापुर होते हुए खुराना गांव पहुंचती है। यहां भी एक तालाब है, जिसकी सफाई कभी नहीं होती है। हापुड़ जिले में 14 किमी का सफर तय कर नीम नदी गांव बाहपुर के पास बुलंदशहर जिले में प्रवेश कर जाती है। 

नदी कोई भी हो, वह अपने आसपास के क्षेत्र में भूजल को व्यवस्थित करने का बड़ा स्त्रोत होती है। यही वजह है कि किसी नदी के आबादी के पास से गुजरने पर वहां उसे तालाबों से जोड़ा दिया जाता है, जो भूजल का स्तर गिरने नहीं देता है। कोशिश की जानी चाहिए कि नीम नदी सिर्फ बरसाती नदी न बनकर न रह जाए। इसके लिए हम सबको हाथ मिलाना होगा, संयुक्त प्रयास करना होगा, तभी नदी का अस्तित्व बचेगा। 


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