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अलविदा 2020 : भाजपा ने गिनाए फायदे तो विपक्ष ने कृषि कानूनों का किया विरोध

जागरण संवाददाता हापुड़ कोरोना काल में इस बार राजनीति एक अलग ही रूप में नजर आई। सड़

By JagranEdited By: Published: Mon, 28 Dec 2020 08:04 PM (IST)Updated: Mon, 28 Dec 2020 08:04 PM (IST)
अलविदा 2020 : भाजपा ने गिनाए फायदे तो विपक्ष ने कृषि कानूनों का किया विरोध
अलविदा 2020 : भाजपा ने गिनाए फायदे तो विपक्ष ने कृषि कानूनों का किया विरोध

जागरण संवाददाता, हापुड़ :

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कोरोना काल में इस बार राजनीति एक अलग ही रूप में नजर आई। सड़कों पर उतरकर नेताओं से लेकर कार्यकर्ताओं ने दूसरे राज्यों से आ रहे कामगारों को हर संभव मदद पहुंचाई। इसके अलावा जिले में कोरोना संक्रमण के कारण प्रभावित हुए लोगों तक भी विभिन्न प्रकार से मदद पहुंचाई गई, लोगों को फल, कपड़े, राशन की किट, पानी की बोतल आदि का बड़े स्तर पर वितरण हुआ। वहीं, साल की शुरुआत से लेकर अंत तक विपक्षियों ने केंद्र और प्रदेश की भाजपा सरकारों को जमकर कोसा। सपा और कांग्रेस के नेताओं ने भाजपा की सरकार व जनप्रतिनिधियों को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ा। स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय मुद्दों पर दोनों ही दलों ने जमकर हंगामा किया। वहीं, भाजपा ने भी अपनी सरकारों की नीतियों को लोगों तक पहुंचाया। इसके लिए शहर- शहर और गांव -गांव अभियान चलाए गए। साथ ही इस साल के सबसे हंगामेदार मुद्दे कृषि कानूनों पर गांव- गांव में भाजपाइयों ने चौपाल की। जिससे रूठे किसानों को मनाने में पार्टी के कार्यकर्ताओं ने कुछ सफलता भी हासिल की।

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सालभर भाजपाइयों ने गिनाईं केंद्र और प्रदेश की उपलब्धियां -

पूरे सालभर जनपद के भाजपाई केंद्र और प्रदेश सरकार की उपलब्धियों को गांवों से लेकर नगरों में घर-घर पहुंचाने में जुटे रहे। इसके लिए बड़े स्तर पर अभियान भी चलाए गए। साल की शुरुआत से ही सीएए और एनआरसी पर लोगों को जागरूक किया गया। इसके लिए जनपद में केंद्रीय मंत्री रतनलाल कटारिया की ड्यूटी लगाकर फ्री गंज रोड से पदयात्रा भी निकाली गई। मार्च माह में हुई कोरोना काल की शुरुआत के बाद पार्टी ने जनपद में सबसे बड़ा सेवाभाव का अभियान चलाया। दूसरे राज्यों से आ रहे कामगारों को तमाम प्रकार की सुविधाएं दी गईं। पूरे कोरोना काल में जिलाध्यक्ष उमेश राणा के नेतृत्व में भाजपाइयों ने 3.25 लाख भोजन के पैकेट वितरित किए। इसके अलावा 18 हजार राशन की किट, 500 जोड़ी चप्पल, लाखों पानी की बोतल, फल आदि का वितरण किया गया। इसी दौरान भूमि विकास बैंक के चुनाव हुए। जिसमें पार्टी को हापुड़, गढ़मुक्तेश्वर में जीत मिली। जबकि, पिलखुवा में पार्टी की अंदरूनी कलाह के कारण हार का मुंह देखना पड़ा। इस वर्ष पार्टी का कार्यालय आधुनिक हुआ। पार्टी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिग आदि के माध्यम से लोगों तक केंद्र और प्रदेश सरकार की नीतियां पहुंचाई। एमएलसी चुनाव में कार्यकर्ताओं ने जमकर मेहनत की और पार्टी को स्नातक व शिक्षक सीट पर विजय मिली। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर मंडल प्रभारियों आदि को विशेष दिशा-निर्देश दिए गए। 15 मार्च को प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने भी कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। इस साल भाजपा का कोई भी पदाधिकारी प्रदेश की टीम में जगह नहीं बना सका। हालांकि, क्षेत्रीय टीम में डॉ. विकास अग्रवाल को महामंत्री और कविता सिंह को मंत्री बनाया गया। इसके अलावा सभासद और एचपीडीए में सदस्य बनाए गए। साल के अंत में कृषि कानूनों को लेकर किसानों को जागरूक करने के लिए पार्टी के जनप्रतिनिधि और पदाधिकारियों ने बड़े स्तर पर अभियान चलाकर गांव में चौपाल लगाईं। इस दौरान कृषि कानूनों से किसानों को होने वाले फायदों को गिनाया गया। स्वयं केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल शहर के सरस्वती शिशु मंदिर और प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री व जनपद के प्रभारी मंत्री संदीप सिंह धौलाना में पहुंचे। उन्होंने किसानों को कृषि कानूनों के लाभ बताए। यहां तक कि प्रधानमंत्री के कार्यक्रम को भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिग के जरिए सुना।

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बढ़ा सपा का कुनबा, मजबूत हुई पार्टी -

जनपद में समाजवादी पार्टी पहले के मुकाबले मजबूत हुई है। सत्ता से बाहर होने के बाद जिले में भी सबसे बड़े विपक्षी दल के रूप में पार्टी ने अपनी पहचान बनाई। जबकि, सपा के शासनकाल में पदों पर रहने वाले कार्यकर्ता अधिक नजर नहीं आए। पार्टी ने छह जनवरी को नए जिलाध्यक्ष के रूप में तेजपाल प्रमुख की ताजपोशी की। इसके बाद संगठन को मजबूत बनाने के लिए अभियान चलाए गए। कोरोना काल के दौरान हुए लाकडाउन में दूसरे राज्यों से आने वाले कामगारों की सेवा के लिए उन्हें फल, राशन सामग्री, पानी की बोतल आदि वितरित किए गए। वहीं, लाकडाउन का पालन करते हुए संगठन का धीरे-धीरे गठन किया गया। पार्टी ने हाथरस कांड, बढ़ते अपराध, टोल प्लाजा के मुद्दों और किसानों के बकाया गन्ना भुगतान के मुद्दे पर प्रदेश सरकार के विरुद्ध जमकर हल्ला बोला। वहीं, साल के अंत में कृषि कानूनों को लेकर सपा के कार्यकर्ता सड़कों पर उतरे। गांवों में साइकिल चलाकर कृषि कानूनों में खामियों को गिनाया गया। यहां तक कि कार्यकर्ताओं ने अपनी गिरफ्तारी भी दी। इस दौरान पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों को सपा कार्यकर्ताओं को रोकने के लिए बहुत अधिक मेहनत करनी पड़ी। हालांकि, पार्टी में फूट भी पूरे वर्ष देखने को मिली।

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कांग्रेस ने छोटे-छोटे मुद्दों को उठाया -

इस वर्ष कांग्रेस ने भी जनपद में जमकर मेहनत की। पार्टी को मजबूत बनाने के लिए संगठन सृजन अभियान चलाया गया। कई लोगों को पार्टी से जोड़ा गया। कृषि कानूनों के विरोध में हस्ताक्षर अभियान चलाकर लगभग दस हजार किसानों के हस्ताक्षर कराने का दावा किया गया। हाथरस कांड और कृषि कानूनों पर पार्टी सबसे अधिक हमलावर रही। लाकडाउन में जिलाध्यक्ष मिथुन त्यागी और शहर अध्यक्ष अभिषेक गोयल के नेतृत्व में रसोई चलाकर प्रभावित लोगों तक भोजन पहुंचाया गया। इसके अलावा कोरोना योद्धाओं का भी कार्यकर्ताओं ने सम्मान किया। वहीं, गरीब, मजदूरों और किसानों से जुड़े छोटे-छोटे मुद्दों को लगातार उठाकर ज्ञापन सौंपे गए। इसके अलावा प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू गांव बक्सर और सलाई में पहुंचे। उन्होंने न्याय पंचायत के माध्यम से संगठन को मजबूत करने पर बल दिया। पार्टी ने बूथ अध्यक्ष, न्याय पंचायत अध्यक्ष के लिए अभियान चलाया। जिससे पार्टी को जनपद में लाभ मिला। यहां तक कि कांग्रेस संदेश यात्रा भी जनपद में निकाली गई। कुल मिलाकर जनता से जुड़े हर मुद्दे को पार्टी ने उठाया।

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वर्षभर निष्क्रिय नजर आई बसपा -

इस वर्ष जनपद में बसपा निष्क्रिय भूमिका में नजर आई। किसी मुद्दे पर पार्टी स्टैंड नहीं ले सकी। यहां तक कि कोई बड़ा अभियान भी नहीं चलाया गया। पार्टी मजबूत हो सके, इसके लिए कोई विशेष कार्यक्रम नहीं हुआ। धौलाना विधानसभा क्षेत्र सीट से विधायक असलम चौधरी की पत्नी ने भी सपा का दामन थाम लिया। विधायक असलम चौधरी भी पार्टी से अब अलग हो गए हैं। पूरे साल पार्टी आपसी गुटबाजी का सामना करती रही। इस कारण जनपद में पार्टी को नुकसान हुआ है। हालांकि, जिलाध्यक्ष एके कर्दम ने पार्टी के पहले के मुकाबले मजबूत होने का दावा किया है। उनका दावा है कि लोगों ने पार्टी की सदस्यता बड़े स्तर पर ग्रहण की है।


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