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अच्छी खबर : ब्रजघाट अपस्ट्रीम में नहाने लायक हुआ गंगा का पानी

गौरव भारद्वाज हापुड़ राष्ट्रीय हरित अधिकरण(एनजीटी) और गंगा के जल की निगरानी कर र

By JagranEdited By: Published: Tue, 15 Dec 2020 07:08 PM (IST)Updated: Tue, 15 Dec 2020 07:08 PM (IST)
अच्छी खबर : ब्रजघाट अपस्ट्रीम में नहाने लायक हुआ गंगा का पानी
अच्छी खबर : ब्रजघाट अपस्ट्रीम में नहाने लायक हुआ गंगा का पानी

गौरव भारद्वाज, हापुड़

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: राष्ट्रीय हरित अधिकरण(एनजीटी) और गंगा के जल की निगरानी कर रही एजेंसियों की सख्ती का असर दिखने लगा है। सितंबर माह में प्रदूषण के चलते जहां गंगा का जल नहाने योग्य नहीं था, अब उसमें सुधार होने लगा है। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी की गई अक्टूबर माह की रिपोर्ट में ब्रजघाट अपस्ट्रीम में गंगा का पानी सी श्रेणी से उठकर बी श्रेणी में आ गया है। यानि अब गंगा का पानी नहाने योग्य है। देश में रहने वाले करोड़ों लोग गंगा में आस्था रखते हैं। पूर्णिमा और अमावस्या के अलावा अन्य कई दिनों में गंगा में स्नान करने का अलग-अलग महत्व है। आलम यह है कि कोरोना महामारी के चलते गंगा स्नान पर लगी रोक के बावजूद श्रद्धालुओं का गंगा में स्नान बदस्तूर जारी है। मोक्ष दायिनी गंगा के नाम से प्रसिद्ध गंगा नदी का गढ़मुक्तेश्वर में अपना अलग महत्व है। गढ़ गंगा में स्नान को आने वाले लाखों श्रद्धालुओं के लिए अच्छी खबर नहीं है, क्योंकि गंगा का पानी पीने तो दूर नहाने योग्य भी नहीं रहा है। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी सितंबर माह की जांच रिपोर्ट चौंकाने वाली थी। लाकडाउन के दौरान अप्रैल माह में गंगा का पानी बी श्रेणी में था, लेकिन सितंबर माह में सी श्रेणी में पहुंच गया था। अब अक्टूबर माह की रिपोर्ट राहत देने वाली है। एक बार फिर गंगा का पानी बी श्रेणी में पहुंच गया है। यानि अब गंगा जल नहाने योग्य हो गया है। ब्रजघाट अपस्ट्रीम में डीओ 9.20 और बीओडी 1.00 मिली है। जबकि ब्रजघाट डाउनस्ट्रीम में डीओ की मात्रा 8.50 और बीओडी की मात्रा 1.50 मिली है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी उत्सव शर्मा का कहना है कि गंगा जल को प्रदूषित होने से रोकने के लिए एसटीपी और उद्योगों की लगातार निगरानी की जा रही है। इसके लिए आवश्यक कदम भी उठाए जा रहे हैं। क्या कहते हैं पर्यावरणविद्

पर्यावरणविद् डॉ. अविनाश शर्मा ने बताया कि पानी में घुलनशील आक्सीजन(डीओ) का मतलब है कि पानी में घुली हुइ आक्सीजन की मात्रा पानी में मिलने वाले प्रदूषण को दूर करने के लिए छोटे जीव-जंतुओं की जरूरत होती है। अगर डीओ की मात्रा ज्यादा है तो इसका मतलब है कि पानी में प्रदूषण कम है, क्योंकि जब प्रदूषण बढ़ता है तो इसे खत्म करने के लिए पानी वाले आर्गनिज्म को ज्यादा आक्सीजन की जरूरत होती है, इससे डीओ की मात्रा घट जाती है।

क्या है बीओडी

बीओडी का मतलब बायो केमिकल आक्सीजन डिमांड होता है। बीओडी आक्सीजन की वो मात्रा है जो पानी में रहने वाले जीवों को गैर-जरूरी आर्गेनिक पदार्थों को नष्ट करने के लिए चाहिए। बीओडी जितनी ज्यादा होगी पानी का आक्सीजन उतनी तेजी से खत्म होगा और बाकी जीवों पर उतना ही बुरा असर होगा। नदी की जल गुणवत्ता की विभिन्न श्रेणी - ए : प्राथमिक उपचार के साथ पीने योग्य - बी : नहाने के योग्य। गुणवत्ता मध्यम से अच्छी - सी : गुणवत्ता असंतोषजनक - डी : गुणवत्ता अति असंतोषजनक - ई : गुणवत्ता बेहद खराब ------ ब्रजघाट अपस्ट्रीम में गंगा जल की स्थिति माह डीओ बीओडी टोटल कालिफार्म फीकल कालिफार्म श्रेणी जनवरी 9.4 1.6 280 170 बी फरवरी 9.9 1.8 350 220 बी मार्च 9.3 2.0 00 00 बी अप्रैल 9.6 1.6 150 130 बी मई 9.0 0.6 350 170 बी जून 9.9 1.2 350 210 बी जुलाई 9.8 1.67 280 140 बी अगस्त 9.2 1.50 920 540 सी सितंबर 7.95 1.20 540 220 सी अक्टूबर 9.20 1.00 430 150 बी -------- ब्रजघाट डाउनस्ट्रीम में गंगा जल की स्थिति माह डीओ बीओडी टोटल कालिफार्म फीकल कालिफार्म श्रेणी जनवरी 9.3 1.9 350 210 बी फरवरी 9.8 2.0 920 540 सी मार्च 9.0 2.6 00 00 बी अप्रैल 8.9 2.2 280 170 बी मई 8.8 0.8 430 220 बी जून 9.8 2.0 540 280 सी जुलाई 9.6 2.36 540 350 सी अगस्त 9.0 2.80 1600 920 सी सितंबर 7.51 2.30 920 240 सी अक्टूबर 8.50 1.50 1600 430 सी नोट- यह आंकड़े उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की वेबसाइट से लिए गए हैं। डीओ और बीओडी मिलीग्राम प्रति लीटर में है। टोटल और फीकल कोलीफार्म एमपीएन प्रति 100 एमएल में हैं।


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