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उफान पर गंगा, शुक्रवार को बढ़ा दो सेंटीमीटर जलस्तर

संवाद सहयोगी गढ़मुक्तेश्वर पहाड़ों और मैदानी क्षेत्र बारिश से गंगा के जलस्तर में बढ़ोत्तरी

By JagranEdited By: Published: Fri, 28 Aug 2020 08:25 PM (IST)Updated: Fri, 28 Aug 2020 08:25 PM (IST)
उफान पर गंगा, शुक्रवार को बढ़ा दो सेंटीमीटर जलस्तर

संवाद सहयोगी, गढ़मुक्तेश्वर:

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पहाड़ों और मैदानी क्षेत्र बारिश से गंगा के जलस्तर में बढ़ोत्तरी का सिलसिला जारी है। शुक्रवार शाम तक गंगा के जलस्तर में दो सेंटीमीटर की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई। जिसके बाद गंगा का जलस्तर समुद्रतल से 198.64 मीटर मापा गया, जो खतरे के निशान से 69 सेंटीमीटर दूर है। बृहस्पतिवार को उक्त जलस्तर 198.62 मीटर मापा गया था। जबकि बुधवार को 198.58 मीटर मापा गया। शुक्रवार को भी बिजनौर बैराज की ओर से पानी छोड़ा गया है। शनिवार की दोपहर तक ब्रजघाट गंगा में पहुंचने से जलस्तर में और भी बढ़ोतरी होनी संभावना है।

गंगा के उफान से दर्जनों गांवों में एक बार फिर खतरा मंडराने लगा है। गढ़ खादर क्षेत्र से जुड़े गांव लठीरा, गड़ावली, नयाबांस, आरकपुर, बख्तावरपुर, मंढैया किशनसिंह, रामपुर न्यामतपुर, इनायतपुर, अब्दुल्लापुर, शाकरपुर, भगवंतपुर समेत कई गांवों से जुड़े संपर्क मार्ग भी जलमग्न हो गए। तिगरी धाम के पक्के बांध से टकराकर गढ़ क्षेत्र के जंगल में बड़े पैमाने पर भूकटान कर रही है। जिससे गंगा नदी ने करीब आधा किलोमीटर दूरी में गढ़ की तरफ कटान कर लिया है।

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फसल चौपट होने से करोड़ों रुपये का नुकसान

नयाबांस, आरकपुर, बख्तावरपुर, लठीरा, गड़ावली, रामपुर न्यामतपुर, काकाठेर मंढैया, कुदैनी मंढैया, रामसिंह मंढैया, गढ़ खादर समेत बीस गांव गंगा के उफान से भरे पानी की चपेट में आए हैं। यहां गन्ना और धान समेत हरे चारे के साथ ही सभी तरह की लहलहाती फसल बुरी तरह चौपट हो गई हैं। निरजन सिंह, भोपाल, दीपक, अनिल, कुंवरपाल का कहना है कि गंगा में उफान आने से हजारों हेक्टेयर में खड़ी फसलों में बड़े स्तर पर नुकसान हुआ है, जबकि जीविका का मुख्य आधार कहलाने वाली ईख और मौसमी फल-सब्जी की हजारों बीघा खेती बुरी तरह चौपट हो गई है।

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प्राकृतिक घास बर्बाद

गंगा के उफान का पानी जंगल में भरने से जहां प्राकृतिक घास पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है, वहीं हरे चारे की फसल पर मिट्टी की मोटी परत (कांप) जम चुकी है। पशु पालकर दूध बेचने का धंधा करने वाले लोगों के सामने चारे का गंभीर संकट पैदा हो गया है। दीपक, सोहन पाल का कहना है कि मिट्टी की कांप वाला चारा खिलाने से मवेशियों में मुंहपका, खुरपका, गलघोंटू जैसी बीमारी पनपने का खतरा बन गया है।

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क्या कहते हैं अधिकारी

शुक्रवार को गंगा का जलस्तर 198.64 मीटर मापा गया है। दो सेंटीमीटर की बढ़ोत्तरी हुई है। हालांकि गांवों की बाहरी आबादी समेत हजारों हैक्टेयर में भरा पानी तेजी से साथ घट रहा है। जिससे खादर क्षेत्र के ग्रामीणों को चौतरफा राहत मिल जाएगी। हालांकि बीमारियों की रोकथाम को स्वास्थ्य और पशु चिकित्सा विभाग की टीमों को खादर क्षेत्र के गांवों में भेजा जा रहा है। किसी भी ग्रामीणों को परेशान नहीं होने दिया जाएगा।

- विजय वर्धन तोमर, उपजिलाधिकारी


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