Hapur Neem River News: 13 जून को नामी शूटर दादी प्रकाशो करेंगी नीम नदी में श्रमदान
Hapur Neem River News नामी शूटर दादी प्रकाशो के अलावा अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर परविंदर अवाना और अंतरराष्ट्रीय पहलवान बबीता नागर से लेकर तमाम देश की हस्तियां नीम नदी पर आकर श्रमदान करने के लिए लालायित हैं। धीरे-धीरे अभियान और तेज पकड़ेगा।
हापुड़ [मनोज त्यागी]। नीम नदी के पुनर्जीवन कार्यक्रम में कई लोग साक्षी नहीं बन पाए ऐसे लोगों को अफसोस है। बस उनकी यही इच्छा है कि वह जल्द से जल्द नदी के उद्गम स्थल गांव दत्तियाना में जाकर श्रमदान करें और नदी के पुनर्जीवन में अपना नाम दर्ज कराएं। शूटर दादी प्रकाशो, अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर परविंदर अवाना और अंतरराष्ट्रीय पहलवान बबीता नागर से लेकर तमाम देश की हस्तियां नीम नदी पर आकर श्रमदान करने के लिए लालायित हैं। वहीं बरसात में जब नदी कल-कल करके बहेगी, तो उससे आस-पास के क्षेत्र का भूजल स्तर बढ़ने के साथ ही खुशहाली आएगी।
शूटर दादी प्रकाशो का कहना है कि वह किसी कारणवश नीम नदी के शुभारंभ के दिन नहीं पहुंच पाईं थीं। वह इस रविवार को अपना आने का कार्यक्रम बना रहीं हैं। सभी को पानी बचाने के लिए काम करना चाहिए। चाहे पर रोजाना की दिनचर्चा में पानी बचाएं या फिर तालाबों को साफ कर पानी को संजोएं। नहीं तो आने वाली पीढ़ी के लिए पानी नहीं मिल पाएगा।
क्रिकेटर परविंदर अवाना ने कहा कि वह जल्द ही नीम नदी के उद्गम स्थल पर पहुंचकर श्रमदान करेंगे। वहीं अंतरराष्ट्रीय पहलवान बबीता नागर ने कहा कि वह अपने महिला पहलवान खिलाड़ियों संग नीम नदी पर 15 जून से पहले पहुंचकर श्रमदान करेंगी। वरिष्ठ साहित्यकार डा. अशोक मैत्रेय कहते हैं कि जल्द से जल्द नीम नदी पर श्रमदान करने के लिए लालायित हैं। वह स्वयं तो जाएंगी ही साथ ही उनके साहित्यकार और कवि साथी भी वहां जाकर श्रमदान करेंगे।
एलएन पब्लिक स्कूल के एमडी पंकज अग्रवाल का कहना है कि उनकी स्कूल की शिक्षक और शिक्षकाएं नीम नदी के उद्गम स्थल पर श्रमदान करने के लिए लालायित हैं। वह उस पल का इंतजार कर रहे हैं कि कब उन्हें वहां जाने का मौका मिलेगा। स्कूल की ¨प्रसिपल अनुराधा वाजपेयी का कहना है कि हम सभी को अफसोस है कि जिस दिन नदी पर मंडलायुक्त ने श्रमदान किया था हम भी वहां पहुंचकर श्रमदान करते। जब भी दैनिक जागरण वहां जाने के लिए बताएगा हम लोग वहां जाकर श्रमदान करेंगे, जिस समय दैनिक जागरण द्वारा नीम नदी को पुनर्जीवित करने के लिए गांवों में पंचायत आयोजित की जा रहीं थीं। उस समय गांव खुराना के लोगों ने पंचायत में नदी के महत्व के बारे में बताया था कि वह लोग गर्मी के दिनों में जब भूजल स्तर नीचे चला जाता है, तो वह करीब पांच किमी दूर से गुजर रही गंग नगर के चलने की जानकारी करते हैं कि गंग नहर में कितने दिनों में पानी आ जाएगा। अन्यथा उन्हें अपने खेतों की सिंचाई के लिए लगाए गए ट्यूबवेलों के पंप नीचे उतारने पड़ते हैं। तभी ट्यूबवैल से पानी आ पाता है।
गांव के लोगों ने बताया था कि केवल एक सप्ताह गंग नहर में पानी आने पर गांव का भूजल स्तर ऊपर आ जाता है और ट्यूबवैल के पंपों को कुएं में नीचे नहीं उतारना पड़ता है। जाहिर है कि नदी में जब पानी बहता है तो दूर-दूर तक उसका असर जाता है। नीम नदी बहेगी तो उसका असर भी दूर-दराज के गांवों तक पड़ेगा। वहां का जल स्तर ठीक होगा साथ ही क्षेत्र में हरियाली और खुशहाली आएगी। ऐसा सौभाग्य कम ही जनपदों को प्राप्त हैं जहां से किसी नदी का उद्गम होता है और ऐसे गांव भी चंद ही हैं जहां से कोई नदी जन्मती है। नदी जहां से निकलती है वह गोमुख ही कहलाता है क्योंकि गंगा बेसिन की सभी छोटी नदियां गंगा का ही रूप हैं। दत्तियाना गांव भी नीम नदी का गोमुख है। नदी पुनर्जीवन का बिगुल मंडलायुक्त मेरठ सुरेन्द्र सिंह जैसे व्यक्तित्व कर कमलों द्वारा बजाया जा चुका है।
नदी पुत्र रमनकांत त्यागी का कहना है कि जून में ही दत्तियाना कि झील अपना रूप अख्तियार कर लेगी। इसमें समाज के प्रेरणादायक व्यक्तित्वों व समाज के अन्य नागरिकों को इस कार्य में जुड़ा जा रहा है। जल्द ही शूटर दादी श्रीमती प्रकाशो तोमर नदी उद्गम पर श्रमदान करने आएंगी।