संकट में पड़ा जीवन तो खिलने लगे मुरझाए रिश्ते, वर्षों से चुप रहे पड़ोसियों में भी बातचीत शुरू
Coronavirus उत्तर प्रदेश संभल जिले के चंदौसी के कागजी मुहल्ला में अपने परिवार के साथ बैठकर मोबाइल पर बात करते दीपक अरोरा। जागरण
भगवंत सिंह, चंदौसी। Coronavirus: कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते सामाजिक दूरी जरूर बढ़ रही है लेकिन, दिलों की दूरियां घटती जा रही हैं। बंदिशों से मुरझाए रिश्ते फिर से खिलने लगे हैं। बरसों से जिनसे बात नहीं हुई, उन पुराने दोस्तों, भाइयों और रिश्तेदारों की कॉल आ रही है। नाराज रिश्तेदारों को कोरोना के खतरे ने फिर से जोड़ दिया। वर्षों से चुप रहे पड़ोसियों में भी बातचीत शुरू हो गई।
उत्तर प्रदेश के संभल स्थित चंदौसी नगर के कागजी मोहल्ला निवासी दीपक अरोरा का दीपावली पर बच्चों को लेकर पड़ोसी महेश कुमार से विवाद हो गया था। बात गाली-गलौज तक पहुंच गई थी। महेश बताते हैं कि तब से लेकर अब तक बातचीत कर दूरियों को कम करने का समय ही नहीं मिला। दीपावली के बाद एक बार बात हुई थी। लेकिन अब लगातार बात हो रही है। एक मीटर की दूरी बनाकर उनसे मुलाकात भी हुई है। उन्होंने बताया कि अब प्रत्येक दिन बात हो रही है। किसी भी सामान की जरूरत पड़ने पर हम एक-दूसरे को मदद भी कर रहे हैं। कुढफतेहगढ़ क्षेत्र में रहने वाले पड़ोसी राम सिंह का जनवरी 2019 में गांव के ही कुंवरपाल से बाइक की टक्कर लगने के बाद विवाद हो गया था। मारपीट तक हो गई थी। पिछले पांच दिनों में बातचीत होनी लगी है।
राम सिंह बताते हैं कि हमने सोचा कि अब पता नहीं क्या होगा। इससे अच्छा है कि हम जीते-जीते किसी से दुश्मनी न रखें, इसलिए कुंवरपाल के पास जाकर बात की। कुंवरपाल का कहना है कि अब बातचीत शुरू हो गई है। अब मन में कोई मैल नहीं है। नगर के मुकेश, भसीन, महेश कुमार, इमरान, संजू अरोरा, गुरविंद्र्र ंसह, यूनुस आदि का कहना है कि रिश्तेदारों का एक वर्ष या छह माह में फोन आता था। किसी बात पर नाराजगी चल रही थी। उनसे बातचीत की पहल हुई तो रिश्तों की दरारों को भूलकर अब सहयोग के लिए भी हाथ आगे बढ़ रहे हैं।
लॉकडाउन के बाद पिता के पास आएगी विवाहित बेटी : नगर के ही एक व्यक्ति की बेटी ने अपनी मर्जी से तीन साल पहले एक युवक से विवाह कर लिया था। इससे नाराज होकर पिता बेटी से बात नहीं करते थे। 20 मार्च को पिता ने अपनी बेटी को फोन कर हाल जाना। तीन साल बाद पहली बार फोन पर बातचीत हुई तो दोनों अपने गम को बांटने लगे। बेटी के बिना पिता ने कैसा महसूस किया और बेटी को पिता की कब कब याद आई, इसमें करीब चालीस मिनट बीत गए। इसके बाद दामाद से भी बात की। घर आने के लिए आमंत्रण दिया। बेटी अपने पिता से मिलने के लिए लॉकडाउन खत्म होने का इंतजार कर रही है।