Move to Jagran APP

भाकियू ने टाला राष्ट्रीय राजमार्ग का जाम, धरना जारी

सात दिन तक धरना देने के बावजूद गन्ना किसानों का बकाया भुगतान न होने पर भाकियू द्वारा हाईवे जाम करने से पहले ही मिल प्रबंधन ने प्रशासन को 12 करोड़ के चैक सौंप दिए। शेष बकाया के लिए 93 करोड़ रुपये ऊर्जा निगम से दिलाने का आश्वासन दिया।

By JagranEdited By: Published: Mon, 17 Dec 2018 08:25 PM (IST)Updated: Mon, 17 Dec 2018 08:25 PM (IST)
भाकियू ने टाला राष्ट्रीय राजमार्ग का जाम, धरना जारी
भाकियू ने टाला राष्ट्रीय राजमार्ग का जाम, धरना जारी

संवाद सहयोगी, गढ़मुक्तेश्वर

loksabha election banner

भाकियू द्वारा राष्ट्रीय राजमार्ग पर जाम लगाने की चेतावनी के बाद जिला प्रशासन की सक्रियता के चलते चीनी मिल प्रबंधन ने सोमवार को जिला प्रशासन को 12 करोड़ रुपये के चेक सौंप दिए। चेक मिलने के बाद जिला प्रशासन की अपील पर भाकियू ने जाम लगाने का कार्यक्रम स्थगित कर दिया, लेकिन धरना लगातार जारी है। मिल प्रबंधन ने बकाया के शेष भुगतान के लिए 93 करोड़ रुपये ऊर्जा निगम से दिलाने का आश्वासन दिया है। इसके बाद भाकियू नेताओं ने राष्ट्रीय राजमार्ग जाम करने का कार्यक्रम स्थगित तो कर दिया, लेकिन धरना संपूर्ण भुगतान होने पर ही समाप्त करने की घोषणा की। अब भाकियू ने मिल प्रबंधन को को संपूर्ण भुगतान के लिए 27 दिसंबर तक का समय दिया है। भाकियू नेताओं का कहना है कि यदि 27 दिसंबर तक संपूर्ण भुगतान नहीं किया गया तो राष्ट्रीय राजमार्ग पर जाम लगाया जाएगा और जेल भरो आंदोलन चलाया जाएगा। ¨सभावली चीनी मिल पर गन्ना मूल्य के बकाया भुगतान करने को लेकर भारतीय किसान यूनियन के कार्यकर्ता सैंकड़ों किसानों के साथ पिछले एक सप्ताह से धरने पर बैठे हैं। भाकियू नेताओं ने सात दिन में भुगतान नहीं होने पर सोमवार दोपहर मिल गेट के सामने राष्ट्रीय राजमार्ग-9 पर जाम लगाने की चेतावनी दी थी। रविवार दोपहर उपजिलाधिकारी ज्योति राय ने धरने पर बैठे भाकियू नेताओं से वार्ता की, लेकिन वार्ता बेनतीजा रही। सोमवार सुबह चक्का जाम की आशंका के चलते उपजिलाधिकारी ज्योति राय, पुलिस क्षेत्राधिकारी पवन कुमार पुलिस बल के साथ ¨सभावली पहुंच गए। उधर मिल गेट पर भाकियू द्वारा पंचायत का आयोजन किया गया। पंचायत के बाद भाकियू नेताओं और किसानों ने राष्ट्रीय राजमार्ग-9 को जाम करने का प्रयास किया, लेकिन पुलिस ने उन्हें धरना स्थल से आगे नहीं जाने दिया। इसके बाद किसानों की उपजिलाधिकारी ज्योति राय, जिला गन्ना अधिकारी ओपी ¨सह और मिल प्रबंधन के साथ वार्ता हुई। वार्ता के दौरान मिल प्रबंधन ने छह-छह करोड़ के दो चेक जिला गन्ना अधिकारी को सौंपे और 93 करोड़ रुपये ऊर्जा निगम से भुगतान कराने का आश्वासन दिया। उपजिलाधिकारी ने आश्वासन दिया कि चीनी बिक्री का कोटा बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा गया है। जिसके बाद जिला प्रशासन ने शेष भुगतान के लिए कुछ दिन की मोहलत मांगी। ¨सभावली चीनी मिल बिजली का उत्पादन कर ऊर्जा निगम को बेचता है। इसका भुगतान ऊर्जा निगम मिल प्रबंधन को करता है।

उपजिलाधिकारी ने भाकियू नेताओं से जाम नही लगाने की अपील कर जल्द ही शेष बकाया का भुगतान कराने का आश्वासन दिया। भाकियू के मंडल प्रवक्ता दिनेश खेड़ा ने संगठन के अन्य पदाधिकारियों से वार्ता जाम लगाने का कार्यक्रम स्थगित करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि धरना संपूर्ण भुगतान होने के बाद ही समाप्त होगा। जिला महासचिव दिनेश त्यागी ने कहा कि 27 दिसंबर तक संपूर्ण भुगतान नहीं होने पर जाम लगाया जाएगा और जेल भरो आंदोलन किया जाएगा। इस अवसर पर महिला सभा की जिलाध्यक्ष बबली¨सह, हबीब प्रधान, मास्टर नरेंद्र ¨सह, अमानत अली, बृजपाल ¨सह, औरंजेबअली, र¨वद्र, सरदार कुंवर ¨सह, अय्यूब प्रधान,  राजेश चौधरी, चौधरी श्याम ¨सह, मोनू त्यागी, चमन ¨सह, मुबारिक अली, मंगत राम सहित सैकड़ों भाकियू कार्यकर्ता व किसान उपस्थित रहे। इसके बाद भाकियू कार्यकर्ताओं ने किसानों से ऋण, बिजली बिल और अन्य भुगतान पर गन्ना मूल्य के बकाया का संपूर्ण भुगतान होने तक रोक लगाने की मांग की। उपजिलाधिकारी ने कहा कि वह जनपद के उच्च अधिकारियों से वार्ता कर शीघ्र ही किसानों की समस्या का समाधान करेंगी।

खुफिया विभाग भी रहा सक्रिय

बुलंदशहर के स्याना में हुए बवाल के बाद ¨सभावली चीनी मिल पर किसानों के धरने के दौरान पुलिस पूरी तरह सतर्क रही। सुबह से ही ¨सभावली सहित गढ़, बहादुरगढ़ आदि थानों की पुलिस को धरना स्थल पर तैनात किया गया। जबकि दंगा नियंत्रण वाहन के अलावा धरना स्थल पर खुफिया विभाग भी सक्रिया रहा। धरना स्थल की पल-पल की जानकारी को खुफिया विभाग के कर्मचारी उच्च अधिकारियों को दे रहे थे। किसानों को गन्ना मूल्य भुगतान समय पर नहीं किया जाता है। मिलें गन्ना तो ले लेती हैं, लेकिन भुगतान करने में बहुत परेशान करती हैं। प्रशासनिक अधिकारी भी किसानों की समस्या का समाधान नहीं करा पा रहे हैं। किसान अपने परिवार का भरण पोषण कर्ज लेकर कर रहे हैं। सरकार को भुगतान के लिए ठोस नीति बनानी चाहिए, ताकि किसान के हालात सुधर सकें।

-दिनेश खेड़ा, मंडल प्रवक्ता भाकियू -किसी भी दल की सरकार ने किसानों के आंसू पोछने के लिए प्रयास नहीं किया है। चुनाव के समय तो किसानों को अमीर कर दिए जाने के वायदे किए जाते हैं, लेकिन चुनाव बाद सभी राजनीतिक दल अपने वायदे भूल जाते हैं। सरकार जमीनी स्तर पर किसानों के लिए काम करे, तभी किसान की स्थिति बेहतर हो सकेगी। -दिनेश त्यागी, भाकियू नेता

किसानों की फसल खरीद में पारदर्शिता लाने के साथ किसानों को राहत दी जाए। सुविधाएं बढ़ाई जाएं और उसका लाभ किसानों तक पहुंचाया जाए। सरकार तय करे कि मिलें गन्ना तौल होने के तुरंत बाद किसान को भुगतान करें। -मोमराज ¨सह, किसान -किसानों को उसके गन्ने का मूल्य कई वर्ष बाद मिलता भी है, इस कारण किसानों के सामने परिवार के भरण पोषण की समस्या बनी रहती है। किसानों को समय पर भुगतान मिलना चाहिए।

-सुहैल आलम, किसान


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.