महंगाई ने तोड़ा रिकॉर्ड, खानपान का सामान हुआ महंगा
संवाद सहयोगी भरुआ सुमेरपुर कोरोना बंदी की आड़ में महंगाई ने एक दशक का रिकॉर्ड त
संवाद सहयोगी, भरुआ सुमेरपुर : कोरोना बंदी की आड़ में महंगाई ने एक दशक का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। रोजमर्रा में उपयोग होने वाली चीजों के दाम आसमान छू रहे हैं। कारोबारी लॉक बंदी का भय दिखा कर प्रिट रेट से अधिक दाम ग्राहकों से वसूल रहे हैं। बंदी की अवधि में क्या खुलेगा क्या बंद रहेगा, इसका तनिक भी असर कस्बे के बाजार में नहीं है। यहां सब कुछ खुला रहता है।
कोरोना संक्रमण की रोकथाम के चलते बंदी शुरू होते ही दैनिक उपयोग की वस्तुओं में अचानक उछाल आ गया है। बंदी के पूर्व 140 रुपये प्रति लीटर बिकने वाला सरसों का तेल 180 रुपये लीटर तक बिक रहा है। चावल की कीमतों में भी इजाफा हुआ है। सबसे सस्ता चावल पूर्व में 25 रुपये किलो था। मौजूदा में यह 40 रुपये किलो बिक रहा है। सबसे महंगा 60 रुपये तक है। बासमती आदि अच्छे क्वालिटी की बात ही निराली है। आटा के दाम 22 से 25 रुपये प्रति किलो है। दालों की कीमत भी बढ़ी है। 80 से 90 रुपये किलो तक बिकने वाली अरहर की दाल 110 से 120 रुपये किलो बिक रही है। फलों ने रिकॉर्ड कायम कर दिया है। 120 से 150 रुपये के मध्य बिकने वाला सेब मौजूदा में 220 से लेकर 250 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। केला के दाम 40 से 60 रुपये प्रति दर्जन है। कीवी फल 60 से लेकर 100 रुपये प्रति पीस बिक रहा है। आमतौर पर 40 रुपये किलो बिकने वाला नीबू 40 रुपये प्रति पाव बिक रहा है। सब्जी के दाम भी आसमान छू रहे हैं। कोई भी सब्जी 40 रुपये प्रति किलो से कम नहीं है। सीजन होने के बावजूद प्याज एवं लहसुन के दाम लोगों को रुला रहे हैं। बंदी के दौरान फल, सब्जी, दूध, किराना की दुकान खोलने के आदेश है। लेकिन कस्बे में ऐसा कुछ भी नहीं है यहां सब कुछ खुला है। दुकानदार ब्रांडेड कंपनियों का सामान प्रिट रेट से अधिक दामों में बेचकर ग्राहकों की जेब में खुलेआम डाका डालने में लगे हैं। धूम्रपान के सामानों की कोई निश्चित कीमत नहीं है। व्यापार मंडल के अध्यक्ष महेश गुप्ता दीपू ने कहा कि संकट के समय कालाबाजारी करना सबसे बड़ी गलत बात है, ऐसा नहीं होना चाहिए।