शुद्ध वायु व घनी छांव के लिए बरगद जरूरी
जागरण संवाददाता हमीरपुर पर्यावरण व धार्मिक महत्व वाले बरगद के वृक्ष मौजूदा में घटते जा र
जागरण संवाददाता, हमीरपुर : पर्यावरण व धार्मिक महत्व वाले बरगद के वृक्ष मौजूदा में घटते जा रहे हैं। विशालकाय होने के चलते नगरी क्षेत्र में इनकी संख्या न के बराबर रह गई है। ऐसा होना पर्यावरण के लिहाज से उचित नहीं माना जा रहा। मौजूदा माहौल को देखते हुए कार्बन डाइआक्साइड शोषित कर प्राणवायु देने वाले वृक्षों की संख्या बढ़ाने की आवश्यकता है। इसके लिए पुरुषों के साथ महिलाओं को भी आगे आने की जरूरत है। क्योंकि वट सावित्री व्रत के दौरान पूजन के उन्हें बरगद के वृक्ष की तलाश करनी पड़ती है। पर्यावरण शुद्ध करने के साथ चिकित्सकीय महत्व
मुख्यालय निवासी पर्यावरणविद जलीस खान के अनुसार वृक्ष नुकसानदायक कार्बन डाइआक्साइड अवशोषित करते हैं। साथ ही शुद्ध प्राणवायु आक्सीजन छोड़ते हैं। शोध के अनुसार बरगद के वृक्ष में एक तासीर होती है गर्मी के मौसम में इसकी छाया ठंडक देती है। वहीं सर्दी के मौसम में गरमाहट का अहसास कराती है। इतना ही नहीं आयुर्वेद के अनुसार बरगद के फल, जड़, छाल पत्ती आदि सभी भागों से तैयार औषधि विभिन्न प्रकार के रोगों को दूर करती है। सभी को सजग रहते हुए इनकी संख्या बढ़ानी है।
जगह की कमी से कम हो रही संख्या
समाजसेवी अधिवक्ता विजय द्विवेदी के अनुसार घनी छाया पाने के लिए लगाए जाने वाले बरगद पीपल की संख्या कम हुई है। जिससे वायुमंडल में नुकसानदायक गैस बढ़ी है। इस समस्या से निजात पाने को बरगद की संख्या बढ़ानी चाहिए। सुहागिनें लगाएं वट वृक्ष
दस जून को वट सावित्री का व्रत है। इस दिन सुहागिनें बरगद के वृक्ष की पूजा करके सुख समृद्धि की कामना करती हैं। मोहल्लों में बरगद के वक्षों की कमी के चलते सुहागिनों को कटी हुई डाल की पूजा करके परंपरा का निर्वहन करना पड़ता है। ऐसे में उन्हें मिलकर मोहल्ले में उचित स्थान पर एक बरगद का पेड़ लगा न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि पर्यावरण प्रहरी बनने का काम करना चाहिए।