कोरोना संकट से कलाकार त्रस्त, रावण फसल काटने में मस्त
जागरण संवाददाता हमीरपुर कोरोना संक्रमण के चलते इस वर्ष रामलीला के कलाकारों को अभिनय
जागरण संवाददाता, हमीरपुर : कोरोना संक्रमण के चलते इस वर्ष रामलीला के कलाकारों को अभिनय करने का भी मौका नहीं मिल पा रहा। कोरोना की मार से रामलीला के सभी कलाकार त्रस्त नजर आ रहे हैं। वहीं रावण का अभिनय करने वाले युवा कलाकार मौजूदा में समय खेती किसानी में लगा रहे हैं। चल रही तिल की कटाई में वह परिजनों का सहयोग कर रहे है। इसी तरह अन्य कलाकारों का भी हाल है।
कोरोना संक्रमण ने सभी के कारोबार को प्रभावित किया है। शारदीय नवरात्र के समय रामलीला के मंचन की धूम बनी रहती थी। लेकिन इस वर्ष कोरोना काल के कारण संक्रमण से बचाव के लिए रामलीला का आयोजन नहीं हो पा रहा है। ऐसे में रामलीला के कलाकारों के सामने भी कई मुसीबतें आ गई हैं। कलाकारों की मानें तो उनका काफी नुकसान हुआ है। नवरात्र व दशहरे के समय कई स्थानों में उन्हें मंचन करने का मौका मिलता था। लेकिन इस वर्ष कोरोना के कारण वह कहीं भी अपना अभिनय नहीं कर पा रहे हैं। सुमेरपुर क्षेत्र के उजनेड़ी गांव निवासी रावण की भूमिका निभाने वाले युवा कलाकार धीरेंद्र शुक्ला बताते हैं कि कोरोना के कारण इस वर्ष रामलीला करने को नहीं मिली। इसके कारण उन्हें खेती पाती का काम कर रहे है। चल रही तिल की कटाई कर मजदूरी में खर्च होने वाला पैसा बचा रहे हैं। राठ में दीपावली के दिन होता है रावण दहन
देशभर में रावण दहन दशहरा वाले दिन किया जाता है। कस्बे में तकरीबन छह दशक से चली आ रही अनोखी परंपरा के अनुसार दीपावली वाले दिन किया जाता है। बताया जाता है कि करीब छह दशक पहले दशहरा वाले दिन रावण दहन प्रक्रिया चल रही थी। तभी ऐसी बारिश हुई कि पूरे रामलीला मैदान में घुटनों तक पानी भर गया। इस कारण रावण दहन नहीं हो सका। उसको रामलीला समिति ने दीपावली के दिन रावण दहन का फैसला लिया। तभी से दीपावली वाले दिन रावण दहन किया जाता है। तत्कालीन रामलीला समिति ने मेले का आयोजन किया और जो दीपावली तक चलता रहा और ठीक दीपावली दिन रावण दहन किया गया। तभी से यह परंपरा कायम है और असत्य पर सत्य की विजय विजयदशमी पर्व पर रावण दहन न कर दीपावली वाले दिन किया जाता है।