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आक्सीजन से तड़पी बच्ची की 21 घंटे बाद मौत

अंधेर - एसडीएम सदर के दबाव में एसएनसीयू वार्ड में किया गया था भर्ती - सिलेंडर की कमी को लेक

By JagranEdited By: Published: Mon, 16 Jul 2018 11:05 PM (IST)Updated: Mon, 16 Jul 2018 11:05 PM (IST)
आक्सीजन से तड़पी बच्ची की 21 घंटे बाद मौत
आक्सीजन से तड़पी बच्ची की 21 घंटे बाद मौत

अंधेर

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- एसडीएम सदर के दबाव में एसएनसीयू वार्ड में किया गया था भर्ती

- सिलेंडर की कमी को लेकर एलआइयू ने की पूछताछ, रिपोर्ट बनाई

जागरण संवाददाता, हमीरपुर : रविवार को एसएनसीयू वार्ड के बाहर चार घंटे तक आक्सीजन के लिए तड़पने वाली बच्ची की सोमवार को 21 घंटे बाद मौत हो गई। इस घटना से परिजनों में कोहराम मच गया। वहीं बच्चे को भर्ती करते समय न तो वहां पर बाल रोग विशेषज्ञ थे और न ही महिला सीएमएस। इस संबंध में जब सीएमएस से जानकारी मांगी तो उन्होंने घटना के बारे में पता होने से इंकार कर दिया।

जनपद महोबा के ग्राम ग्योड़ी निवासी प्रीती (26) पत्नी जीतू की डिलेवरी मौदहा सीएचसी में हुई थी। बच्चे की हालत नाजुक होने पर प्रीती को महिला अस्पताल लाया गया। जहां पर बच्चे के पेट में गंदा पानी होने पर एसएनसीयू वार्ड में भर्ती करने की बात कही। जिस पर एसएनसीयू वार्ड में तैनात स्टाफ नर्स द्वारा वार्ड में आक्सीजन न होने तथा बेड न होने की बात कहकर परिजनों को टरका दिया गया। वहीं हालत नाजुक होने पर प्रीती अपनी बच्ची के साथ फर्श पर ही लेट गई। करीब चार घंटे तक बच्ची आक्सीजन के लिए तड़पती रही लेकिन किसी नहीं सुना। बाद में घटना की जानकारी एस़डीएम सदर वीर बहादुर के दबाव में बच्ची व उसकी मां को भर्ती किया गया। बच्ची की हालत काफी नाजुक थी। सोमवार की देर शाम बच्ची ने एसएनसीयू वार्ड में दम तोड़ दिया। महिला अस्पताल की इस घोर लापरवाही के चलते एक बच्ची ने दम तोड़ दिया। वहीं महिला अस्पताल के सीएमएस डा.आरबी गौतम से बात की गई तो उन्होंने घटना के बारे में न पता होने की बात कही।

दो दिनों से बाहर थे महिला अस्पताल के बालरोग विशेषज्ञ

महिला अस्पताल में तैनात बाल रोग विशेषज्ञ डा. आशुतोष निरंजन दो दिनों से बाहर थे। जब बच्ची को अस्पताल लाया गया। तब भी वह अस्पताल में उपस्थित नहीं थे।

चिकित्सक सहित दो स्टाफ नर्सो से मांगा गया स्पष्टीकरण

सोमवार को मामले की जांच पड़ताल को एलआइयू विभाग की टीम ने सीएमएस से जानकारी ली। सीएमएस डा. आरबी गौतम ने बताया कि अस्पताल में कुल 40 सिलेंडर हैं। दस सिलेंडर बचने पर खाली 30 सिलेंडरों को भरने के लिए भेजा जाता है। कहा कि रविवार को दस सिलेंडरों में दो वार्ड में दिए गए थे। दोपहर बाद स्टाफ नर्स द्वारा एक सिलेंडर की मांग की गई थी। यदि वहां कमी थी तो उन्हें और सिलेंडर मांगने चाहिए थे। मामले में उन्होंने वार्ड में तैनात चिकित्सक व स्टाफ नर्सों की लापरवाही मानते हुए उन्हें नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा है। जिलाधिकारी आरपी पांडेय ने बताया कि अभी-अभी मुझे इस मामले की जानकारी हुई है। जांच के बाद सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।


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