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पढऩे की ललक जगाकर स्कूल की राह दिखा रहे युवा

युवाओं ने अपने प्रयास से बहुत से बच्‍चों का दाखिला शहर के अंग्रेजी स्कूलों में भी कराया है। ऐसे बच्‍चों की पढ़ाई का खर्च भी वह खुद उठाते हैं। इसके लिए वह आपस में चंदा लगाते हैं। जरूरत पडऩे पर जनसहयोग भी लेते हैं।

By Navneet Prakash TripathiEdited By: Published: Fri, 21 Jan 2022 04:13 PM (IST)Updated: Fri, 21 Jan 2022 04:13 PM (IST)
पढऩे की ललक जगाकर स्कूल की राह दिखा रहे युवा
पढऩे की ललक जगाकर स्कूल की राह दिखा रहे युवा। प्रतीकात्‍मक फोटो

गोरखपुर, डा. राकेश राय। पूनम और मालिनी कभी स्कूल जाने से कतराती थीं, आज स्कूल तो जाती ही हैं, कक्षा में टाप भी करती हैं। कक्षा सात के बाद विशाल ने पढ़ाई छोड़ दी थी लेकिन आज वह कान्वेंट स्कूल में पढ़ रहा हैं। घर के कामों तक सिमट कर रह गईं सुनीता, शिखा और रागिनी अब अपना नाम लिखना सीख चुकी हैं। यह तो महज बानगी है। ऐसे करीब 300 बच्‍चे हैं, जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों के बावजूद शिक्षा के जरिए व्यक्तित्व विकास की राह में कदम बढ़ा दिया है। यह संभव हो सका है शहर के युवाओं की एक टोली के प्रयास से, जिन्होंने बीते छह वर्ष से मलिन बस्ती में शिक्षा की लौ जगाने का बीड़ा उठा रखा है। यह टोली पहले उन ब'चों में शिक्षा की ललक जगा रही है और फिर उन्हें स्कूल की राह दिखा रही है। अब तक 100 से अधिक ब'चों को स्कूल पहुंचा चुकी है यह टोली। Óअक्षरÓ नाम की इस मुहिम को उन्होंने अनवरत जारी रखा है।

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करना पड़ा था विरोध का सामना

यह कार्य आसान नहीं था। टोली के अगुवाई करने वाले रत्नेश तिवारी बताते हैं वह और उनके साथियों ने जब अपनी मुहिम को धरातल पर लाने के लिए हाबर्ड बांध पर मौजूद मलिन बस्ती में प्रवेश किया तो वहां के लोगों ने उनका पुरजोर विरोध किया। करीब एक सप्ताह तक समझाने-बुझाने के बाद उन्हें तीन बच्‍चों को अपनी मुहिम से जोडऩे का मौका मिल गया। उसके बाद टीम की ओर से बंधे के बगल में मौजूद मोती जेल परिसर में पाठशाला लगाई जाने लगी। बच्‍चों का पढऩा बस्ती वालों को भाने लगा, सो उनकी संख्या में बढऩे लगी। आज की तारीख में यह संख्या 300 के करीब पहुंच गई है।

अंग्रेजी स्‍कूलों में कराया बच्‍चों का एडमीशन

युवाओं ने अपने प्रयास से बहुत से बच्‍चों का दाखिला शहर के अंग्रेजी स्कूलों में भी कराया है। ऐसे बच्‍चों की पढ़ाई का खर्च भी वह खुद उठाते हैं। इसके लिए वह आपस में चंदा लगाते हैं। जरूरत पडऩे पर जनसहयोग भी लेते हैं। युवाओं की टोली में शामिल सुमन गुप्ता, साक्षी मिश्रा, ऋषभ दुबे, शशि राय, अभिषेक तिवारी, साधना भारती, पारुल यादव, निहारिका टिबड़ेवाल, आशीष मगहिया, इस्लाम अहमद, रवि गोस्वामी, संदीप कुशवाहा, अभिषेक कुमार, वीरेंद्र तिवारी, रामदास मिश्रा, स्नेहा गुप्ता, राजश्री गुप्ता आदि शामिल हैं। युवा टोली केवल शिक्षा ही नहीं दे रही बल्कि बच्‍चों को कापी, किताब, पैंसल, बैग, ड्रेस भी उपलब्ध कराती है।

अब इन स्कूलों में पढ़ रहे Óअक्षरÓ पाठशाला में पढऩे वाले

रत्नेश के मुताबिक अक्षर पाठशाला से शिक्षा की ललक जगाने के बाद 100 से अधिक बच्‍चों को शहर के आर्यकन्या इंटर कालेज, दयानंद इंटर कालेज, महात्मा गांधी इंटर कालेज, मारवाड़ इंटर कालेज, फन एन लर्न, नवल्स एकेडमी, सेंट मेरी स्कूल, जेम्स स्कूल, बाल बिहार हाई स्कूल, ङ्क्षस्वटन प्राइमरी स्कूल, खूनीपुर प्राइमरी स्कूल, मदरसा प्राइमरी स्कूल में दाखिला दिलाया जा चुका है। अगले सत्र में ब'चों के नामांकन के लिए स्प्रिंगर स्कूल, एस एस एकेडमी, संस्कृति पाठशाला, गोरखपुर संस्कृति पब्लिक स्कूल, आइडियल पब्लिक स्कूल बसंतपुर से बातचीत चल रही है।


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