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विश्व गौरैया दिवस : गोरखपुर के सुजीत के घर में हैं गौरैयों के चार सौ घोंसले Gorakhpur News

विश्व गौरैया दिवस गोरखपुर के सुजीत कुमार के घर गौरैैैैैैयों के चार सौ घोषले हैं।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Fri, 20 Mar 2020 09:51 AM (IST)Updated: Fri, 20 Mar 2020 09:51 AM (IST)
विश्व गौरैया दिवस : गोरखपुर के सुजीत के घर में हैं गौरैयों के चार सौ घोंसले Gorakhpur News
विश्व गौरैया दिवस : गोरखपुर के सुजीत के घर में हैं गौरैयों के चार सौ घोंसले Gorakhpur News

गोरखपुर, जितेन्द्र पाण्डेय। गौरैयों के संरक्षण की सही तस्वीर देखनी हो तो आप गोरखपुर बेलघाट निवासी सुजीत कुमार के घर आ सकते हैं। यहां आपको गौरैयों का पूरा संसार ही देखने को मिल जाएगा। इनके चार सौ घरों (घोंसलों) से इनकी चहचहाट आपको सुकून देगी। यह यूं ही नहीं बसा है, इसके नीचे खड़ी है प्यार की मजबूत नींव। इसके पीछे है लगन और तपस्या की लंबी यात्रा।

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ऐसे हुई शुरुआत

लगभग 18 वर्ष पूर्व सुजीत के घर गौरैया का परिवार कहीं से भटक कर आ गया तो उनके आगे चावल के दाने बिखेर दिए। गौरैयों ने खाया। इन दानों में उनको प्यार दिखा तो महफूज हाथों का दुलार भी। यह सिलसिला चलता रहा। धीरे-धीरे उनके साथ अन्य गौरैया भी आने लगीं। घर में ही घोंसला बनाने लगीं तो सुमित के साथ उनके परिवार ने चिडिय़ों के घरों को संवारना शुरू कर दिया, पूरा संरक्षण दिया। घर की सदस्यों की तरह ही उनकी भी देखभाल होती है।

ऐसे होता है रखरखाव

विभिन्न माध्यमों के जरिये कमरों का तापमान मेंटेन रखा जाता है। दाने और पानी की पूरी व्यवस्था रहती है। उनके स्वास्थ्य को लेकर भी परिवार संजीदा रहता है। परेशानी होने पर डाक्टरों से सलाह ली जाती है।

यह भी जानें

गौरैया की कुल प्रजातियां-21

भारत में रहने वाली प्रजातियां-6

लंबाई-14 से 16 सेमी

वजन-25 से 32 ग्राम तक

कोरोना के कारण इस बार गौरैया दिवस को लेकर लोगों को सोशल मीडिया के माध्यम से जागरूक किया जा रहा है। छत पर पानी व दाना रखें। हरियाली पर जोर दें। सुजीत के जरियेअन्य लोगों को भी प्रेरित किया जाएगा। - बीसी ब्रह्मा, प्रभागीय वनाधिकारी

महराजगंज में लौट आई गौरैयों की चहक, महक रही गांव में पुरानी यादें

बचपन की सबसे सुखद स्मृतियों में गौरैया जरूर आती है, क्योंकि सबसे पहले बच्चा इसी चिडिय़ा को पहचानना सीखता है। पड़ोस के लगभग हर घर में उनका घोंसला होता था। आंगन में या छत की मुंडेर पर वे दाना चुगती थीं। बस अड्डा और रेलवे स्टेशनों पर भी पहले ये झुंड के झुंड फुदकती रहती थीं। प्राचीन काल से ही हमारे उल्लास, स्वतंत्रता, परंपरा और संस्कृति की संवाहक गौरैया अब संकट में है। संख्या में लगातार गिरावट से उसके विलुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है। ऐसे में जिले के निचलौल तहसील क्षेत्र में गौरैया पक्षियों की आमद से गांव में नई उमंग व उर्जा का संचार हो रहा है। यहां लगभग हर घरों में गौरैया पक्षियों ने अपना घोंसला बनाया हुआ है।

नजीर बनकर उभरे थे युवा कृष्णमणि पटेल

तीन वर्ष पूर्व जब वन विभाग की टीम द्वारा महराजगंज में गौरैया संरक्षण के लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा था, उसके पूर्व ग्रामवासी कृष्णमणि पटेल के घर पर इन पंक्षियों का सुंदर व प्राकृतिक आशियाना बना हुआ था। कृष्णमणि पटेल ने इनको चुगने के लिए दाना व गर्मी में पीने के लिए पानी आदि की सुंदर व्यवस्था भी की जाती है। फिर क्या था धीरे-धीरे अन्य ग्रामवासी भी इस रूझान में समय देेने लगे और बदलते समय के दौर में पक्षियों की आमद बढ़ गई है। वर्तमान समय में यहां अधिकतर घरों में गौरैया अपना घोंसला बनाईं हैं।

2017 में वन विभाग ने वितरित किए थे 700 घोंसले

गौरैया संरक्षण के क्षेत्र में नागरिकों को जागरूक करने के लिए सोहगीबरवा वन्य जीव प्रभाग ने अपने सभी सातों रेंज के क्षेत्रों में 100-100 नागरिकों को घोंसले वितरित किए थे। डीएफओ पुष्प कुमार ने बताया कि इस वर्ष भी नागरिकों को संरक्षण के लिए जागरूक किया जाएगा।


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