चार माह पहले बनी सड़क को फिर बनाने का जारी कर दिया वर्क आर्डर, विधायक राधामोहन ने पकड़ा फर्जीवाड़ा
गोरखपुर में चार माह पहले बनी सड़क को डूडा के अधिकारियों नेण फिर से बनाने का वर्क आर्डर जारी कर दिया। गोरखपुर नगर के विधायक डाक्टर राधामोहन दास अग्रवाल ने इस फर्जीवाड़ा को पकड़ा। मामला करीब ण25 लाख रूपये के फर्जीवाड़े का है।
गोरखपुर, जेएनएन। अभी दो दिन पूर्व सेमरा वार्ड में पहले से बनी-बनाई सड़क का मुख्यमंत्री से आठ अक्टूबर को शिलान्यास करवाने का खेल नगर विधायक ने बेनकाब किया था और उसकी जांच चल ही रही थी कि दक्षिणी बेतियाहाता के नागरिकों ने नगर विधायक को ज्ञापन देकर उनके वार्ड में भी दोहरा भुगतान करवाने के दुष्प्रयास की सूचना दी। सूचना पाकर नगर विधायक तुरंत नगर निगम के अपर नगर आयुक्त तथा डूडा के परियोजना निदेशक दीपक कृष्ण सिन्हा को लेकर मौके पर पंहुच गये। पार्षद विश्वजीत तिवारी भी सूचना पाते पहुंचे।
दक्षिणी बेतियाहाता के नरसिंह सिंह, मैनेजर शर्मा, अतुल पांडे , जनार्दन नाथ उपाध्याय, तुषार शुक्ला, डा. आलोक शुक्ला तथा विश्वनाथ तिवारी आदि ने नगर विधायक को पत्र लिखकर सूचना दी कि उनके दक्षिणी बेतियाहाता में भी एक ऐसा ही खेल हुआ है। अवस्थापना निधि से 27 लाख रुपये की लागत से सीसीरोड मार्च 2020 में ही बनाई जा चुकी है, फिर भी अधिकारियों ने मुख्यमंत्री से दोबारा उसी सड़क का 24.76 लाख रूपये से शिलान्यास करा लिया।
डूडा की सारी पत्रावलियों को देखकर नगर विधायक दंग रह गए। उन्हें यह जानकर आश्चर्य हुआ कि मार्च में लोकार्पण हो जाने के बाद भी डूडा के परियोजना निदेशक, परियोजना अधिकारी और अवर अभियंता ने 7 जुलाई को न सिर्फ ठेकेदार के नाम से आफीसियल मेमो जारी किया बल्कि 10 जुलाई को कार्यादेश भी जारी करके पहले से बन चुकी सड़क को फरवरी 2021 तक फिर से इंटरलाकिंग सड़क बनाने का निर्देश दे दिया।
नगर विधायक के पूछने पर अवर अभियंता संजय कुमार सैनी ने नगर विधायक को बताया कि उन्होंने डूडा के परियोजना निदेशक को मौखिक रूप से सूचित किया था कि सड़क पहले ही बनाई जा चुकी है और परियोजना अधिकारी ने 3 अक्टूबर को बनी हुई सड़क का निरीक्षण भी किया था। इसलिए मुख्यमंत्री से दोबारा शिलान्यास कराने के निर्णय के लिए वह जिम्मेदार नहीं है।
नगर विधायक ने अपर नगर आयुक्त तथा डूडा के परियोजना निदेशक दीपक कृष्ण सिन्हा को कहा कि बार-बार दोहरे भुगतान के दुष्प्रयास का मामला सामने आ रहा है। मुख्यमंत्री ने स्वयं 8 अक्टूबर को इस संदर्भ में चेतावनी दी थी। प्रश्न यह है कि जब आपने नगर निगम के अपर नगर आयुक्त तथा डूडा के परियोजना निदेशक के रूप में डूडा से योजना स्वीकृति कराई थी तो दोबारा उसी सड़क के लिए अवस्थापना निधि से पैसा क्यों जारी किया गया? जबकि नगर निगम हमेशा पैसे की कमी का रोना रोता रहता है।
नगर विधायक ने दीपक कृष्ण सिन्हा को निर्देशित किया कि आपको यह निश्चित करना ही होगा कि किस स्तर पर इतने बडे खेल का प्रयास किया गया है। जब मार्च 2020 में ही सडक का लोकार्पण हो गया तो डूडा ने 10 जुलाई को दोबारा सडक बनाने का कार्यादेश ( वर्क आर्डर) कैसे जारी हुआ ? क्या यह सच है कि अवर अभियंता संजय कुमार सैनी ने परियोजना निदेशक को सड़क के पहले से ही बने होने की सूचना सचमुच दी थी ? क्या यह सच है कि परियोजना अधिकारी ने 3 अक्टूबर को स्वयं निरीक्षण करके पहले से बनी हुई सड़क को देखा था ? और यदि हां, तो किससे निर्देश पर उन्होंने तथ्य छिपाकर मुख्यमंत्री तक से शिलान्यास कराने का काम किया ?
नगर विधायक ने डूडा के परियोजना निदेशक को चेतावनी दी कि त्वरित और कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाये अथवा वे मुख्यमंत्री के सज्ञान में विषय लाएंगे।