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Corona effect: गोरखपुर में आठ सौ करोड़ रुपये के ऊनी कपड़ों के कारोबार पर असर, आर्डर तक नहीं ले रहे फैक्ट्री मालिक

थोक कारोबारी जून में कपड़ों का आर्डर देते हैं और 20 अगस्त से 20 सितंबर के बीच माल की आपूर्ति होती है। इस बार फैक्ट्री मालिकों ने आर्डर तक नहीं लिया है। व्यापारियों के मुताबिक आने वाले सीजन में इसका प्रभाव देखने को मिलेगा।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Mon, 21 Sep 2020 05:24 PM (IST)Updated: Mon, 21 Sep 2020 05:24 PM (IST)
Corona effect: गोरखपुर में आठ सौ करोड़ रुपये के ऊनी कपड़ों के कारोबार पर असर, आर्डर तक नहीं ले रहे फैक्ट्री मालिक
गोरखपुर के ऊलेन कपड़ों के थोक व्‍यापारियों का फैक्‍ट्री मालिक आर्डर तक नहीं ले रहे हैं।

काशिफ अली, गोरखपुर। करीब आठ सौ करोड़ रुपये के ऊनी कपड़ों के कारोबार पर कोरोना का असर साफ दिखने लगा है। यहां से न सिर्फ गोरखपुर-बस्ती मंडल बल्कि बिहार के सीवान, छपरा, गोपालगंज, मोतीहारी, नरकटियागंज के साथ नेपाल के सीमावर्ती इलाकों में गर्म कपड़ों की आपूर्ति होती है। लेकिन इस बार यहां के व्यापारियों को माल नहीं मिल पाया है। वजह कि ज्यादातर माल लुधियाना से आता है। इस बार वहां कच्चे माल व मजदूरों की कमी से फैक्ट्रियां बंद हैं।

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थोक कारोबारी जून में कपड़ों का आर्डर देते हैं और 20 अगस्त से 20 सितंबर के बीच माल की आपूर्ति होती है। इस बार फैक्ट्री मालिकों ने आर्डर तक नहीं लिया है। व्यापारियों के मुताबिक आने वाले सीजन में इसका प्रभाव देखने को मिलेगा। न सिर्फ गर्म कपड़ों की किल्लत रहेगी बल्कि 20 से 30 फीसद कीमतें भी बढ़ सकती हैं। लुधियाना में उत्पादन का काम करने वाले दिव्यांशु सचदेवा के मुताबिक ऊनी माल में तेजी अभी से दिख रही है। इसकी बड़ी वजह समय से उत्पादन न होना है। धागे की कीमतों में तेजी और मजदूरों की कमी के चलते पिछले वर्ष के मुकाबले पचास फीसद माल भी तैयार नहीं हो पाएगा। इसलिए बाजार में गर्म कपड़ों की कमी भी रहेगी।

क्‍या कहते हैं थोक व्‍यापारी

थोक व्‍यापारी मो. आदिल का कहना है कि सितंबर के पहले सप्ताह तक माल की आपूर्ति हो जाती थी, लेकिन अब तक एक नग माल भी नहीं पहुंचा है। पिछले साल काफी ठंड पड़ी थी इसलिए दुकानदारों के पास पुराना स्टॉक भी नहीं है। ऐसे में माल की किल्लत हो सकती है। वहीं राज नारायण प्रजापति का कहना है कि अक्टूबर से गर्म कपड़ों की बिक्री शुरू हो जाती थी। बहुत से दुकानदारों ने आर्डर दिया है, लेकिन लुधियाना के हालात को देखकर लगता नहीं है कि हमलोग आर्डर को पूरा कर पाएंगे। दुकानदारों से इंतजार करने को कहा जा रहा है।

तिब्बती मार्केट पर भी संकट के बादल

जाड़े के दौरान वाजिब कीमत और कई तरह के ऊनी कपड़ों, जैकेट  के लिए याद किया जाने वाला तिब्बती मार्केट इस बार शायद ही देखने को मिले। टाउनहाल मैदान पर लगने वाला यह मार्केट नवंबर के पहले सप्ताह से वजूद में आ जा जाता है। मार्केट में सौ से ज्यादा अस्थायी दुकानें लगती हैं। हजारों लोग खरीददारी करने पहुंचते हैं। मैदान के एक हिस्से में एक और गर्म कपड़ों का बाजार लगता है जिसका संचालन स्थानीय लोग करते हैं। वहां दुकान लगाने वाले मोहम्मद निजाम के मुताबिक बीते साल ज्यादा ठंड पडऩे  से काफी अच्छा कारोबार हुआ था, लेकिन कोरोना के बढ़ते हुए मामलों को देखते हुए यह लगता नहीं है कि प्रशासन अस्थायी मार्केट लगाने की अनुमति देगा।

फुटपाथ पर बिक जाता है 50 करोड़ का माल

ऊनी कपड़ों के लिए फुटपाथ भी बड़ा बाजार है। टॉउनहाल, शास्त्री चौक, गोलघर, बैंक रोड, रेती, असुरन, पादरी बाजार, तरंग क्राङ्क्षसग, बरगदवां, इलाहीबाग समेत शहर के तीन दर्जन इलाकों में करीब आठ सौ लोग ठेले या जमीन पर कपड़े रखकर बेचते हैं। ज्यादातर लोग सस्ता माल लुधियाना और दिल्ली से लेकर आते हैं। शास्त्री चौक पर ठेलेे पर जैकेट बेचने वाले सत्यप्रकाश के मुताबिक दिसंबर और जनवरी के बीच प्रतिदिन औसतन 40 हजार रुपये का माल बिकता था। कई लोग तो एक-एक लाख रुपये तक का माल एक दिन में बेच देते थे।


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